हजारीबाग के अखाड़े में अंबा की बहन अनुप्रिया! बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें

दो वैश्य चेहरों के भिड़त में क्या होगा अगड़ी जातियों का रुख?

हजारीबाग के अखाड़े में अंबा की बहन अनुप्रिया! बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें
अनुप्रिया प्रसाद ( फाइल फोटो)

सवाल यह भी है कि इस बार भाजपा की ओर से किसे अखाड़े में उतारा जाता है. एक नाम तो मनीष जायसवाल के बेटे का भी सामने आ रहा है. दावा किया जाता है कि मनीष जायसवाल की चाहत भी हजारीबाग विधानसभा पर अपनी दावेदारी को बनाये रखने की है. लेकिन इस सीट पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दीपक प्रकाश की भी नजर है. पिछले कई वर्षों से लगातार इस सीट पर अपना दावा ठोंकते रहे हैं. यदि भाजपा की ओर से भी किसी वैश्य चेहरे को ही आगे किया जाता है तो उस हालत में अगड़ी जातियों का रुख क्या होगा? यह भी देखने वाली बात होगी

रांची: जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मी तेज हो रही है. सियासी पहलवानों के चेहरे सामने आने लगे हैं. इसी में एक चेहरा बड़कागांव विधायक अम्बा की छोटी बहन अनुप्रिया प्रसाद का है. पिछले सात वर्षों से मुंबई के थारावी में अनुप्रिया फाउंडेशन के जरिये झुग्गी- झोपड़ियों में जिंदगी बसर करने वालों के बीच काम करने के बाद बड़कागांव पहुंची अनुप्रिया ने इस बार कांग्रेस के टिकट पर हजारीबाग विधानसभा से चुनावी अखाड़े में उतरने की चाहत का इजहार किया है. स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष अपना बायोडाटा भी पेश किया है. मजेदार बात यह है कि अनुप्रिया के पिता योगेन्द्र साव भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की चाहत रखते हैं. अब बाप-बेटी में से किसकी किस्मत खुलती है, इसका फैसला तो बाद टिकट वितरण के साथ ही होगा, लेकिन सूत्रों का दावा है कि भाजपा के इस किले पर योगेन्द्र साव की नजर जमी हुई है. यदि अनुप्रिया पर दांव लगाया जाता है तो पिछले दो चुनाव से लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस के पास  एक युवा- पिछड़ा के साथ ही आकर्षक-तेजतर्रार महिला चेहरा भी होगा. जिसको आगे आधी आबादी को साधा जा सकता है.

कांग्रेस से टिकट की चाहत रखने वालों की लम्बी फौज

आरसी प्रसाद
मीडिया को संबोधित करते हुए आरसी प्रसाद

वैसे कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरने की ख्वाहिश रखने वालों की सूची काफी लम्बी है, वर्ष 2019 में मनीष जायसवाल के खिलाफ ताल ठोकने वाले आरसी प्रसाद को भी एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है, हालांकि जहां मनीष जायसवाल 106,208 को जीत मिली थी वहीं आरसी प्रसाद को महज 54,396 वोट पर सिमटना पड़ा था. इसके पहले वर्ष 2014 में कांग्रेस की ओर से मनीष जायसवाल के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले जयशंकर पाठक की और भी फिसड्डी  साबित हुए थें. जहां मनीष जायसवाल को 89,675 के साथ जीत मिली थी, वहीं जयशंकर पाठक को 11,528 वोट के साथ चौथे नंबर पर खिसकना पड़ा था. इससे बेहतर स्थिति तो निर्दलीय अखाड़े में उतरे प्रदीप प्रसाद का रहा था, 62,546 वोट लाकर दूसरा, लेकिन सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया था.

वर्ष 2014 और 2019 में लगातार जीत दर्ज कर चुके हैं मनीष जायसवाल

हजारीबाग के अखाड़े में अंबा की बहन अनुप्रिया! बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें
मनीष जायसवाल ( फाइल फोटो)

