सत्ता नहीं, हेमंत सरकार के भ्रष्टाचार से मुक्ति ही एकमात्र लक्ष्य: बाबूलाल मरांडी
राजधनवार हमारा घर, प्रतिद्वंद्वी कोई हो, भाजपा की जीत को लेकर कोई संशय नहीं
हेमंत सरकार का पांच साल नाकामियों का खुला दस्तावेज है. किसी भी मोर्चे पर इस सरकार को सफलता हाथ नहीं लगी, और तो और अपने पिता शिबू सोरेन को साक्षी मान कर हेमंत ने जो कसम खाई थी, उस वादे को भी पूरा करने में वे नाकामयाब रहे. ना तो महिलाओं को चूल्हा भत्ता मिला और ना ही नव विवाहितों को सोने का सिक्का, बावजूद इसके सफलता का ढोल पीटा जाता रहा, अब इसका माकूल जवाब झारखंड की जनता देगी. हेमंत सरकार के कार्यकाल, मौजूदा सियासी हालात और भाजपा के अंदर मचे उथल- पुथल पर राज्य के पूर्व सीएम और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल से समृद्ध झारखंड की खास बातचीत.
समृद्ध झारखंड: पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, घाटशिला से पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, जमुआ विधायक केदार हाजरा सहित दर्जनों नेताओं ने पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया. इसका भाजपा के चुनावी संभावना पर क्या असर होगा?
बाबूलाल मरांडी: हर पार्टी में टिकट को लेकर कार्यकर्ताओं की अपनी उम्मीद होती है, लेकिन टिकट की संख्या सीमित होती है, हर किसी को खुश नहीं किया जा सकता और जो पार्टी छोड़ कर गयें, सिर्फ वही भाजपा के कार्यकर्ता नहीं थें. दूसरे कार्यकर्ताओं की भावनाओं का भी सम्मान करना होता है. टिकट कटने पर निराशा स्वाभाविक है, मनाने की कोशिश जारी है. बहुत जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जायेगा.
समृद्ध झारखंड: हेमंत को चुनावी अखाड़े में परास्त कर चुकी और संताल की सियासत में पार्टी का एक बड़ा चेहरा लुईस मरांडी का इस चुनावी संग्राम के बीच पार्टी छोड़ कर जाना कितनी बड़ी चुनौती है?
बाबूलाल मरांडी: पार्टी छोड़ने की पीड़ा उनके चेहरे से झलक रही थी. इन तीन दशकों में पार्टी ने लुईस मरांडी को सब कुछ दिया. आपको पता होना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के वक्त पार्टी ने पहले दुमका से सुनील सोरेन को टिकट दिया था, बाद में सुनील सोरेन के चेहरे को पीछे करते हुए सीता सोरेन को आगे किया गया. इस हालत में इस बार पार्टी ने सुनील सोरेन को दुमका से अवसर देने का फैसला किया. बावजूद इसके यदि लुईस मरांडी ने जो फैसला. हमारी शुभकामनाएं उनके साथ है.
समृद्ध झारखंड: लुईस मरांडी का दावा है कि झारखंड में एक नयी भाजपा का प्रवेश हो चुका है, जिसके कारण भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ रही है, उनका इशारा झारखंड भाजपा चुनाव सह प्रभारी हिमन्त बिश्व शर्मा की ओर था?
बाबूलाल मरांडी: यह उनकी सोच है, भाजपा कार्यकर्ता पूरे जोश और उमंग के साथ इस चुनावी संग्राम में कूदने को तैयार हैं, पूरी पार्टी एकजूट और दृढ़ संकल्पित है. सारे फैसले सामूहित नेतृत्व का नतीजा है.
समृद्ध झारखंड: आरोप है कि इस बार के टिकट वितरण में कुछ बड़े नेताओं ने टिकटों का बंदरबांट कर लिया. किसी ने पत्नी, किसी ने बेटा तो किसी ने पतोहु के लिए टिकट हासिल करने में कामयाबी हासिल की.
बाबूलाल मरांडी: सबकी अपनी चाहत होती है. यह प्रवृति हर जगह देखने को मिलती है. यदि पार्टी ने युवाओं को आगे बढ़ाने का फैसला किया है, तो इसमें बूरा क्या है?
समृद्ध झारखंड: लेकिन चार दशक के राजनीतिक जीवन में आपने तो कभी इस तरह की कोशिश नहीं की?
बाबूलाल मरांडी: सबका अपना मिजाज होता है, हम इस मिजाज के व्यक्ति नहीं हैं, कभी भी इस तरह की कोशिश नहीं की. पूरे राजनीतिक जीवन में कभी भी अपने बेटे-बेटी या सगे संबंधियों को आगे बढ़ाने का एक भी प्रयास नहीं किया. यह तो व्यक्ति के मिजाज से तय होता है, इसका पार्टी से क्या संबंध है?
समृद्ध झारखंड: हेमंत सरकार के इन पांच वर्षों कामकाज को आप किस रुप में देखते हैं?
बाबूलाल मरांडी: कौन से मोर्चे पर यह सरकार सफल रही? किस वादे को पूरा किया गया? सेना की जमीन से लेकर आदिवासियों की जमीन तक सब कुछ तो इसी सरकार में बेचा गया. कौन सा ऐसा पाप है, जो बाकी रहा. हर मोर्चे पर यह सरकार विफल रही, पिता शिबू सोरेन का कसम खा कर महिलाओं से चुल्हा भत्ता और नव विवाहितों को सोने का सिक्का देने का वादा हुआ था, कम से कम उस वादे को तो पूरा किया जाता.
समृद्ध झारखंड: इस बार राजधनवार की सीट माले के खाते में दिख रही है, राजकुमार यादव को माले एक बार फिर से अपना चेहरा बना सकती है, क्या इससे आपके सामने कोई चुनौती खड़ी होती दिखती है?
बाबूलाल मरांडी: पिछला बार भी राजकुमार यादव के ही खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी. फिर इस बार कौन सी चुनौती खड़ी हो गयी? राजधनवार हमारा घर है, क्या किसी को अपने घर में कोई चुनौती मिलती है, राजधनवार का हर नागरिक हमारे परिवार का हिस्सा है, इतनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद भी हम हर 15 दिन पर एक बार जरुर से राजधनवार जाते हैं, वहां के लोगों का दुख- दर्द को समझने की कोशिश करते हैं. राजधनवार में हमारे सामने कोई चुनौती ना तो पहले कभी थी और ना आज है.
समृद्ध झारखंड: कुछ लोगों की शिकायत है कि यदि बाबूलाल किसी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ते तो राजधनवार से किसी सामान्य जाति के चेहरे को जगह मिलती?
बाबूलाल मरांडी: राजधनवार के आसपास कोई आरक्षित सीट नहीं है, फिर क्या हम अपना घर छोड़े दें, आज भी हमारा नाम वहां मतदाता के रुप में दर्ज है.
समृद्ध झारखंड: आप झारखंड की सियासत में उन चंद चेहरों में से एक हैं, जो किसी आरक्षित सीट के बजाय सामान्य सीट से चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं, यह ताकत आपको कहां से मिलती है.
बाबूलाल मरांडी: आरक्षित-अनारक्षित के खेल में कभी नहीं पड़ा, दुमका से चुनाव जीता तो कोडरमा जैसे अनारक्षित सीट से भी जीत दर्ज की और जब सीएम बना तब भी रामगढ़ जैसे अनारक्षित सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचा था. इस सफलता के पीछे लोगों का प्यार और स्नेह है. यह सफलता भी उन्ही को समर्पित है.