बाबूलाल मरांडी ने आदिम जनजाति के लोगों की असमय हो रही मौत को लेकर सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
साहिबगंज और जामताड़ा की घटनाओं को लेकर जताई चिंता
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झारखण्ड में समय पर ईलाज न हो पाने के कारण आए दिन प्रदेशवासियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। झारखण्ड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लूट-खसोट में लिप्त है और पैसे लेकर डॉक्टरों को मनचाहा पोस्टिंग देकर स्वास्थ्य सेवाएँ को प्रभावित कर रही है
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाल ही में साहिबगंज सदर अस्पातल में डॉक्टरों के नहीं रहने पर आदिम जनजाति की 6 वर्षीय मासूम की मौत और जामताड़ा में 22 दिनों में आदिम जनजाति समाज के 10 लोगों की अचानक मौत होने की घटनाओं को लेकर पत्र लिखा है। अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने इन घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि सरकार को इन घटनाओं की उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए और दोषी व लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।पत्र इस प्रकार है:
माननीय मुख्यमंत्री जी,
विषय - झारखण्ड में ईलाज के अभाव में आए दिन विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति समाज के लोगों की हो रही मृत्यु के संदर्भ में।
आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएँ का हाल दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा है। आए दिन आदिवासी ख़ासकर विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति समाज के भाई-बहनों की मृत्यु ईलाज के अभाव में हो रही है लेकिन प्रशासन जिम्मेदारी लेने के बजाय एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहा है।
हालिया घटना साहिबगंज सदर अस्पताल की है जहाँ सिमरिया गांव निवासी आदिम जनजाति पहाड़िया मथियम मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन जो डेंगू से पीड़ित थी, ईलाज के अभाव में अपनी जान गंवा दी। पिता डॉक्टरों की तलाश में इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक भागते रहे, परन्तु कहीं भी डॉक्टर नहीं मिले, जिसके कारण पिता की गोद में ही बच्ची ने अपना दम तोड दिया। यह सिर्फ एक घटना नहीं है।
ऐसी ही दूसरी घटना दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखण्ड के कुंडा पहाड़ी गांव में हुई जहाँ विलुप्तप्राय पहाड़िया जनजाति की 19 वर्षीय गर्भवती महिला प्रिंसिका महारानी की समय पर एंबुलेंस और ईलाज न मिल पाने के कारण जान चली गई। तीसरी घटना जामताड़ा जिले के करमाटांड प्रखण्ड के नेंगराटांड गांव की है जहाँ अज्ञात बीमारी से पिछले 22 दिनों के अंदर आदिम जनजाति (पहाड़िया) परिवार के 8 सदस्यों की मौत हो गई है। अभी भी 10 से अधिक लोग अलग अलग बीमारी से ग्रसित हैं।
झारखण्ड में समय पर ईलाज न हो पाने के कारण आए दिन प्रदेशवासियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। झारखण्ड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लूट-खसोट में लिप्त है और पैसे लेकर डॉक्टरों को मनचाहा पोस्टिंग देकर स्वास्थ्य सेवाएँ को प्रभावित कर रही है। दूर-दराज के स्वास्थ्य केन्द्रों पर डॉक्टरों का पदस्थापन नहीं रहने के कारण मरीज ईलाज नहीं करा पा रहे हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त घटनाओं का संज्ञान लेते हुए एक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन कर मौत के रहस्यों को सार्वजनिक करें तथा संलिप्त व्यक्ति/संस्था/ डॉक्टरों/अस्पतालों पर कड़ी करवाई करें साथ ही साथ झारखण्ड के सभी लोगों के लिए ईलाज के पुख्ता इंतजाम कराने हेतु समुचित कार्रवाई करेंगे।
Edited By: Shailendra Sinha