जमशेदपुर की सियासत में भाजपा कांग्रेस एक! सरयू की धारा रोकने के लिए रघुवर-बन्ना का मजबूत गठजोड़

बन्ना-रघुवर का वैश्य कार्ड बनाम सरयू राय का भ्रष्टाचार का तीर

जमशेदपुर की सियासत में भाजपा कांग्रेस एक! सरयू की धारा रोकने के लिए रघुवर-बन्ना का मजबूत गठजोड़
बन्ना गुप्ता और सरयू राय ( फाइल फोटो)

मामला भले ही रांची में दर्ज किया गया हो, लेकिन सियासत जमशेदपुर में गर्म है, सियासी जानकारों का दावा है कि इस प्राथमिकी का संबंध पूर्वी जमशेदपुर के सियासी जंग से हैं. रघुवर दास को अपर हैंड देने के लिए एक बार फिर बन्ना गुप्ता ने मोर्चा खोल दिया है, चुनावी समर में जाने के पहले प्राथमिकी दर्ज करवाना इसी सियासत का हिस्सा है. ताकि सरयू राय के खिलाफ ताल ठोकते वक्त रघुवर दास निहत्था नहीं रहें, जंगे मैदान में जब  सरयू राय भ्रष्टाचार का तीर चलायें तो रघुवर दास के पास भी उसका जवाबी तीर हो

रांची: सियासत में खेल सिर्फ पर्दे के सामने नहीं होता है, जो खेल आपकी आंखों के सामने होता है, वह तो उस रंग मंच की एक झलक भर होती है. पूरी तस्वीर तो पर्दे पीछे नाचती है, जमशेदपुर की सियासत में बरसों से कुछ इसी प्रकार का रंग मंच सजता रहा है. पूर्व मंत्री सरयू राय, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और पूर्व सीएम रघवुर दास इसके तीन अहम किरदार के रुप में अपनी-अपनी बैटिंग करते रहे हैं.  आपको याद दिला दें कि कभी सरयू राय भी रघुवर दास के साथ ही भाजपा में सवार थें, जबकि बन्ना गुप्ता कांग्रेस के साथ. लेकिन एक ही दल में रहने के बावजूद भी रघुवर दास और सरयू राय के बीच तलवार खिंची रही, एक दूसरे की सियासी जमीन को बंजर बनाने का संग्राम जारी रहा और कांग्रेस का घुड़सवार होने के बावजूद बन्ना गुप्ता को रघुवर दास का आशीर्वाद मिलता रहा. पश्चिमी जमशेदपुर की सियासी जमीन को उर्वर बनाने में बन्ना गुप्ता को कांग्रेस से ज्यादा उर्जा रघुवर दास के आशीर्वाद से मिलता रहा. ठीक उसी तरह पूर्वी जमशेदपुर का रघुवर का किला अभेद बना रहे, बन्ना गुप्ता की पहली सियासी प्राथमिकता रही.

बन्ना-रघुवर का वैश्य कार्ड बनाम सरयू राय का भ्रष्टाचार का तीर

एक तरफ सरयू राय अपने भ्रष्टाचार विरोधी छवि के साथ अगड़ी जातियों को गोलबंद करने की कोशिश करते रहें तो दूसरी ओर रघुवर दास और बन्ना गुप्ता अपने-अपने वैश्य चेहरे के साथ इसकी काट ढूंढ़ते रहें. रघुवर दास अपना वैश्य चेहरा के साथ ही हिन्दुत्व का कार्ड भी खेलते रहें, ताकि अगड़ी जातियों के एक हिस्से का भी साथ बना रहे. इधर जमशेदपुर की सियासत में अपने सामने पसरी मजबूरियों को भांप सरयू राय की रणनीति अपने चेहरे को धर्म निरपेक्ष बनाये रखने की रही. संघ परिवार से पुराना रिश्ता और भाजपा की सवारी के बावजूद सरयू राय का यह अपना स्टाईल ऑफ पॉलिटिक्स रहा है, ताकि वैश्य मतदाताओं की गोलबंदी से हुई क्षति को अल्पसंख्यक मतदाताओं में सेंधमारी से पूरा किया जा सके और इधर बन्ना गुप्ता बात-बात पर पिछड़ा कार्ड खेल कर सरयू राय की रणनीति बनात रहें. जिस तरीके से बन्ना गुप्ता पिछड़ा कार्ड खेल कर अपने आप को विक्टिम और सरयू राय को खलनायक के बतौर पेश करते हैं, वह और कुछ नहीं चुनावी शतरंज का शाह मात का खेल है.

