मांडर विधानसभा 2024: बंधू तिर्की का कारवां बढ़ायेगी शिल्पी नेहा तिर्की या सन्नी टोप्पो खिलायेंगे कमल
वर्ष 2014 में गंगोत्री को हाथों खिला था कमल
सन्नी टोप्पो कितनी मजबूत चुनौती पेश कर सकेंगे, यह देखने वाली बात होगी. हालांकि शिल्पी नेहा तिर्की और बंधू तिर्की अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वस्त नजर आ रहे हैं, बंधू तिर्की का दावा है कि कहीं कोई मुकाबला नहीं है, कांग्रेस की जीत महज औपचारिकता है, लेकिन अंतिम फैसला तो मतपटियों से ही निकल कर सामने आयेगा.
रांची: लोहरदगा लोकसभा का हिस्सा मांडर विधानसभा में वर्ष 2005,2009 और 2019 में बंधू तिर्की अलग अलग पार्टियों के बनैर तले जीत दर्ज कर चुके हैं. वर्ष 2005 में बंधू तिर्की ने गोवा डमोक्रैटिक पार्टी, वर्ष 2009 में झारखंड जनाधिकार मंच और वर्ष 2019 में झाविमो के टिकट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि आय से अधिक मामले में उनकी विधायकी जाने के बाद बेटी शिल्पी नेहा तिर्की ने मोर्चा संभाला और 2022 के उपचुनाव में जीत दर्ज करने में सफल भी रही, इस बार कांग्रेस ने शिल्पी नेहा तिर्की पर एक बार फिर से दांव लगाया है, जबकि भाजपा ने सन्नी टोप्पो को मोर्चे पर तैनात किया है. वर्ष 2014 में कमल खिलाने वाले गंगोत्री कुजूर पर इस बार पार्टी ने दांव लगाना बेहतर नहीं समझा, दरअसल वर्ष 2022 के उपचुनाव में पार्टी ने एक बार फिर से गंगोत्री कुजूर पर दांव लगाया था, लेकिन गंगोत्री कुजूर शिल्पी नेहा तिर्की का मुकाबला सफलता का परचम फहराने में सफल नहीं हो सकी, इस हालत में देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी ने सन्नी टोप्पो जैसे युवा चेहरा पर जो दांव खेला है, कितना कामयाब रहता है.
वर्ष 2014 में गंगोत्री को हाथों खिला था कमल
यदि मांडर के पुराने इतिहास को खंगाले तो इस सीट से वर्ष 2000 में देवकुमार धान ने पंजा को जीत दिलाई थी, जबकि वर्ष 2005 और 2009 में बंधू तिर्की ने जीत का सेहरा बांधा, लेकिन वर्ष 2014 में गंगोत्री कुजूर कमल खिलाने में कामयाब रही. वर्ष 2022 के उप चुनाव में शिल्पी नेहा तिर्की के हिस्से 95,486 तो गंगोत्री कुजूर के खाते में 71,796 वोट आया था, जबकि पूर्व विधायक देव कुमार धान ने निर्दलीय अखाड़े में कूदते हुए 22,424 वोट पाने में कामयाब हुए थें. जबकि वर्ष 2019 में बंधू तिर्की के हिस्से 92,491 तो देव कुमार धन भाजपा की ओर से बैटिंग करते हुए महज 69,364 पर सिमट गये थें, जबकि उस वक्त के कांग्रेस उम्मीदवार सन्नी टोप्पो 8,840 के साथ चौथे स्थान पर थें.
हार जीत का अंतर करीबन 23 हजार का था. इस हालत में इस बार सन्नी टोप्पो कितनी मजबूत चुनौती पेश कर सकेंगे, यह देखने वाली बात होगी. हालांकि शिल्पी नेहा तिर्की और बंधू तिर्की अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वस्त नजर आ रहे हैं, बंधू तिर्की का दावा है कि कहीं कोई मुकाबला नहीं है, कांग्रेस की जीत महज औपचारिकता है, लेकिन अंतिम फैसला तो मतपटियों से ही निकल कर सामने आयेगा.