झारखंड में चुनावी गिद्धों का दौरा तेज! असमिया -छत्तीसगढ़िया के बाद अब बड़े गिद्ध की एंट्री- सीएम हेमंत
पिछड़ों के लिए कानून बनाने पर रद्दी की टोकरी में फंकती है भाजपा
ये वही चुनावी गिद्ध हैं, जो आज पिछड़ो के लिए 27 फीसदी आरक्षण की बात करते हैं, लेकिन जब हम कानून बनाकर भेजते हैं तो इसे रद्दी की टोकरी में फेंकते है. हालत तो यह है कि अब मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना भी हजम नहीं हो रहा, इसके खिलाफ भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा रहा है. कहा जाता है कि वोट के लिए पैसा बांटा जा रहा है, इनके पास किसानों, महिलाओं, आदिवासी मूलवासियों के लिए पैसा नहीं है, लेकिन अपने अरबपति दोस्तों के लिए पूरा खजाना है.
रांची: आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के तहत गिरिडीह के कुण्डलवादाह पंचायत से परिसंपत्तियों का वितरण करते हुए सीएम हेमंत ने एक बार फिर से भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि झारखंड की सियासत में चुनावी गिद्धों की एंट्री हो चुकी है. कभी असम का गिद्ध दिखलायी पड़ता है तो कभी छत्तीसगढ़िया गिद्ध उड़ता नजर आता है. बहुत ही जल्द एक और बड़े गिद्ध का भी आगवन होने वाला है. अब झारखंडी अस्मिता को तार-तार करते हुए धर्म और जाति का खेल शुरु होगा, प्यार मोहब्बत के बदले नफरत की खेती की जायेगी. पूरे चार साल तक हमें काम करने नहीं दिया, और जब इससे भी बात नहीं बनी तो झूठ का पहाड़ खड़ा कर हमें जेल में डाल दिया गया. कभी लव जिहाद की बात की जाती है, तो कभी लैंड जिहाद की. सरना धर्म कोड जो हमारी पहचान है, उस पर कुंडली मार कर बैठने वाले ये चुनावी गिद्ध आदिवासियों की घटती जनसंख्या का सवाल खड़ा करते हैं, लेकिन जब आदिवासी समाज से उसकी पहचान ही छीन लिया गया, तो फिर इसका जिम्मेवार कौन है, यदि आदिवासी समाज के प्रति इतना ही दर्द है तो फिर सरना धर्म कोड को मान्यता क्यों नहीं दी जाती.
पिछड़ों के लिए कानून बनाने पर रद्दी की टोकरी में फंकती है भाजपा
विपक्ष के यही लोग घुसपैठ, लव जिहाद, लैंड जिहाद की बात करते हैं। कहते हैं कि आदिवासियों की जनसंख्या घट रही है। मैं पूछता हूं कि आदिवासियों को सरना धर्मकोड क्यों नहीं दिया? हमारी जब पहचान ही नहीं है तो हमारा गायब होना स्वाभाविक है।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 9, 2024
माननीय विधानसभा से हमने आदिवासियों के लिए आदिवासी… pic.twitter.com/BhMORuuB2Z
ये वही चुनावी गिद्ध हैं, जो आज पिछड़ो के लिए 27 फीसदी आरक्षण की बात करते हैं, लेकिन जब हम कानून बनाकर भेजते हैं तो इसे रद्दी की टोकरी में फेंकते है. हालत तो यह है कि अब मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना भी हजम नहीं हो रहा, इसके खिलाफ भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा रहा है. कहा जाता है कि वोट के लिए पैसा बांटा जा रहा है, इनके पास किसानों, महिलाओं, आदिवासी मूलवासियों के लिए पैसा नहीं है, लेकिन अपने अरबपति दोस्तों के लिए पूरा खजाना है. एक आवाज लगाते ही खजाना का पूरा मुंह खोल दिया जाता है. आज पूरे झारखंड में 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को सर्वजन पेंशन की राशि पर माह खाते में जा रही है, पूरे झारखंड में ढिबरी लेकर खोजने पर भी एक वृद्ध ऐसा नहीं मिलेगा, जिसको पेंशन नहीं मिल रही हो.
कल्पना सोरेन दुर्गा का रुप-मंत्री इरफान अंसारी
हमारा राज्य आदिवासियों का है मूलवासियों का है। भाजपा में कुछ भाड़े के पतझड़ नेताओं को शामिल कराकर सपना देख रही है। उन्हें लगता है कि ऐसे नेताओं के सहारे आदिवासियों का वोट हम ले लेंगे लेकिन वो गलतफहमी में है। राज्य में आदिवासियों के सबसे बड़े नेता रहनुमा आदरणीय @HemantSorenJMM… pic.twitter.com/gtEZtYTkpU
— Dr. Irfan Ansari (@IrfanAnsariMLA) September 8, 2024
वहीं इस असवर पर मंत्री इरफान अंसारी ने कल्पना सोरेन को दुर्गा का स्वरुप बताते हुए दावा किया कि कल्पना सोरेन की मेहनत के कारण ही झारखंडी राम को कारागार के मुक्ति मिली. और अब जब झारखंड की महिलाओं के खाते में पैसा जा रहा है तो भाजपा के पेट में दर्द हो रहा है. केंद्र सरकार ने पीएम आवास की राशि रोक दी तो हेमंत सोरेन ने अबुआ आवास दिया. 17 हजार की जगह 50 हजार अबुआ आवास गिरिडीह और गांडेय को मिलेगा. भाजपा की दुर्गती का आलम यह है कि उसके पास अब अपना कोई खिलाड़ी भी नहीं है, असम और मध्यप्रदेश के बोरो खिलाडियों को मैदान में उतारा जा रहा है. इस अवसर पर गिरिडीह के लिए 1105 करोड़ की योजना की सौगात भेंट की गयी है.