रघुवर दास और बन्ना गुप्ता की सियासी दोस्ती

दरअसल जमशेदपुर की सियासत में रघुवर दास और बन्ना गुप्ता की सियासी दोस्ती की चर्चा आम है. दावा किया जाता है कि जब कभी भी रघुवर दास का पूर्वी जमशेदपुर का किला हिलता नजर आया, बन्ना गुप्ता की बेचैनी बढ़ जाती है. वह हर संकट की घड़ी में रघुवर दास के साथ खड़ा नजर आते हैं, दोनों की कोशिश पूर्वी जमशेदपुर और पश्चिमी जमशेदपुर में अपने-अपने चेहरे को वैश्य और मजबूत पिछड़ा चेहरा के रुप में स्थापित करने की रही है, और सरयू राय को निशाने पर लेना, एक सधी राजनीति, इस बार फिर से जमशेदपुर में वही कहानी सामने आते दिख रही है. दावा किया जाता है कि भले ही सरयू राय जदयू के सहारे पूर्वी जमशेदपुर के अखाड़े में उतरने की गुंजाईश बना रहे हैं. लेकिन उनकी यह चाहत पूरी नहीं होने वाली है. सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि यदि रघुवर दास खुद मैदान में नहीं उतरे तो पतोह पूर्णिमा ललित दास का चुनाव लड़ना तय है.

रांची में  प्राथमिकी का जमशेदपुर के जंग से रिश्ता

हालांकि अभी चुनाव की रणभेरी बजने में देर है. लेकिन सियासी पासे बिछाने की शुरुआत हो चुकी है. सरयू राय के खिलाफ बन्ना गुप्ता की फिल्डिंग एक बार फिर से शुरु हो चुकी है. रांची के अरगोड़ा थाने में मनोज कुमार के बयान पर पूर्व मंत्री सरयू राय के साथ ही निजी सचिव आनंद कुमार, सुनील शंकर रितेश गुप्ता और जेपीपीएल के निदेशक के खिलाफ धारा 314,316 (2),316 (3),316 (4),316 (5) और 61 (2) और भष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 7,11,12,13 ( 2) तहत दर्ज की प्राथमिकी को इसी फिल्डिंग का हिस्सा बताया जा रहा है. प्राथमिकी दर्ज करवाने वाले मनोज कुमार का दावा है कि रघुवर दास सरकार में खाद्य विभाग के मंत्री के रुप में सरयू राय ने पद का दुरुपयोग कर आहार पत्रिका के मुद्रण और प्रकाशन की आड़ में 33826473 करोड़ फर्जीवाड़ा किया. मजेदार बात यह है कि इस मामले में पहले भी एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, लेकिन आज तक उसकी कोई जांच रिपोर्ट सामने नहीं आयी, तो फिर उसी मामले में एक और प्राथमिकी का मकसद क्या है?

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दर्ज प्राथमिकी पर जमशेदपुर में सियासत गर्म

मामला भले ही रांची में दर्ज किया गया हो, लेकिन सियासत जमशेदपुर में गर्म है, सियासी जानकारों का दावा है कि इस प्राथमिकी का संबंध पूर्वी जमशेदपुर के सियासी जंग से हैं. रघुवर दास को अपर हैंड देने के लिए एक बार फिर बन्ना गुप्ता ने मोर्चा खोल दिया है, चुनावी समर में जाने के पहले प्राथमिकी दर्ज करवाना इसी सियासत का हिस्सा है. ताकि सरयू राय के खिलाफ ताल ठोकते वक्त रघुवर दास निहत्था नहीं रहें, जंगे मैदान में जब  सरयू राय भ्रष्टाचार का तीर चलायें तो रघुवर दास के पास भी उसका जवाबी तीर हो.  यानि सरयू राय के खिलाफ युद्ध के लिए रघुवर दास के हाथ में हथियार बन्ना गुप्ता की ओर से भेंट कर दिया गया है. पार्टियां अलग अलग है, लेकिन निष्ठा साथ-साथ है और दुश्मन एक है. मामले में आगे जो होगा वह तो होगा, लेकिन पूर्वी जमशेदपुर के  सियासी जंग में सरयू राय के खिलाफ फिलहाल यह एक मुद्दा जरुर बन जायेगा. देखने वाली बात यह भी होगी कि जब पूर्वी जमशेदपुर में एक तरफ सरयू राय होंगे दूसरी तरफ खुद रघुवर दास या पतोह पूर्णिमा ललित दास और इन दोनों के बीच महागठबंधन का पहलवान, उस हालत में बन्ना गुप्ता की बल्लेवाजी का अंदाज क्या होता है. महागठबंधन के पक्ष में जी जान लगायेंगे या फिर रघुवर दास के लिए अंदरखाने का खेल करेंगे. क्योंकि सियासत में असली खेल तो पर्दे के पीछे ही होता है.

Edited By: Devendra Kumar

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