भाजपा हलकान! चुनावी मोड में हेमंत सरकार! ताबड़तोड़ फैसले और उपहारों की बौछार
हेमंत सरकार की चुनावी बैटिंग से भाजपा हलकान
निश्चित रुप से इन योजनाओं का चुनाव परिणाम पर असर देखने को मिल सकता है. भाजपा की परेशानी भी अपनी जगह जायज है, लेकिन सियासत में हर सियासी दल को अपना एजेंडा सेट करने का भी पूरा अधिकार है, यदि आज भाजपा सत्ता में होती तो वह भी इसी तरह घोषणाओं की बौछार कर रही होती.
रांची: विधानसभा चुनाव के दहलीज पर खड़ी हेमंत सरकार पिछले दस दिनों से फूल एक्शन मोड में दिखलायी पड़ने लगी है. एक तरफ जहां भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ और ऑपरेशन कोल्हान के सहारे कमल खिलाने की गुंजाईश बनाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर हेमंत सरकार एक बाद एक ताबड़-तोड़ फैसले करते हुए, पांच वर्षों की रही सही कसर को एक ही झटके में पूरा करने की कसरत करती करती नजर आ रही है. मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान से शुरु हुए इस सफर पर विराम कब और कहां लगेगा, फिलहाल यह कहना मुश्किल है, क्योंकि जब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हो जाती, सरकार के हाथ खुले हैं और वह इसका भरपूर उपयोग भी करती हुई दिखलाई पड़ रही है.
हेमंत सरकार की चुनावी बैटिंग से भाजपा हलकान
यह है झारखंडियों की सरकार...
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 6, 2024
जो कहते हैं, वो करते हैं। pic.twitter.com/gjJ1e9LsY5
हेमंत सरकार की इस चुनावी बैटिंग से भाजपा का परेशान होना भी लाजिमी है. हालांकि इस बीच हेमंत सरकार के इस चुनावी बैटिंग पर लगाम लगाने की कोशिश भी हुई, मंईयां सम्मान योजना को कोर्ट में चुनौती भी देने की कोशिश की गयी, लेकिन किसी भी सरकार को चुनाव की अधिसूचना जारी होने तक लोक कल्याणकारी योजनों की रोक लगाने का निर्देश इसके पहले नहीं दिया गया है, यदि ऐसा होता तो फिर किसान सम्मान निधि से लेकर दूसरी तमाम योजनाओं पर भी रोक लगा दी जाती. झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान खुद भी लाडली बहन योजना को अपना चुनावी हथियार बना चुके हैं. इस हालत में भाजपा के लिए हेमंत सोरेन की इस बैटिंग पर रोक लगाने को कोई रास्ता भी नजर नहीं आता, और यदि यह इसी तरह से आगे बढ़ता रहा, चुनावी बैटिंग की रफ्तार इसी तरह बनी रही तो इसका असर भाजपा के चुनावी अंकगणित पर भी पड़ना तय है.
मंईयां सम्मान योजना से शुरु हुए इस सफर पर कब लगेगा विराम
हालांकि इसकी झलक मंईयां सम्मान योजना से ही मिलनी शुरु हो गयी थी. लेकिन जैसे ही एक बार मंईयां सम्मान योजना की लोकप्रियता बुंदल होती दिखी, सरकार ने खजाना का पूरा मुंह ही खोल दिया. पहले मंईयां सम्मान योजना के तहत 21 से 51 वर्ष की महिलाओं को लिया जाना था, अब इसके तहत 18 वर्ष की महिलाओं को भी जोड़ने का फैसला किया है. साफ है कि मंईयां सम्मान योजना की लोकप्रियता और उसकी मारक क्षमता की रिपोर्ट सरकार तक पहुंच रही होगी. अब कैबिनेट की बैठक में एक साथ 63 प्रस्तावों पर मुहर भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है. एक से बढ़कर एक लोकलुभान योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गयी है. जिसका चुनावी अंक गणित पर व्यापक असर देखने को मिल सकता है.
अधिवक्तों को हर माह 14,000 का पेंशन और 5 हजार का स्टाइपेंड
दूसरों को न्याय दिलवाने के लिए बहस करने वाले राज्य के अधिवक्ताओं को आज हमारी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सुरक्षा का मजबूत कवच उपलब्ध करवाया....
