भाजपा को एक और झटका! अब हेमंत के खिलाफ बरहेट से ताल ठोक चुके साइमन मालटो ने छोड़ा साथ
पहाड़िया जनजाति का उपेक्षा करने का आरोप
वर्ष 2019 में साइमन मलटो ने बरहेट विधान सभा से भाजपा के चुनाव चिह्न पर हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव चुनाव लड़ते हुए 47,985 वोट पाया था, जबकि हेमंत सोरेन को 73,725 के साथ जीत मिली थी. साइमन मलटो का आरोप है कि टिकट वितरण में भाजपा उस पहाडिया जनजाति की उपेक्षा कर रही है, जो अब तक उसका परंपरागत वोटर रहा है. साइमन मलटो भी उसी पहाड़िया समुदाय से आते हैं.
रांची: कल केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का झारखंड दौरा के ठीक पहले भाजपा को दो करारा झटका लगा है, पहले झारखंड भाजपा उपाध्यक्ष प्रणव कुमार वर्मा ने पार्टी छोड़ने का एलान किया और अब वर्ष 2019 में बरहेट से हेमंत सोरेन के खिलाफ ताल ठोकने वाले साइमन मालटो ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है.
पहाड़िया जनजाति का उपेक्षा करने का आरोप
आपको बता दें कि वर्ष 2019 में साइमन मलटो ने बरहेट विधान सभा से भाजपा के चुनाव चिह्न पर हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव चुनाव लड़ते हुए 47,985 वोट पाया था, जबकि हेमंत सोरेन को 73,725 के साथ जीत मिली थी. साइमन मलटो का आरोप है कि टिकट वितरण में भाजपा उस पहाडिया जनजाति की उपेक्षा कर रही है, जो अब तक उसका परंपरागत वोटर रहा है. साइमन मलटो भी उसी पहाड़िया समुदाय से आते हैं. संताल में संतालियों के बाद पहाडिया जनजाति की एक बड़ी आबादी है. माना जाता है कि पहाड़िया जनजाति के बीच साइमन मलटो का मजबूत सियासी पकड़ है. साइमन मलटो के पहले लुईस मरांडी भी भाजपा छोड़कर झामुमो का दामन साथ चुकी है. लुईस मरांडी को भी संताल में भाजपा का एक बड़ा चेहरा समझा जाता था, वर्ष 2014 में दुमका सीट से हेमंत सोरेन जैसे कद्दवार चेहरे को भी शिकस्त देने का कारनामा भी कर चुकी है. बावजूद इसके इस बार बेटिकट कर दी गयी.