...तो क्या अब भाजपा से सहायक पुलिसकर्मियों का मुद्दा भी छीन गया, चुनाव में अब किसको मिलेगा साथ
कैबिनेट की बैठक में मांगों को मिली मंजूरी
आगामी विधानसभा चुनाव में यह सहायक पुलिसकर्मी अब किसके साथ खड़े होंगे,यह महत्वपूर्ण सवाल है. क्या यह उस भाजपा के साथ होंगे जिसने इनके आंदोलन को सोशल मीडिया और मुख्य धारा की मीडिया में जगह दिलाई और हेमंत सरकार को उनकी मांगों को मानने के लिए मजबूर किया
रांची: झारखंड में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाला है तो ऐसे में विपक्षी दल भाजपा और सत्ताधारी इंडिया गठबंधन की पार्टियां जेएमएम-कांग्रेस चुनावी मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ हमलावर हैं। इन्हीं मुद्दों में शामिल है झारखंड के सहायक पुलिसकर्मियों का मुद्दा। महज 10 हजार के मानदेय पर काम करने वाले लगभग ढाई हजार यह सहायक पुलिसकर्मी बीते 2 महीने से भी अधिक समय तक आंदोलित रहे तो वहीं इस मामले को लेकर भाजपा नेताओं ने भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ उनकी वादाखिलाफी को लेकर खूब हमला बोला। सहायक पुलिसकर्मी भी इन 2 महीनों में राजधानी की सड़कों पर कभी पुलिस की लाठियां खाई तो कभी मूसलाधार बारिशों को झेलते चुनाव के दौरान वादाखिलाफी करने पर नेताओं को सबक सिखाने की बात कह रहे थे लेकिन तस्वीर अब बदल चुकी है।
आज मुख्यमंत्री आवास में राज्य के विभिन्न जिलों के सहायक पुलिस कर्मियों से मुलाकात की। उनकी सेवा अवधि विस्तार और अन्य लाभों पर कैबिनेट के निर्णय से वे उत्साहित हैं।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 7, 2024
हमारी सरकार पुलिस बल के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। साथ मिलकर एक सुरक्षित और समृद्ध झारखंड बनाएंगे। pic.twitter.com/1Gl9cpjk4g
मांगें हुई पूरी, कैबिनेट की मिली मंजूरी
बीते शुक्रवार यानी 6 सितंबर को हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड कैबिनेट ने रिकार्ड 63 प्रस्तावों को मंजूरी दी तो इन प्रस्तावों में राज्य के लगभग ढाई हजार सहायक पुलिसकर्मियों को एक साल का सेवा विस्तार दिए जाने के अलावा उनके मानदेय को 10 हजार से बढ़ाकर 13 हजार किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। इसके अलावा इन पुलिसकर्मियों को अब सालाना 4 हजार रुपए वर्दी भत्ता के रूप में भी दिए जाने का एलान किया गया। एक लाख का मेडिक्लेम समेत अन्य लाभों की मंजूरी की घोषणा के बाद सहायक पुलिसकर्मियों की वर्षों पुरानी मुराद पूरी हुई तो शनिवार, 7 सितंबर को सीएम हेमंत सोरेन की इन सहायक पुलिसकर्मियों ने जमकर खातिरदारी की.
मिठाई,हार और फोटो शूट से खत्म हुआ आंदोलन
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब अपनी सेवा को नियमित करने और मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलनरत यह सहायक पुलिसकर्मी सीएम आवास से महज कुछ मीटर दूर से ही खदेड़ दिए गए थे और इस दौरान हुई हिंसक झड़प में कई सहायक पुलिसकर्मियों पर जमकर लाठियां भी भांजी गई लेकिन शनिवार को इन सहायक पुलिसकर्मियों के लिए सीएम आवास के गेट खुले. सहायक पुलिसकर्मियों ने सीएम हेमंत सोरेन. मंत्री मिथिलेश ठाकुर को माला पहनाई, मिठाई खिलाई और अंत में इन सहायक पुलिसकर्मियों की कभी अपनी मांगें सीएम को बताने की जिद सीएम के संग अलग अलग पोज में तस्वीर खिंचवाने के रूप में पूरी हुई.
क्या होगी सहायक पुलिसकर्मियों की चुनावी रणनीति
आगामी विधानसभा चुनाव में यह सहायक पुलिसकर्मी अब किसके साथ खड़े होंगे,यह महत्वपूर्ण सवाल है. क्या यह उस भाजपा के साथ होंगे जिसने इनके आंदोलन को सोशल मीडिया और मुख्य धारा की मीडिया में जगह दिलाई और हेमंत सरकार को उनकी मांगों को मानने के लिए मजबूर किया या फिर पहले अपने ऊपर लाठी बरसाने और फिर मांगों को मानने वाली जेएमएम-कांग्रेस के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार के साथ यह सहायक पुलिसकर्मी और उनके परिजन खड़े होंगे. इसका पता तो विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद ही चलेगा लेकिन इतना तय है कि फिलहाल सीएम हेमंत सोरेन ने बीजेपी के हाथ से युवाओं और महिलाओं से जुड़ा एक बड़ा चुनावी मुद्दा छीन लिया है.