हटिया का किंग कौन! नवीन जायसवाल का चौका या अजयनाथ शाहदेव रोक लेंगे कारवां
तीन बार जीत कांग्रेस का परचम फहरा चुके हैं सुबोधकांत सहाय
भाजपा एक बार फिर से पूरे शबाब में नजर आ रही है, उसकी तुलना में कांग्रेस प्रचार प्रसार के मोर्चे अत तक कुछ पीछे नजर आ रही है, हालांकि अभी वक्त है, इस हालत में देखना होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस कितनी मजबूत चुनौती दे पाती है.
रांची: हटिया विधानसभा में एक बार फिर से कांग्रेस ने अजयनाथ शाहदेव पर दांव लगाया है, हालांकि टिकट मिलने के पहले तक अजयनाथ शाहदेव के बारे में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की खबर थी. करीबन एक सप्ताह तक यह खबर सियासी गलियारों में तैरती रही, बावजूद इसके अजयनाथ शाहदेव की ओर इसका कोई खंडन सामने नहीं आया. लेकिन जैसे ही भाजपा की ओर से नवीन जायसवाल की उम्मीदवारी का एलान हुआ, अजयनाथ शाहदेव सामने आयें और भाजपा में शामिल होने की तमाम खबरों का खंडन किया. अ्जयनाथ शाहदेव की इस रणनीति के कारण अभी भी कांग्रेस समर्थकों के बीच भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है. दावा किया जा रहा है कि अजयनाथ शाहदेव की पहली चाहत तो भाजपा ही थी, लेकिन जब सीपी सिंह को सातवीं बार रांची के अखाड़े से उतारने का एलान हो गया, उसके बाद नवीन जायसवाल का एक बार फिर से हटिया से चुनाव लड़ना तय हो गया, अब अजयनाथ शाहदेव के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था और आखिरकार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. यदि इसके बावजूद भी कांग्रेस को अजयनाथ शाहदेव पर दांव लगाना पड़ा तो समझा जा सकता है कि हटिया कांग्रेस के लिए कितनी बड़ी चुनौती है.
तीन बार जीत कांग्रेस का परचम फहरा चुके हैं सुबोधकांत सहाय
आपको बता दें कि हटिया विधानसभा का गठन वर्ष 1977 में हुआ था, सुबोधकांत सहाय तीन बार हटिया से जीत दर्ज कर चुके हैं. 1990 में इस सीट पर संघ का पुराना चेहरा रहे रामजी लाल सारडा ने भाजपा का कमल खिलाया था, वर्ष 2005 और 2009 में कांग्रेस के गोपलनाथ शाहदेव ने कांग्रेस की झोली में जीत का तोहफा डाला, लेकिन वर्ष 2012 के उपचुनाव में मौजूदा विधायक नवीन जायसवाल ने आजसू के टिकट पर जीत दर्ज की, जिसके बाद वर्ष 2014 में नवीन जायसवाल ने झाविमो और 2019 में भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की, इस बार भाजपा आलाकमान ने एक बार फिर से नवीन जायसवाल पर भरोसा जताया है.
अभी तक नहीं चढ़ा है कांग्रेस पर चुनावी रंग
यदि सामाजिक समीकरणों की बात करें तो हटिया में 4फीसदी दलित, 28 फीसदी आदिवासी, 15 फीसदी मुस्लिम, तीन फीसदी महतो और तीन फीसदी के आसपास तेली जाति के मतदाता हैं. जहां तक मौजूदा सियासी जंग का सवाल है, भाजपा एक बार फिर से पूरे शबाब में नजर आ रही है, उसकी तुलना में कांग्रेस प्रचार प्रसार के मोर्चे अत तक कुछ पीछे नजर आ रही है, हालांकि अभी वक्त है, इस हालत में देखना होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस कितनी मजबूत चुनौती दे पाती है.