Bihar Election 2025: खेसारी के लिए क्या है चुनौतियां, क्या जातीय कैलकुलेटर में फंस सकता है स्टारडम ?

Bihar Election 2025: खेसारी के लिए क्या है चुनौतियां, क्या जातीय कैलकुलेटर में फंस सकता है स्टारडम ?
छपरा सीट पर चुनाव प्रचार और भीड़ का दृश्य (तस्वीर)

पटना: छपरा विधानसभा सीट बिहार चुनाव 2025 में सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। इस सीट पर भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और आरजेडी प्रत्याशी खेसारी लाल यादव के आने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। हालांकि, छपरा की राजनीति सिर्फ स्टारडम पर नहीं, बल्कि जातिगत समीकरणों, परंपरागत वोट बैंक और स्थानीय मुद्दों पर भी निर्भर करती है।​

छपरा में जातीय समीकरण का गणित

छपरा सीट का जातीय समीकरण बेहद महत्वपूर्ण है। यहां लगभग 90,000 बनिया, 50,000 राजपूत, 45,000 यादव, 39,000 मुस्लिम और 22,000 से अधिक अन्य समुदायों के मतदाता हैं। पिछले कई दशकों से इस सीट पर यादव और राजपूत समुदाय का वर्चस्व रहा है और 1965 से 2014 तक केवल इन्हीं समाजों के विधायक चुने गए। हालांकि परिसीमन के बाद से यहां वैश्य वोटरों का प्रभाव भी बढ़ा है और बनिया समाज की राजनीतिक भागीदारी निर्णायक मानी जा रही है.

भाजपा के लिए इस बार चुनौती तब और बढ़ गई जब पार्टी ने अपनी पुरानी उम्मीदवार की जगह छोटी कुमारी को उतारा, जो बनिया समाज से आती हैं, वहीं पार्टी की बागी नेता राखी गुप्ता ने निर्दलीय के रूप में ताल ठोंक कर भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा बढ़ा दिया है। दूसरी ओर, खेसारी लाल यादव अपने स्टारडम और आरजेडी के मजबूत मुस्लिम-यादव समीकरण के सहारे मजबूती से सामने आ रहे हैं।

स्थानीय मुद्दे और अंतिम लड़ाई

चुनाव प्रचार के दौरान खेसारी की लोकप्रियता साफ दिखती है, लेकिन छपरा के मतदाता सिर्फ स्टारडम पर वोट नहीं देते। यहां विकास, रोजगार, कानून-व्यवस्था और स्थानी मुद्दे भी बहुत बड़े फैक्टर हैं। पिछली बार यहां से बीजेपी के डॉ. सीएन गुप्ता को सबसे ज्यादा 75,710 वोट प्राप्त हुए थे, जबकि आरजेडी के रणधीर कुमार सिंह 68,939 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे.

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इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है और हर दल अपनी रणनीति में पूरी ताकत झोंक रहा है। 14 नवंबर को होने वाली वोटिंग तय करेगी कि छपरा की राजनीति में नया दौर शुरू होगा या परंपरा फिर कायम रहेगी।

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Edited By: Samridh Desk
Sujit Sinha Picture

सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।

'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।

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