मंजूनाथ भजंत्री को लेकर सियासी तकरार तेज! झामुमो का दावा दलित-आदिवासी विरोधी है भाजपा
भाजपा विधायक नारायण दास ने लगाया थाअपमानित करने का आरोप
झामुमो की रणनीति मंजूनाथ भजंत्री का कथित अपमाना के मुद्दे को उछाल कर दलितों के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने की हो सकती है. और यही कारण है कि इस मामले में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी को खींचने की कोशिश की जा रही है.
रांची: चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को उपायुक्त पद से तबादला कर दिया गया. लेकिन अब मंजूनाथ भजंत्री को लेकर झामुमो और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच सियासी तकरार बढ़ता जा रहा है. झामुमो ने निशिकांत दुबे पर दलित आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है कि दलित IAS अफ़सर के लिए इनके शब्द सुनिए? आख़िर दलित/आदिवासी ही इन लोगों के निशाने पर क्यों रहते हैं? और इसमें से अगर एक बेहद ग़रीब घर से निकला दलित IAS बन गया और इनके सामने झुका नहीं तो सामंतवादियों को बर्दाश्त कैसे होगा? उसे हर रोज़ नीचा दिखाया जाएगा, उसे हर रोज़ ज़लील किया जाएगा और भाजपा ताली-थाली बजाएगी। क्यों @amarbauri जी - थोड़ी शर्म बची है इसे देख कर?
एक दलित IAS अफ़सर के लिए इनके शब्द सुनिए ?
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) October 16, 2024
आख़िर दलित/आदिवासी ही इन लोगों के निशाने पर क्यों रहते हैं ?
और इसमें से अगर एक बेहद ग़रीब घर से निकला दलित IAS बन गया और इनके सामने झुका नहीं
तो सामंतवादियों को बर्दाश्त कैसे होगा ?
उसे हर रोज़ नीचा दिखाया जाएगा
उसे हर रोज़… https://t.co/5et4JWjeep
दरअसल चुनाव की अधिसूचना जारी होने के ठीक पहले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा था कि “अंधेर नगरी @ECISVEEP रॉंची के हंसेंडी उपायुक्त @mbhajantri को हेमंत सोरेन जी ने सेल्फ़ हेल्प ग्रुप यानि महिलाओं को झामुमो व कॉंग्रेस को वोट दिलवाने के लिए पोस्ट किया है. कल आचार संहिता लागू होने के बाद भंजतरी कितने बार मंत्री ग्रामीण विकास व सचिव से मिले? इसकी जॉंच कर अधिकारी को बर्खास्त करिए. निशिकांत दुबे के द्वारा बर्खास्त करने की मांग सामने आने के बाद मंजूनाथ भजंत्री को उपायुक्त के पद से विमुक्त करते हुए वरुण रंजन को रांची का नया उपायुक्त बना दिया. इसके साथ ही कई दूसरे अधिकारियों का भी तबादला हुआ.
भाजपा विधायक नारायण दास ने लगाया थाअपमानित करने का आरोप
लेकिन अब झामुमो जिस तरीके से निशिकांत दुबे पर हमलावर दिखलायी पड़ रही है, उससे साफ है कि झामुमो मंजूनाथ भजंत्री का मामला उछाल कर दलितों को साधने की तैयारी में है. निशिकांत दुबे पर खुद भाजपा विधायक नारायण दास ने दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था. लोकसभा चुनाव के बाद नारायण दास का दावा था कि निशिकांत दुबे के समर्थकों ने उनके साथ मारपीट और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया है, इस मामले में एक प्राथमिकी भी दर्ज करवायी गयी थी और अब एक बार फिर से निशिकांत दुबे इस दलित विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं.
आपको याद रहे कि वर्ष 2019 में भले ही आदिवासी बहुल इलाके संताल और कोल्हान से भाजपा का सफाया हो गया था. आदिवासी आरक्षित कुल 28 सीटों में 26 पर झामुमो को सफलता मिली थी, लेकिन, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौ सीटों में भाजपा को अच्छी सफलता हाथ लगी. झामुमो की रणनीति मंजूनाथ भजंत्री का कथित अपमाना के मुद्दे को उछाल कर दलितों के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने की हो सकती है. और यही कारण है कि इस मामले में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी को खींचने की कोशिश की जा रही है. आपको बता दें कि अमर बाउरी खुद भी अनुसूचित जाति से आते हैं, और भाजपा के अंदर उन्हे दलित चेहरे के रुप में प्रस्तूत किया जाता है. इस हालत में देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो की यह रणनीति कितनी सफल होती है.