44 करोड़ में बनाइए और 52 करोड़ में तुड़वाइये, यही है विश्व गुरु का विकास मॉडल: झामुमो
अहमदाबाद के हाटकेश्वर ब्रिज से जुड़ा है यह मामला

यह मामला हाटकेश्वर ब्रिज से जुड़ा है, इसका निर्माण वर्ष 2017 में 42 करोड़ की लागत से किया गया था. लेकिन सिर्फ पांच साल में इस कदर जर्जर अवस्था में पहुंच गया कि वर्ष 2022 से इस पर आवाजाही को बंद करने का निर्देश देना पड़ा.
रांची: अब तक विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार का तीर चलाती रही भाजपा ठीक झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले एक बड़े भ्रष्टाचार के आरोप में घिरती नजर आ रही है. हालांकि यह मामला अहमदाबाद का है, लेकिन इसको लेकर झारखंड में सियासत तेज हो चुकी है. झामुमो के हाथ एक बड़ा सियासी तीर लग गया है, जिसको सहारे अब वह भाजपा को घेरना चाहती है. खास कर तब जब मामला प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य से जुड़ा हो, जिसे भाजपा
लम्बे अर्से से अपना विकास मॉडल के रुप में प्रस्तूत करती रही हो, इस प्रकार का भ्रष्टाचार विपक्ष के हाथ में एक बड़ा हथियार देता है.
अहमदाबाद के हाटकेश्वर ब्रिज से जुड़ा है यह मामला

निर्माण में 44 करोड़ और तोड़ने में 52 करोड़
लेकिन ब्रिज तोड़ने के लिए कांट्रेक्टर तो मिल गया, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होने लगा कि जिस ब्रिज को बनाने में 44 करोड़ की राशि खर्च हुई थी, अब उसे तोड़ने में 52 करोड़ की जरुरत क्यों पड़ी, यह कौन सा गणित है, और यही राजनीति की शुरुआत होती है. झारखंड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले झामुमो और कांग्रेस के हाथ में एक सियासी हथियार हाथ लग गया, झामुमो ने भी बगैर देरी किये अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा कि “ 44 करोड़ में बनाइए - मात्र 7 साल चलाइए फिर 52 करोड़ में तुड़वाइये और - फिर 100 करोड़ में नया बनवाइये। विश्व गुरु का ऐसा विकास मॉडल गुजरात से बाहर नहीं जाना चाहिए”
44 करोड़ में बनाइए
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) September 14, 2024
- मात्र 7 साल चलाइए
फिर 52 करोड़ में तुड़वाइये
और
- फिर 100 करोड़ में नया बनवाइये।
विश्व गुरु का ऐसा विकास मॉडल गुजरात से बाहर नहीं जाना चाहिए। pic.twitter.com/zGfH9Y1Itf