कौन सच्चा कौन झूठा! खतियान खोजते-खोजते बालू से तेल निकालने लगे क्रांतिकारी रिजवान!

किसने रची रिजवान के खिलाफ इस साजिश की पटकथा?

कौन सच्चा कौन झूठा! खतियान खोजते-खोजते बालू से तेल निकालने लगे क्रांतिकारी रिजवान!
रिजवान क्रांतिकारी

दरअसल पिछले कई महीनों से जयराम की पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक होता नजर नहीं आ रहा है, एक बाद एक चेहरे जयराम महतो के स्टाईल ऑफ पॉलिटिक्स को चुनौती देते दिख रहे हैं. रिजवान भी उसी कतार में थें. तो क्या इस प्रकरण के बहाने मजबूत षडयंत्र तैयार कर दिया गया? क्योंकि यदि इस जांच रिपोर्ट के बाद पार्टी से बाहर का रास्ता दिखलाया जाता है तो रिजवान की छवि अवैध उगाही के सरताज के रुप में सामने आयेगी, फिर रिजवान के लिए जयराम को चुनौती पेश करना बेहद मुश्किल हो जायेगा.

रांची: बाहरी भाषा नाय चलतो, भोजपूरी, मगही, अंगिका के खिलाफ जबरदस्त मोर्चाबंदी और 1932 के खतियान के सवाल पर राजनीतिक पारी खेलने की तैयारियों में जुटे झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा का कद्दावर का चेहरा और टाईगर जयराम का खासम-खास माने जाने वाले क्रांतिकारी रिजवान इन दिनों बालू के धंधे में उगाही को लेकर सुर्खियों में है. दावा किया जाता है कि क्रांतिकारी रिजवान और उनके क्रांतिकारी साथियों ने अवैध तरीके से बालू की ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर चालकों से सेवा शुल्क की मांग की है. यानि अवैध कारोबार को जारी रखने के बदले में अवैध पैसे की मांग की है. खबर यह भी है कि क्रांतिकारी रिजवान और साथियों के इस नये अवतार को देख ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और नौबत पिटाई तक आ गयी. जैसे ही यह खबर अखबारों की सुर्खियां बनी, आनन-फानन में रिजवान उर्फ अकील अख्तर को अल्पसंख्यक मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त कर करते हुए मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन कर दिया गया. अब यह टीम केन्द्रीय अध्यक्ष टाइगर जयराम को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, और यदि आरोप सही पाया गया तो पार्टी से निष्कासन का फैसला भी लिया जा सकता है.

अखबारों की सुर्खियों के आधार पर कार्रवाई में कितना दम

जैसे ही यह खबर सामने आयी, रिजवान की ओर से इसका खंडन करते हुए दावा किया गया कि यह घटना जिस दिन की बतायी जा रही है, उस दिन वह दुमका में थें. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि रिजवान अंसारी पार्टी के कार्यक्रम में थें, तो पार्टी को भी इसकी जानकारी होगी, फिर क्या पार्टी ने सिर्फ अखबारों की सुर्खियों के आधार पर ही कार्रवाई का फैसला कर लिया? अमूमन ऐसा नहीं होता, किसी भी सियासी दल में जब भी किसी भी बड़े नेता के उपर इस तरह का आरोप लगता है, तो पार्टी की ओर से तुरंत उसका खंडन आता है, पूरी पार्टी एक स्वर में अपने नेतृत्व के साथ नजर आती है, लेकिन यहां तो अखबारों की सुर्खियों के आधार पर ही प्रथम दृष्टया दोषी मानने हुए  पद से मुक्त करने का फैसला ले लिया गया. तो क्या यह माना जाय कि खुद जयराम महतो को भी रिजवान अंसारी के चाल चलन और चरित्र पर संदेह है?  या इसके पहले भी इस तरह की शिकायत उन तक पहुंची होगी, जिसके बाद इस घटना पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं रहा? या फिर जो तस्वीर सामने आ रही है, उस तस्वीर को झूठलाना मुश्किल था और मन मारकर ही सही कार्रवाई करनी पड़ी या फिर पार्टी के अंदर भी रिजवान के खिलाफ कोई गहरी साजिश रची जा रही थी और मौका मिलते ही प्लौट तैयार कर लिया गया.

किसने रची रिजवान के खिलाफ इस साजिश की पटकथा?

दरअसल पिछले कई महीनों से जयराम की पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक होता नजर नहीं आ रहा है, एक बाद एक चेहरे जयराम महतो के स्टाईल ऑफ पॉलिटिक्स को चुनौती देते दिख रहे हैं. रिजवान भी उसी कतार में थें. तो क्या इस प्रकरण के बहाने मजबूत षडयंत्र तैयार कर दिया गया? क्योंकि यदि इस जांच रिपोर्ट के बाद पार्टी से बाहर का रास्ता दिखलाया जाता है तो रिजवान की छवि अवैध उगाही के सरताज के रुप में सामने आयेगी, फिर रिजवान के लिए जयराम को चुनौती पेश करना मुश्किल हो जायेगा? रिजवान की सारी क्रांतिकारिता यही दफन हो जायेगी. तो क्या रिजवान जयराम के साजिश के शिकार हो गयें? देखना होगा कि जयराम का सात सदस्यीय टीम किस निष्कर्ष पर पहुंचती है, अवैध बालू ढोने वाले ट्रैक्टर चालकों से भी आरोप के पक्ष में साक्ष्य की मांग की जाती है या फिर बरकट्टा में सार्वजनिक सभा इस मामले की पूरी सच्चाई को सामने लाया जाता है और उस सार्वजनिक सभा का खुद रिजवान भी हिस्सा बनते हैं.  

 

Edited By: Devendra Kumar

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