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 6, 2024
राज्य के हजारों अधिवक्ताओं को मेरी ओर से अनेक-अनेक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार। pic.twitter.com/HkZtvMzKnV
सरकार ने 65 वर्ष से उपर के अधिवक्ताओं को हर महीने 14,000 पेंशन और नये अधिवक्ताओं को पांच हजार रुपये का स्टाइपेंड देने की घोषणा की है. फिलहाल कल्याण कोष से 7,000 का पेंशन मिलता है, अब सरकार इसमें अपने तरफ से 7,000 का भुगतान करेगी. करीबन 15 हजार अधिवक्ताओं को इसका लाभ मिलेगा. वकील-पत्रकार की गिनती समाज में बुद्दिजीवियों के रुप में होती है, इनका समाज के एक बड़े हिस्से पर एक विशेष प्रभाव भी होता है, निश्चित रुप से चुनावी जंग में इस फैसले का असर भी देखने को मिल सकता है.
सहिया-आशा का मानदेय दुगना
राज्य की @HemantSorenJMM सरकार जल सहियाओं को निरंतर प्रोत्साहित कर रही है।
— Mithilesh Kumar Thakur 🇮🇳 (@MithileshJMM) September 7, 2024
इसी क्रम में हेमंत कैबिनेट ने राज्य की जल सहियाओें के मानदेय को दोगुना करने का फैसला लिया है। अब जल सहियाओं को एक हजार की जगह दो हजार रुपए प्रति माह का मानदेय दिया जाएगा।
मानदेय में बढ़ोत्तरी से राज्य… pic.twitter.com/EwTo90Netq
लम्बे समय से सहिया और आशा कार्यकर्ताओं की ओर से मानदेय में वृद्धि की मांग की जाती रही थी. धरना प्रदर्शन भी होता रहा, लेकिन इस बार के कैबिनेट में मानदेय में वृद्धि का फैसला कर लिया गया, जल सहिया का मानदेय एक हजार से बढ़ाकर दो हजार करने पर मुहर लगा दी गयी है. साथ ही साथी और साधनसेवी को भी प्रोत्साहन राशि देने का फैसला हुआ है. चुनाव के ठीक पहले इसे भी एक बड़ा फैसला माना जा सकता है. जिसका असर पूरे झारखंड में देखने को मिल सकता है. खास कर गांव-देहात और आदिवासी-मूलवासी समाज के बीच इसका व्यापक असर होगा.
सहायक पुलिसकर्मियों को अवधि विस्तार और मानदेय में वृधि
एक और अहम फैसला सहायक पुलिस कर्मियों का अवधि विस्तार है. अभी हाल ही में सहायक पुलिसकर्मियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था. भाजपा भी इसे चुनावी मुद्दा बनाती नजर आ रही थी. लेकिन अवधि विस्तार के साथ ही मानदेय में वृधि का फैसला कर सहायक पुलिसकर्मियों के दर्द को भी समेटने की कोशिश हुई है. इस फैसले के बाद सहायक पुलिसकर्मियों के नजरिये में भी बदलाव देखने को मिल सकता है.इसी तरह सरकारी विद्यालयों में 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए पोशाक राशि में दुगने की वृद्धि की गई है, अब इन छात्र-छात्राओं को 600 के बजाय 1200 की राशि मिलेगी, ग्रामीण कस्बों और आदिवासी मूलवासी समाज के बीच इसका भी असर देखने को मिल सकता है.
कंप्यूटर ऑपरेटरों को बड़ी सौगात
इसके साथ ही पूरे राज्य में सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर और परियोजना कर्मियों के मानदेय में वृद्धि और समायोजन का फैसला भी लिया गया. समायोजन के बाद कंप्यूटर ऑपरेटरों को ए निश्चित वेतनमान का लाभ मिलने लगेगा. निश्चित रुप से इन योजनाओं का चुनाव परिणाम पर असर देखने को मिल सकता है. भाजपा की परेशानी भी अपनी जगह जायज है, लेकिन सियासत में हर सियासी दल को अपना एजेंडा सेट करना का भी पूरा अधिकार है, यदि आज भाजपा सत्ता में होती तो वह भी इसी तरह घोषणाओं की बौछार कर रही होती.