साक्षात्कार: झारखंड में 15 साल तक भाजपा के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित- कांग्रेस

विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समाज को भी मिलेगी समूचित भागीदारी

साक्षात्कार: झारखंड में 15 साल तक भाजपा के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित- कांग्रेस

राजेश ठाकुर के नेतृत्व में हमने उम्दा प्रदर्शन किया. लोहरदगा और खूंटी की सीट भी हमने भाजपा से छीन ली, रही बात नेतृत्व परिवर्तन की, इस तरह के बदलाव संगठन में होते रहते हैं और आगे भी होते रहेंगे. विधानसभा चुनाव में हम राजेश ठाकुर के नेतृत्व में मैदान में उतरें या केशव महतो कमलेश नेतृत्व प्रदान करें, यह कोई मुद्दा नहीं है, इतना साफ है कि आने वाला 15 साल तक सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यह काफिला आगे बढ़ता रहेगा, और भाजपा के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित है. 

झारखंड कांग्रेस प्रवक्ता डॉ तौसिफ के साथ लम्बी बातचीत का कुछ चुनिंदा हिस्सा

देवेन्द्र कुमार: होटवार जेल के वापसी के बाद सोनिया गांधी के आग्रह पर ही हेमंत सोरेन ने राज्य की बागडोर अपने हाथ में लगी थी, जिसकी अंतिम परिणति चंपाई सोरेन के बगावत के रुप में हुई, तो क्या महागठंधन के सामने पसरी इस मुसीबत की मुख्य वजह कांग्रेस है? 

डॉ. तौसिफ: वर्ष 2019 का चुनाव हमने हेमंत सोरेन के चेहरा पर लड़ा था, भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखलाया था, सरकार का कामकाज भी शानदार रहा, जब पूरे देश में कोरोना के कारण सिस्टम अस्त-व्यस्त हो चुका था. बिखरी लाशों की तस्वीरें आ रही थी, शव को नदियों में बहाया जा रहा था, ऑक्सीजन की मारा-मारी थी. झारखंड में सब कुछ नियंत्रित रहा. जब पूरे देश में मजदूरों को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गय़ा. निराशा-हताशा के आलम में मजदूर खाली पैर अपने-अपने राज्यों की निकल पड़े, यह हेमंत सोरेन ही थें, जिन्होने अपने झारखंडी भाईयों को वापस लाने के लिए हवाई जहाज तक का सहारा लिया. लेकिन भाजपा को यह सब हजम नहीं हुआ और एक फर्जी मामले में जेल डालकर सत्ता हड़पने की साजिश रची गयी. लेकिन कोर्ट में साजिश का पर्दाभाश हो गया और जमानत मिली तो स्वाभाविक रुप से सीएम की कुर्सी उनको ही मिलना चाहिए था. कोर्ट के फैसले के बाद एक क्षण भी देरी किये बगैर खुद ही चंपाई सोरेन को सत्ता छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्या झारखंडी जनआकांक्षाओं का अपमान नहीं था?

देवेन्द्र कुमार: चंपाई सोरेन के इस बगावत का चुनावी अखाड़े में क्या असर देखने को मिलेगा?

डॉ. तौसिफ: इसका क्या असर होगा, यह समझने के लिए झामुमो का अतीत को समझना बेहद जरुरी है, जिन लोगों ने भी पहले झामुमो का साथ छोड़ा है, आज वे कहां है? चंपाई सोरेन भी उसी कतार में एक होंगे. यह बगावत नहीं है, यह सिर्फ स्वार्थ साधने का सियासी महत्वाकांक्षा है. ना तो इसका कोल्हान में होगा ना ही संताल  में, बाकि हिस्सों की तो बात ही छोड़ दीजिये.

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देवेन्द्र कुमार: कोल्हान में आपका इकलौता विधायक सोना राम सिंकू का भविष्य दांव पर है, दावा किया जाता है कि पिछली बार उनकी जीत के पीछे मधु कोड़ा की ताकत थी, लेकिन इस बार मधू कोड़ा तो भाजपा के साथ हैं, इस हालत में जगन्नाथपुर के लिए कांग्रेस के पास प्लान क्या है?

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डॉ. तौसिफ: हमारी हार जीत हमारे संगठन की ताकत पर निर्भर करती है, इसमें किसी एक व्यक्ति की कोई भूमिका नहीं होती, इस बार सोना राम सिंकू उससे भी अधिक वोट से जीत कर वापस आने जा रहे हैं. और यदि मधु कोड़ा का चेहरा इतना भी बड़ा है तो फिर लोकसभा चुनाव में गीता कोड़ा की हार क्यों हुई?  

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देवेन्द्र कुमार: गठबंधन कितना मजबूत है, क्या आपसी रिश्तों में खटपटाहट की खबर सही है?

