भाजपा को रसातल में पहुंचाने की साजिश! रांची से टिकट के दावेदार संदीप वर्मा ने खड़े किये गंभीर सवाल
झारखंड प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और रांची सीट से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार संदीप वर्मा के साथ समृद्ध झारखंड की खास बातचीत
हम पार्टी के एक समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी से हमने बहुत कुछ सीखा है, और आज जो सवाल खड़ा कर रहा हूं, उसके पीछे भी पार्टी की वही सीख है, रही बात दीनदयाल उपाध्याय की पंक्तियों की, भाजपा के हर कार्यालय में उनकी तस्वीर होती है, तो उसके कुछ मायने है, दीनदयाल उपाध्याय हमारे प्ररेणा पुरुष हैं. जब भी जरुरत होगा हम इस तरह से सवाल उछालते रहेंगे.
टिकट वितरण की घोषणा होते ही भाजपा के अंदर पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की सूची लम्बी होती जा रही है. पोटका से पूर्व विधायक मेनका सरदार, जमुआ विधायक केदार हाजरा के साथ ही सराईकेला से वर्ष 2019 और 2014 में चंपाई सोरेन के खिलाफ ताल ठोंकने वाले गणेश महली ने पहले ही पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया है, इस बीच रांची विधानसभा से टिकट के प्रबल दावेदार रहे संदीप वर्मा ने भी टिकट वितरण की पूरी प्रक्रिया गंभीर सवाल खड़ा किये हैं. उनका दावा है कि पार्टी के खिलाफ के गहरी साजिश रची जा रही है, जिन चेहरों को प्रत्याशी बनाया गया है, उसके कारण पूरे प्रदेश में जग हसांई हो रही है, यदि समय रहते इस भूल को नहीं सुधारा गया तो यह झारखंड के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ यह अन्याय होगा.
समृद्ध झारखंड: आपने इस चुनावी मंझधार के बीच भाजपा के टिकट वितरण पर सवाल खड़ा कर उसकी जीत की संभावनाओं पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. आखिर आपके अंदर कौन सी आग लगी हुई है?
संदीप वर्मा: मैं भी दूसरे कार्यकर्ताओँ की तरह भाजपा की जीत चाहता हूं, ताकि झारखंड में विकास की रफ्तार तेज, आम लोगों की जिंदगी में सुख समृद्धि आये, युवाओं को रोजगार मिले, लेकिन मुश्किल यह है कि आज वह सपना ही टूटता नजर आता है. जिस तरीके से टिकट का वितरण सामने आया, वह हम जैसे युवाओं को निराशा के दलदल में धकेलना वाला है. आखिर वह कौन सा मापदंड है, जिसके तहत धनबाद सांसद ढुल्लू महतो के भाई शत्रुधन महतो को बाघमारा, चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशीला, पूर्व सीएम रघुवर दास की पतोह पूर्णिमा ललित दास को पूर्वी जमशेदपुर और अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को टिकट दिया गया. फिर भाजपा कार्यकर्ताओं का भविष्य का क्या होगा? उनके सपने का क्या होगा? क्या हम युवा पीढ़ी के साथ हो रहे इस अत्याचार को चूप चाप बर्दास्त कर लें? क्या भाजपा में हमें यही सिखाया गया है. हम तो अपने नेताओं की सीख के अनुसार ही सिर्फ सवाल खड़ा कर रहे हैं, क्या यह भी गुनाह है.
समृद्ध झारखंड: आपने दीनदयाल उपाध्याय की चंद पक्तियों का जिक्र किया है. “कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है. संभव है दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा. अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता-कार्यकर्ता का कर्तव्य है।” यह तो अपने आप में एक बम से कम नहीं है. यह तो भाजपा की पूरी चुनावी संभावना को ही खतरे में डाल जायेगा, इस तरह के सवाल को पार्टी छोड़ते हुए केदार हाजरा, मेनका सरदार, गणेश महली ने भी नहीं खड़ा किया, उनके सीने में दर्द हुआ और वह चूप चाप निकल गयें, फिर आपके सामने भी यह विकल्प खुला था, आप भी बगैर सवाल खड़ा किए, दूसरी पार्टी में अपनी संभावना तलाश सकते थें. फिर आपने यह रास्ता क्यों अख्तियार किया?
संदीप वर्मा: जबाव बेहद साफ है, क्योंकि हम पार्टी के एक समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी से हमने बहुत कुछ सीखा है, और आज जो सवाल खड़ा कर रहा हूं, उसके पीछे भी पार्टी की वही सीख है, रही बात दीनदयाल उपाध्याय की पंक्तियों की, भाजपा के हर कार्यालय में उनकी तस्वीर होती है, तो उसके कुछ मायने है, दीनदयाल उपाध्याय हमारे प्ररेणा पुरुष हैं. जब भी जरुरत होगा हम इस तरह से सवाल उछालते रहेंगे. यह कौन सा मापदंड, जिसके तहत चुनाव हारने के बावजूद सीता सोरेन, समीर उरांव और गीता कोड़ा को एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया जा रहा है. पार्टी को हमारे इस सवाल पर मंथन करना चाहिए, ताकि कार्यकर्ताओं का हौसला नहीं टूटे.
समृद्ध झारखंड: आपने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि यदि पार्टी ने इस भूल को नहीं सुधारा तो इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन अब तो टिकट का एलान हो चुका है, इस हालत में पैर पीछे खींचना को जगहसाई का विषय बन जायेगा, उसकी पूरी नैरेटिव खराब हो जायेगी.
संदीप वर्मा: क्या यह तमाम चेहरे कोई क्रांतिकारी हैं, जिन्हे बेटिकट करते ही जग हंसाई हो जायेगी? जग हंसाई तो अभी हो रही है, हम तो इसमें बदलाव की कोशिश कर रहे हैं?
समृद्ध झारखंड: लेकिन आज कल तो हर पार्टी का यही दस्तूर है, यदि भाजपा झामुमो से आने वाले नेताओं को टिकट दे रही है तो फिर झामुमो भी भाजपा से जाने वालो का स्वागत कर रही है, कौन सी ऐसी पार्टी आज है, जिसके अंदर नैतिकता बची है, राजनीति में नैतिकता और मापदंड की बात करना ही अपने आप में बेमानी है.
संदीप वर्मा: हम दूसरी पार्टियों के उपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, हमारी नियत सिर्फ अपने घर को साफ सुधरा करने की है. आज जिस रास्ते पर पार्टी निकल पड़ी है, वह रास्ता सिर्फ सियासी पतन की ओर जाता है
समृद्ध झारखंड: आखिर सीपी सिंह को टिकट मिलने से आपको दर्द क्यों हो रहा है?
संदीप वर्मा: शायद आप भूल रहे हैं कि रांची विधानसभा से कभी यशवंत सिन्हा जी विधायक चुने गये थें, लेकिन उन्होने अपनी विरासत एक युवा चेहरा सीपी सिंह के हाथ में सौंप कर एक उदाहरण कायम किया, आज सीपी सिंह क्या कर रहे हैं? तीस वर्षो में रांची में क्या बदलाव कर दिया कि आने वाले 5 वर्ष में वह रांची को बदल देंगे, आज भी रांची में सड़क जाम की वही स्थिति है, आज भी हजारों घरों में नल का पानी नहीं जाता है, आज भी पानी के लिए हाहाकार मचता है, आखिर सीपी सिंह का इन तीस वर्षो की उपलब्धियां क्या रही, जिसके लिए एक भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते हमे गर्व होना चाहिए.
समृद्ध झारखंड: फिर आपके पास विकल्प क्या है? आगे आप कौन सा रास्त अख्तियार करेंगे?
संदीप वर्मा: हम तब तक पार्टी से यह सवाल पूछते रहेंगे, जब तक इसका जवाब नहीं मिल जाता, यह सिर्फ हमारा दर्द नहीं है, यही दर्द झारखंड के कोने कोने में फैले लाखों कार्यकर्ताओं का है. हम सिर्फ लाखों कार्यकर्ताओं की पीड़ा को सामने ला रहे हैं, हम भी पार्टी के उतने ही वफादार सिपाही है, जितने दूसरे चेहरे हैं, जिनके लिए मापदंड बदला जा रहा है, आखिर वह कौन है, जो पार्टी की नीतियों को मटियामेट कर रहा है. हमारी लड़ाई बस इस सवाल का जवाब तलाशने की है.