Jharkhand Politics: इस बार नयी सरकार के गठन में नहीं आयेगा खरमास का अड़चन
पांच चरण में चुनाव की पंरपरा पर भी विराम
झारखंड में पहली बार दो ही चरण में चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न होने जा रही है. इसके पहले करीबन पांच चरण में चुनाव होता रहा है. हालांकि वर्ष 2005 में तीन चरण में मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई थी. लेकिन वर्ष 2009, 2014 और 2019 में पांच चरण में सम्पन्न हुआ था.
रांची: आमतौर पर झारखंड में 15 दिसम्बर के बाद ही नयी सरकार का गठन होता रहा है. अमुमन 15 दिसम्बर से 14 जनवरी तक हिन्दू परंपरा के अनुसार खरमास होता था और इस बीच ही नयी सरकार का शपथ ग्रहण होता रहा है. लेकिन इस बार जिस तरीके करीबन एक माह पहले ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गयी और 13 नवंबर को मतदान की तिथी निर्धारित की गयी है, उसके बाद 15 दिसम्बर के पहले ही नयी सरकार का शपथ ग्रहण पूरा हो चुकेगा.
पांच चरण में चुनाव की पंरपरा पर भी विराम
इसके साथ ही इस बार एक और परंपरा भी टूट गया, झारखंड में पहली बार दो ही चरण में चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न होने जा रही है. इसके पहले करीबन पांच चरण में चुनाव होता रहा है. हालांकि वर्ष 2005 में तीन चरण में मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई थी. लेकिन वर्ष 2009, 2014 और 2019 में पांच चरण में सम्पन्न हुआ था. वैसे झामुमो की ओर से एक ही चरण में मतदान की प्रक्रिया पूरी करने की मांग भी की गयी थी. लेकिन महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में तो एक ही चरण में मतदान करवाने का फैसला लिया गया, लेकिन झारखंड जैसे महज 81 विधानसभा वाले राज्य में दो चरण में चुनाव करवाने का फैसला लिया गया, इसके कारण भी एक नये विवाद की शुरुआत हो चुकी है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस फैसले पर निशाना साधते हुए चुनाव आयोग और भाजपा को बबली बंटी की जोड़ी करार दिया है. झामुमो का दावा है कि यह सब कुछ महज प्रधानमंत्री की रैली को देखते हुए किया गया है, ताकि एक विधानसभा में रैली का आयोजन कर उसके निकटवर्ती विधानसभा में चुनाव में प्रभावित किया जा सके.