डॉ. तौसिफ: महागठबंधन के बीच कोई खटपटाहट नहीं है, पूरा गठबंधन एकजूट है, रही बात खटपटाहट की खबरों की, तो यह सब आप सबों की कृपा है, मीडिया के हमारे दोस्त ही बता सकते हैं कि इस तरह की खबरें उन्हे कहां से मिल रही है. 

देवेन्द्र कुमार: एक तरफ राहुल गांधी जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी की बात करते हैं,  लेकिन टिकट बंटवारे में वह तस्वीर दिखलायी नहीं पड़ती, लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया, फिर अल्पसंख्यक समुदाय राहुल गांधी के  इस नारे पर विश्वास क्यों करेगी? कुछ यही स्थिति पिछड़ी जातियों की भी है.

डॉ. तौसिफ: यह बिल्कुल ठीक है कि लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं मिला, लेकिन विश्वास रखिये, विधानसभा चुनाव में प्रर्याप्त भागीदारी मिलने जा रही है और ना सिर्फ मुस्लिम समाज को, बल्कि समाज के किसी भी हिस्से को इस तरह की शिकायत का अवसर नहीं मिलेगा.

देवेन्द्र कुमार: गठबंधन की  राजनीति के कारण कांग्रेस अपनी जमीन खोती जा रही है, जिस दलित, मुसलमान और ब्राह्म्ण को कभी कांग्रेस का रीढ़  माना जाता था, आज वह रीढ़ टूट चुकी है, दलित और मुसलमान क्षेत्रीय दलों में अपनी भागीदारी तलाश रहे हैं तो अगड़ी जातियां भाजपा में अपनी हिस्सेदारी की तलाश. इसमें कांग्रेस कहां है? संताल और कोल्हान जो कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, आज उस पर झामुमो का झंडा है.

डॉ. तौसिफ: दलित आदिवासी और अल्पसंख्यकों का साथ हमें नहीं मिला होता तो आज देश में पूर्ण रुप से भाजपा की सरकार होती, कांग्रेस के मजबूत जनाधार के कारण ही आज भाजपा वैसाखियों की सरकार चलानी पड़ रही है. और सिर्फ दलित आदिवासी और अल्पसंख्यक ही क्यों, समाज का हर वर्ग हमारे साथ है, रही बात संताल और कोल्हान की तो आज भी हम झामुमो के साथ उस इलाके में मजबूत स्थिति में है. झामुमो हमारा सहयोगी दल है. इन दोनों ही इलाकों में आज भाजपा कहां खड़ी है?

देवेन्द्र कुमार: कांग्रेस कितने सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है, और क्या वह जितनी सीटों की ख्वाहिश रखती है, उसकी  सियासी जमीन भी उतनी  मजबूत है. लोकसभा चुनाव में सभी गैर आदिवासी सीटों पर वह चुनाव हार गई. दावा किया जाता है कि यदि झामुमो की ओर से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा गया होता तो आज तस्वीर दूसरी होती.

डॉ. तौसिफ: झामुमो और कांग्रेस एक सहयोगी दल है. मुख्य बात भाजपा को रोकने की है, ताकि जल जंगल और जमीन का सवाल पीछे नहीं चला जाय. अब कौन अधिक सीट पर लड़ेगा और कौन कम पर, यह हम आपस में बेहतर तरीके से तय कर लेंगे, इसको लेकर कोई संशय की स्थिति नहीं है. 

देवेन्द्र कुमार: ठीक चुनावी अखाड़े में जाने के पहले कांग्रेस ने अपना सेनापति बदल दिया, क्या लोकसभा चुनाव में मिली हार, इसकी वजह थी, क्या राजेश ठाकुर के बदले केशव महतो कमलेश पर दांव सिर्फ इसलिए खेला गया, क्योंकि उनके पीछे महतो सरनेम था. राजेश ठाकुर के चेहरे के सहारे लक्ष्य को भेदना मुश्किल हो गया था.

डॉ. तौसिफ: राजेश ठाकुर के नेतृत्व में हमने उम्दा प्रदर्शन किया. लोहरदगा और खूंटी की सीट भी हमने भाजपा से छीन ली, रही बात नेतृत्व परिवर्तन की, इस तरह के बदलाव संगठन में होते रहते हैं और आगे भी होते रहेंगे. विधानसभा चुनाव में हम राजेश ठाकुर के नेतृत्व में मैदान में उतरें या केशव महतो कमलेश नेतृत्व प्रदान करें, यह कोई मुद्दा नहीं है, इतना साफ है कि आने वाला 15 साल तक सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यह काफिला आगे बढ़ता रहेगा, और भाजपा के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित है. 

https://youtu.be/QeaBKfRPNbM?si=_ab6EJ0vl1UhLP7l

Edited By: Sujit Sinha

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