जमुआ विधायक केदार हाजरा पर मंडराया खतरा! कांग्रेस प्रत्याशी रहे डॉ मंजू कुमारी ने थामा भाजपा का दामन
पूर्व भाजपा विधायक सुकर रविदास की बेटी है मंजू देवी
1992 से अब तक जमुआ में अब तक 12 बार विधान सभा का चुनाव हो चुका है, इसमें से चार बार कांग्रेस, दो बार भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, चार बार भाजपा, एक बार झारखंड विकास मोर्चा और एक बार राजद के हिस्से जीत आयी है. इस प्रकार साफ है कि भले ही भाजपा को वर्ष 2014 और 2019 में लगातार जीत मिली हो
रांची: जारी सियासी संग्राम के बीच जमुआ के पूर्व विधायक सुकर रविदास की बेटी डॉ मंजू कुमारी ने भाजपा का दामन थाम लिया है. आज बाबूलाल मरांडी और झारखंड चुनाव सह प्रभारी की मौजूदगी में मंजू कुमारी ने भगवा पट्टा पहन लिया. मंजू कुमारी का भाजपा में एंट्री वर्ष 2005, 2014 और 2019 में कमल खिलाने वाले केदार हाजरा के लिए खतरे की घंटी बतायी जा रही है, बताया जा रहा है कि डॉ मंजू कुमारी को टिकट का आश्वासन के बाद भी पार्टी का पट्टा पहनाया गया है. मंजू कुमारी ने वर्ष 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए केदार हाजरा के सामने मजबूत चुनौती पेश की थी. उस मुकाबले में डॉ मंजू कुमारी को 40,293 वोट प्राप्त हुआ था, जबकि केदार हाजरा को 58,468 के साथ जीत मिली थी.
पूर्व भाजपा विधायक सुकर रविदास की बेटी है मंजू देवी
आपको बता दें कि मंजू देवी पूर्व वर्ष 1995 में जमुआ में कमल खिलाने वाले सुकर रविदास की बेटी हैं, लेकिन वर्ष 2019 में जब भाजपा ने केदार हाजरा के बजाय मंजू कुमारी पर दांव खेलने से इंकार कर दिया तो सुकर रविवदास ने भाजपा छोड़ते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था, कांग्रेस ने मंजू कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस के टिकट पर मंजू देवी 40,293 वोट पाने में सफल रही. मंजू देवी के इस पालाबदल से तीन -तीन बार कमल खिलाने वाले केदार हाजरा के सामने सियासी संकट खड़ा हो गया है, दावा किया जा रहा है कि अब केदार हाजरा भी कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं.
आपको यह भी बता दें कि 1992 से अब तक जमुआ में अब तक 12 बार विधान सभा का चुनाव हो चुका है, इसमें से चार बार कांग्रेस, दो बार भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, चार बार भाजपा, एक बार झारखंड विकास मोर्चा और एक बार राजद के हिस्से जीत आयी है. इस प्रकार साफ है कि भले ही भाजपा को वर्ष 2014 और 2019 में लगातार जीत मिली हो, लेकिन विपक्ष भी यहां काफी मजबूत है, खास कर कांग्रेस और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के लिए यह उर्वर जमीन रही है. इस हालत मे यही केदार हाजरा ने बगावत की राह पकड़ी तो भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.