कटघरे में भाजपा का परिवारवाद! भाजपा नेता संदीप वर्मा ने खड़ा किया सवाल
कार्यकर्ताओं के दिमाग में कौंध रहा है पंडित दीनदयाल उपाध्याय का संदेश
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कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है. संभव है दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा. अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता-कार्यकर्ता का कर्तव्य है
रांची: टिकट वितरण के बाद भाजपा के अंदर मचा कोहराम पर विराम लगता नहीं दिख रहा है. मेनका सरदार, केदार हाजरा और गणेश महली के बाद अब झारखंड प्रदेश, कार्यसमिति सदस्य के सदस्य और रांची संसदीय सीट से टिकट की चाहत रखने वाले संदीप वर्मा ने भी टिकट वितरण पर कई सवाल खड़ा किया है. संदीप वर्मा ने अपने दर्द को भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता का दर्द बताया है.

इसके पीछे कौन सा मापदंड था. रघुवर दास उड़ीसा के गवर्नर है, और उनकी बहू पूर्णिमा ललित दास को पूर्वी जमशेदपुर का टिकट दिया गया, क्या कोई यह बता सकता है कि पूर्णिमा ललित दास का भाजपा में क्या योगदान है? अर्जुन मुण्डा की पत्नी मीरा मुण्डा का भाजपा में क्या योगदान है? ढुल्लू महतो का भाई शत्रुधन महतो ने कब पार्टी का झंडा ढोया, फिर किस आधार पर बाघमारा से टिकट प्रदान किया गया. रोशन लाल चौधरी पांच मिनट पहले आते हैं और टिकट ले उड़ते हैं, यह कौन सा मापदंड है. समीर उरांव, गीता कोड़ा, सीता सोरेन को चुनाव हारने के बावजूद टिकट देने के पीछे कौन सा तर्क है? फिर पार्टी के दूसरे कार्यकर्ताओं को अवसर कब मिलेगा? बाबूलाल मरांडी जैसे नेता यदि गैर आदिवासी सीट चुनाव लड़ेगा तो आदिवासी समाज के बीच इसका संदेश क्या जायेगा?
कार्यकर्ताओं के दिमाग में कौंध रहा है पंडित दीनदयाल उपाध्याय का संदेश
“कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है. संभव है दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा. अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता-कार्यकर्ता का कर्तव्य है।”