आदिवासी समाज के अस्तित्व के लिए एनआरसी जरुरी: बाबूलाल मरांडी
1951 में 36 फीसदी थी आदिवासी समुदाय की आबादी, 2011 में 26 फीसदी रह गयी
1951 के जनगणना के अनुसार, झारखंड में जनजातीय समुदाय की आबादी 36% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 26% हो गई है। वहीं मुसलमानों की आबादी 9% से बढ़कर लगभग 14.5% तक जा पहुँची है। इसी दरम्यान हिंदुओं की आबादी भी लगभग 7% घटकर 88% से 81% पर पहुँच गई है
रांची: झारखंड में आदिवासी समाज के अस्तिव को बचाने के लिए एनआरसी जरुरी है, बगैर इसके आदिवासी समाज की अस्मिता, उनकी पहचान और उनकी सांस्कृतिक परंपरा को बचाया नहीं जा सकता. यह दावा पूर्व सीएम बाबूलाल की ओर से किया गया है, अपने एक्स एकाउंट पर एनआरसी की जरुरत को रेखांकित करते हुए बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि “झारखंड में आदिवासी समाज के अस्तित्व को बचाने और घुसपैठ पर नकेल कसने के लिए एनआरसी लागू करना बेहद जरूरी है। जिस प्रकार से झामुमो कांग्रेस के संरक्षण में बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह देकर उनके अवैध दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, ये भविष्य के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। संथाल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा समेत 6 जिलों से 16% जनजातीय समुदाय के लोग घटे हैं। जबकि मुस्लिमों की आबादी में 13% की वृद्धि हुई है। संथाल परगना के दो जिले साहिबगंज और पाकुड़ में तो मुस्लिमों की संख्या 35% बढ़ी है।
1951 36 फीसदी थी आदिवासियों की आबादी, 2011 में 26 फीसदी रह गयी
बाबूलाल ने आगे लिखा है कि “1951 के जनगणना के अनुसार, झारखंड में जनजातीय समुदाय की आबादी 36% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 26% हो गई है। वहीं मुसलमानों की आबादी 9% से बढ़कर लगभग 14.5% तक जा पहुँची है। इसी दरम्यान हिंदुओं की आबादी भी लगभग 7% घटकर 88% से 81% पर पहुँच गई है। झारखंड में आदिवासियों की घटती आबादी का बुरा असर उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी और सरकारी नौकरियों में घटते अवसर के रूप में पड़ने वाला है। यदि अवैध घुसपैठ की स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो आदिवासी समाज के सांसदों, विधायकों की संख्या भी कम हो जाएगी। संथाल परगना के क्षेत्र में मुस्लिम युवक आदिवासी महिला जनप्रतिनिधियों से विवाह कर डेमोग्राफी बदलने का प्रयास कर रहे हैं।झारखंड में भाजपा सरकार बनते ही घुसपैठ विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी और एनआरसी लाकर सारे बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर उन्हें चुन-चुनकर राज्य की सीमा से बाहर किया जाएगा