आपको याद दिला दें कि आज भले ही हजारीबाग को भाजपा के किला के रुप में प्रस्तूत किया जाता हो, लेकिन जिस तरीके से मनीष जायसवाल ने वर्ष 2014 और 2019 में लगातार जीत दर्ज करने का रिकार्ड बनाया है, वर्ष वर्ष 2005 और 2009 में सौरभ नारायण सिंह के नाम भी ठीक यही रिकार्ड है. लेकिन जब से भाजपा ने सामाजिक समीकरण को साधते हुए वैश्य चेहरा के रुप में मनीष जायसवाल को आगे किया, कांग्रेस के हाथ से यह सीट खिसकती दिखलायी देने लगी. मोदी लहर में हार जीत के बीच का फासला भी बढ़ता गया, इस हालत में अनुप्रिया प्रसाद कांग्रेस के लिए एक सही विकल्प साबित हो सकती है.एक तो वैश्य-पिछड़ी जाति से आती है, जिसकी एक बड़ी आबादी हजारीबाग विधानसभा के अंदर है, इसके साथ ही युवा और तेज-तर्रार महिला की छवि भी है, यह ठीक है राजनीतिक पिच और चुनावी अखाड़े का कोई अनुभव नहीं है, लेकिन लोगों के बीच काम करने का  अनुभव और एक मजबूत कम्युनिकेशन स्कील है. रही बात चुनावी अखाड़े की अनुभव का, तो इसकी कमी अम्बा प्रसाद और योगेन्द्र साव के अनुभव से पूरा किया जा सकता है. हालांकि अभी दूसरे दावेदारों के बायोडाटा का भी अध्ययन किया जा रहा होगा, इस हालत में देखना होगा कि अंतिम फैसला क्या होता है, लेकिन जिस तरीके से लोकसभा चुनाव के वक्त अम्बा का नाम हजारीबाग संसदीय सीट से उछला था, दावा किया जाता है कि कांग्रेस की ओर से अम्बा के चेहरे पर दांव लगाने का अंतिम फैसला लिया जा चुका था, अम्बा प्रसाद को भी इस फैसले से अवगत करवा दिया गया था, लेकिन एन वक्त पर इडी की छापेमारी हुई, जिसके बाद कांग्रेस को अपना फैसला बदलना पड़ा, उस हालत में इस बात की पूरी संभावना है कि कांग्रेस इस बार अनुप्रिया के चेहरे पर दांव लगा कर अम्बा और योगेन्द्र साव की चाहत को सम्मान प्रदान करे, क्योंकि तमाम कोशिशों के बावजूद भी अम्बा ने पालाबदल बदल से इंकार करते हुए अपनी अटूट निष्ठा का इजहार किया है. अम्बा प्रसाद को इसका इनाम दिया जा सकता है. रही बात अनुप्रिया के चेहरे में वंशवाद को ढूंढने की, तो इसके लिए फिलहाल भाजपा का टिकट वितरण का इंतजार करना होगा. कभी भ्रष्टाचार के सवाल पर भी भाजपा काफी मुखर होती थी, लेकिन अब  चार हजार करोड़ के घोटाले में सजायाफ्ता मधुकोड़ा भी उसके साथ है, इस हालत में वंशवाद पर अब उसका नया स्टैंड क्या होगा यह भी देखने वाली बात होगी, वैसे खबर यह भी है कि चंपाई सोरेन के साथ ही उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को भी टिकट देने की तैयारी है.

अगड़ी जातियों के रुख से तय होगा चुनाव परिणाम

हालांकि यहां यह भी ध्यान में रखने की जरुरत है कि इस बार भाजपा किसे अखाड़े में उतारती है, एक नाम तो मनीष जायसवाल के बेटे का भी सामने आ रहा है, दावा किया जाता है कि मनीष जायसवाल भी अपने  बेटे को आगे कर हजारीबाग सीट पर अपनी दावेदारी को बनाये रखना चाहते हैं, लेकिन इस सीट पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दीपक प्रकाश की भी नजर है. पिछले कई वर्षों से वह लगातार इस सीट पर अपना दावा ठोंकते रहे हैं. यदि भाजपा की ओर से भी किसी वैश्य चेहरा को ही आगे किया जाता है तो उस हालत में अगड़ी जातियों का रुख क्या होगा, यह भी देखने वाली बात होगी. एक फैक्टर सिन्हा घराना का चुनावी रणनीति भी हो सकती है, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की ओर से भी एक अलग पार्टी बनाने की घोषणा हुई है, और यदि सिन्हा परिवार की ओर से भी किसी उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाता है इस हालत में अगड़ी जातियों के वोट में बिखराव की स्थिति भी आ सकती है, जिसका लाभ भी कांग्रेस को मिल सकता है.

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Edited By: Devendra Kumar

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