पोटका विधानसभा चुनाव 2024: मीरा के सामने संजीव सरदार का कीर्तिमान धवस्त करने की चुुनौती
भूमिज के किले को भेदना मीरा मुंडा की चुनौती
पोटका विधानसभा की तीन उस सीट में शामिल है, जहां वर्ष 2019 में झामुमो ने जीत का परचम 50 फीसदी से अधिक मतों से हासिल किया था. बहरागोड़ा में समीर मोहंती को 61.99 फीसदी मतों के साथ जीत मिली थी, सिसई में सुसारण होरो ने भाजपा के दिनेश उरांव को 57.85 के साथ शिकस्त देने में कामयाबी हासिल की थी, जबकि पोटका में संजीव सरदार को मेनका सरदार को करीबन 55.6 फीसदी मत के साथ पराजित करने में कामयाबी मिली थी
रांची: झारखंड के सियासी संग्राम में झामुमो का किला कोल्हान को भेदना भाजपा की एक बड़ी चुनौती है. यही कारण है कि दोनों ही तरह से जबरदस्त मोर्चेबंदी जारी है. आज कल्पना सोरेन सराईकेला के दौरे पर हैं तो कल अमित शाह धालभूमगढ़ में चुनावी रैली करेंगे, इसके साथ ही चार नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी चाईबासा में होंगे. यदि हम कोल्हान की बात करें तो भाजपा के लिए इस बार सराईकेला और पोटका सीट प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है, सराईकेला से पूर्व सीएम चंपाई सोरेन अपनी सियासी जिंदगी में पहली बार भाजपा के चुनाव चिह्न पर अखाड़े में हैं, तो भूमिज बहुल पोटका से पहले बार भाजपा ने एक गैर भूमिज चेहरा पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को अखाड़े में उतारा है.
बदल गया है दल का झंडे का रंग
सराईकेला की बात करें तो पिछली बार इस सीट से भाजपा उम्मीदवार गणेश महली को झामुमो उम्मीदवार चंपाई सोरेन के हाथों करीबन 16 हजार मतों से मात खानी पड़ी थी, हालांकि वर्ष 2014 चंपाई सोरेन को गणेश महली के हाथों 1,115 मतों से मात खानी पड़ी थी. इस सियासी संग्राम की सबसे मजेदार स्थिति यह है कि इस बार दोनों ने अपना-अपना दल और झंडे का रंग बदल लिया है इस हालत में देखना होगा कि इस बार यह कोशिश कितनी रंग लाती है. लेकिन भाजपा को सबसे कठिन चुनौती पोटका से मिलने की उम्मीद है
भूमिज के किले को भेदना मीरा मुंडा की चुनौती
दरअसल पोटका विधानसभा की तीन उस सीट में शामिल है, जहां वर्ष 2019 में झामुमो ने जीत का परचम 50 फीसदी से अधिक मतों से हासिल किया था. बहरागोड़ा में समीर मोहंती को 61.99 फीसदी मतों के साथ जीत मिली थी, सिसई में सुसारण होरो ने भाजपा के दिनेश उरांव को 57.85 के साथ शिकस्त देने में कामयाबी हासिल की थी, जबकि पोटका में संजीव सरदार को मेनका सरदार को करीबन 55.6 फीसदी मत के साथ पराजित करने में कामयाबी मिली थी. गौरतलब यह भी है कि सिसई और पोटका दोनों ही विधानसभा में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा है, तो क्या पोटका मीरा मुंडा को महिला मतदाताओं का साथ मिल सकता है. मीरा मुंडा की मुश्किल यह है कि वह खुद मुंडा जनजाति से आती है, जबकि पोटका को भूमिज जनजाति का किला माना जाता है. इस हालत में इस बार पोटका का सियासी रंग क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी.