JSSC-CGL: सरकार को अगर युवाओं की चिंता तो तुरंत CBI को सौंपे केस: बिजय चौरसिया
28 जनवरी को JSSC-CGL परीक्षा-2023 के पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा
बिजय चौरसिया ने कहा प्याज के छिलके की तरह उतरता जा रहा है सीजीएल का स्कैम, कई नामचीन शख्सियतों के चेहरों से भी उतरेंगे नकाब, सरकार को अगर राज्य के युवाओं की चिंता है तो तुरंत सीबीआई को सौंपे CGL का केस
रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता बिजय चौरसिया ने सरकार की मानसिकता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि यदि हेमंत सरकार को क्षेत्र के युवाओं की चिंता है तो वो बगैर देर किए सीजीएल का केस सीबीआई को सौंपे. कहा कि अब राज्य सरकार की SIT भी कह रही है कि CGL में घोर अनियमितता और मनमानी बरती गई है. सुनियोजित तरीके से राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और इस खेल के हमाम में हेमंत सरकार भी नंगी दिख रही है. कहा अब इससे ज्यादा गड़बड़झाला क्या हो सकता है कि अभ्यर्थी हीं परीक्षा प्रश्न पत्र को सेट करे.
उन्होंने कहा आश्चर्य कि बात है राज्य के हजारों युवाओं द्वारा बार बार सचेत करने के बाद भी यह सरकार कान में रुई देकर सोई रही. युवाओं के भविष्य को लेकर कुछ न सोचा बल्कि अपने बेनकाब होते लोगों को बचाने में लगी रही. कहा जिस तरह से कुछ प्रतिष्ठित मीडिया हाउसों ने जो खबर साझा की है सरकार को शर्म से पानी पानी हो जाना चाहिए था. चौरसिया ने आगे कहा कि यदि सरकार में अभी भी कोई शर्म हया बची है तो अविलंब यह केस सीबीआई के हवाले करे.
उन्होंने बताया जानकारी हो कि 28 जनवरी 2024 को JSSC-CGL परीक्षा-2023 के पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. रांची पुलिस की SIT ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में पेपर लीक के लिए परीक्षा एजेंसी सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड और JSSC की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि छापाखाना से लेकर रांची ट्रेजरी में पेपर रखने में भारी सुरक्षा चूक हुई है. ट्रक से पेपर उतारकर ट्रेजरी में रखने के दौरान जो कर्मचारियों और मजदूरों को लगाया गया था उनके पास मोबाइल फोन मौजूद था. सभी के मोबाइल ट्रेजरी के अंदर गए, जहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हुए थे. एक दैनिक अखबार ने पेपर लीक को लेकर बड़े खुलासे किये है.
सीजीएल के पेपर को तैयार करने की जिम्मेदारी सतवत इंफोसोल के जिम्मे दिया गया था जिसका पूरा काम एजेंसी के क्लाइंट रिलेशनशिप मैनेजर तन्मय कुमार दास कर रहे थे. पेपर चेन्नई और रांची के शिक्षकों ने तैयार किया था.
चौरसिया ने कहा कि सबसे चौकाने वाला खुलासा पंचपरगनिया भाषा के पेपर को लेकर हुआ है. इस पेपर को रांची वीमेंस कॉलेज की सहायक प्रोफेसर सबिता कुमारी मुंडा ने सेट किया था, इसमें उनके पति एंथोनी मुंडा ने उनको मदद की थी. आश्चर्य की बात ये है कि एंथोनी मुंडा खुद सीजीएल की परीक्षा दे रहे थे. सबिता ने इस बात को आयोग और परीक्षा एजेंसी दोनों से छिपाई थी. सबिता जनवरी 2018 से अनुबंध पर रांची विश्वविद्यालय के वीमेंस कॉलेज में पढ़ा रही है. उनके पति एंथोनी ने पश्चिम सिंहभूम के लुपुंगगुटू स्थित संत जेवियर स्कूल में सीजीएल की परीक्षा दी थी, लेकिन पेपर लीक होने के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया.
सबिता ने एसआई को बताया कि पीएचडी करने के दौरान वो तन्मय से पहली बार मिली थी. सितंबर 2022 में तन्मय ने उन्हे फोन पर ही परीक्षा का पेपर तीन सेट में तैयार करने को कहा था. सिलेबस को वॉट्सएप पर भेजा, इसमें उन्होने अपने पति की मदद ली. पेपर को पति के लैपटॉप पर तैयार किया गया और उसका प्रिंटआउट तन्मय को दे दिया गया जबकि ऑरिजनल पेपर लैपटॉप में ही था.
कहा जाता है कि एक महीने के बाद तन्मय ने फिर तीन सेट में पेपर तैयार करने को कहा, पेपर तैयार होने पर एंथोनी लैपटॉप लेकर रांची बस स्टैंड पहुंचा जहां उसने तन्मय के पेन ड्राइव में पेपर को कॉपी कर दिया. कहा इस दौरान भी मेन पेपर एंथोनी के लैपटॉप में ही छोड़ दिया गया. कहा गजब है कि पेपर सेट करने के लिए कोई लिखित एग्रीमेट नहीं किया गया था. फोन पर हीं सब सेट हो गया था.
चौरसिया ने कहा कि इसी तरह का खेल नागपुरी भाषा का पेपर में भी हुआ. खूंटी के बिरसा कॉलेज में अनुबंध पर कार्यरत सहायक प्रोफेसर अंजुलता ने तैयार किया था. उन्होने एसआईटी को बताया कि तन्मय ने नवंबर 2023 में सीजीएल परीक्षा के लिए तीन सेट में 100 प्रश्न तैयार करने को कहा था. कोई भी पत्र देने से इंकार करते हुए उन्होने मोबाइल पर सिलेबस भेज दिया. एक महीने बाद उन्होने पेपर तैयार कर लिफाफे में तन्मय को भेज दिया जिसपर न कोई सील था और न ही कोई हस्ताक्षर. कुद दिन बार फिर पेपर भेजकर सुधार करने को कहा. 28 जनवरी को जो परीक्षा में पेपर दिया गया उसमें अधिकतर प्रश्न उनके तैयार किए हुए थे.
चौरसिया ने बताया कि कहानी है कि पुलिस ने सतवन इंफोसेल के नेटवर्क को-ऑडिनेटर ए अरविंद से पेपर की छपाई के दौरान का सीसीटीवी फुटेज मांगा तो उन्होने बताया कि डीवीआर में केवल 15 दिनों का वीडियो फुटेज स्टोर रहता है, उस समय का फुटेज नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह कम है कि राज्य की एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रश्न पत्रों की टाइपिंग, छपाई, पैकेजिंग, भंडारण की जगह सीसीटीवी की निगरानी होनी चाहिए थी जो नहीं था. ऐसे में कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य नष्ट करने का आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और पूरे मामले को सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए.