भाजपा को एक और झटका! प्रदेश उपाध्यक्ष प्रणव कुमार वर्मा ने थामा झामुमो का दामन
जीवन खपाने वाले कार्यकर्ताओं का अब भाजपा में सम्मान नहीं
पार्टी ने अटल-आडवाणी के उस युग से कदम पीछे खींच लिए हैं, और इस बदलाव ने मेरे हृदय में गहरा दर्द पैदा कर दिया है। यह दर्द और गहरा तब हुआ जब मुझे और मेरे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं को लगातार दरकिनार किया गया। मेरे पिताजी के राजनीतिक और सामाजिक योगदान, मेरे परिवार की विरासत, और मेरे अपने बीस वर्षों के मेहनत और निष्ठा को नजरअंदाज किया गया।मेरी राजनीतिक और सामाजिक पूंजी को समाप्त करने के लिए लगातार षड्यंत्र रचे जाने लगे।
रांची: विधानसभा चुनाव के दौरान पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं के द्वारा भाजपा छोड़ने के सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज प्रदेश उपाध्यक्ष प्रणव कुमार वर्मा ने भाजपा छोड़ने का एलान करते हुए झामुमो का दामन थाम लिया.
आपको बता दें कि प्रणव वर्मा कोडरमा संसदीय सीट से पांच बार (1977,1980,1989,1996 और 1998) के सांसद रहे रीतलाल वर्मा के पुत्र हैं. सियासी गलियारों में प्रणव वर्मा को लेकर कोडरमा विधानसभा से चुनाव लड़ने की खबर थी. लेकिन भाजपा ने इस बार भी डॉ नीरा यादव पर दांव लगाया, और अब प्रणव वर्मा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए झामुमो की सवारी करने का एलान कर दिया है.
इसकी जानकारी साक्षा करते हुए अपने फेसबूक पोस्ट पर प्रणव वर्मा ने लिखा है कि “प्रिय साथियों,
मैं भारी मन और गहरे भावुकता के साथ आप सभी के समक्ष कुछ शब्द साझा कर रहा हूँ। जैसा कि आप सब जानते हैं, मेरे पिताजी भूतपूर्व भाजपा सांसद स्व. रीतलाल प्रसाद वर्मा जी ने अपना संपूर्ण जीवन, अपना खून-पसीना इस भाजपा को खड़ा करने में लगा दिया था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर झारखंड (तत्कालीन दक्षिण बिहार) में पार्टी को अपने अस्तित्व में लाने में उन्होंने जो योगदान दिया।उनके बलिदान, त्याग और मेहनत का हर कण आज भी हमारे दिलों में बसता है।
यह मेरी सौभाग्य की बात थी कि मुझे उस पार्टी की सेवा करने का अवसर मिला जिसके हर कण में मेरे पिताजी की मेहनत की महक है। मैंने भी अपनी हर साँस, अपने तन-मन-धन से पार्टी को सींचने का संकल्प लिया। जो भी दायित्व मुझे सौंपा गया, उसे मैंने निष्ठा और ईमानदारी से निभाने का प्रयास किया।
जीवन खपाने वाले कार्यकर्ताओं का अब भाजपा में सम्मान नहीं
लेकिन, पार्टी के लिए अपना जीवन खपा देने वाले कार्यकर्ताओं को जब सम्मान नहीं मिलने लगा तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि अब वह पार्टी, वह आदर्श, वह सिद्धांत नहीं बचे हैं जिनके लिए मेरे पिताजी ने अपना सर्वस्व अर्पित किया था। पार्टी ने अटल-आडवाणी के उस युग से कदम पीछे खींच लिए हैं, और इस बदलाव ने मेरे हृदय में गहरा दर्द पैदा कर दिया है। यह दर्द और गहरा तब हुआ जब मुझे और मेरे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं को लगातार दरकिनार किया गया। मेरे पिताजी के राजनीतिक और सामाजिक योगदान, मेरे परिवार की विरासत, और मेरे अपने बीस वर्षों के मेहनत और निष्ठा को नजरअंदाज किया गया।मेरी राजनीतिक और सामाजिक पूंजी को समाप्त करने के लिए लगातार षड्यंत्र रचे जाने लगे।
रीतलाल वर्मा और जेपी कुशवाहा के योगदान को धूमिल किया जा रहा
यह बात मेरे लिए अत्यंत दुखदायी रही है कि जहाँ मेरे पिताजी और बड़े पिताजी स्व. जेपी कुशवाहा जी जैसे महान नेताओं ने हमारे समाज को एक दिशा देने का कार्य किया, वहाँ उनके योगदान को धूमिल करने की कोशिश की गई। इन सब से दुखी होकर भारी मन से मैं पार्टी को छोड़ रहा हूँ और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित तमाम दायित्वों से इस्तीफा दे रहा हूं।
मैं पुनः एक नई ऊर्जा, नए विश्वास और नई सोच के साथ आप सबके बीच आ रहा हूँ। मेरा विश्वास है कि जैसे आप मेरे पिताजी के कंधे से कंधा मिलाकर चले थे, जैसे आपने मुझे सदा अपने बेटे या भाई की तरह सहयोग किया वैसे ही मेरे साथ आगे भी इस नए सफर में साथ रहेंगे,आपका यह स्नेह और समर्थन मेरे लिए बहुत मूल्यवान है, और उम्मीद करता हूँ कि आपके आशीर्वाद का यह मोल मैं हमेशा संजो कर रखूँगा।
झामुमो की सदस्यता ग्रहण करने का एलान
आज झारखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री और मेरे बड़े भाई माननीय Hemant Soren जी एवं गांडेय विधायक सब भाभी जी श्रीमती कल्पना सोरेन जी की गरिमामय उपस्थिति में बड़े भाई गिरिडीह विधायक श्री Sudivya Kumar Sonu जी व राज्यसभा सांसद श्रीमती महुवा माजी जी के आशीर्वाद से मैने सपरिवार झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ग्रहण कर जल जंगल जमीन और झारखंडी अस्मिता की लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस शुभ अवसर पर मेरी आदरणीय माता जी श्रीमती चंपा वर्मा जी, धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा वर्मा जी, जमुआ विधायक श्री केदार हाजरा जी भी उपस्थित रहे। मेरा परिवार सदा से गुरु जी आदरणीय शिबू सोरेन जी के परिवार का हिस्सा रहा है और मृत्यु के पूर्व मेरे पिताजी स्व. रीतलाल प्रसाद वर्मा जी झारखंड की भलाई हेतु झामुमो में शामिल हुए थे और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भी भूमिका अपने अंतिम दिनों में निभाए ये। आज पुनः हमारे दोनों परिवारों का मिलन हुआ है।