जेल से पक्का अपराधी बन कर लौटे हैं हेमंत: बाबूलाल मरांडी
युवाओं का भविष्य रसातल में और जनता का वर्तमान दलदल में
हेमंत सोरेन किसी जन आंदोलन में नहीं, भ्रष्टाचार के मामले में जेल गये थें और पक्का अपराधी बनकर लौटे हैं. जेल से लौटते ही आदिवासी अस्मिता को तार-तार करने वाले कदम उठाए. सत्ता के बिना एक दिन भी चैन नहीं मिला, इस बेचैनी में चंपाई सोरेन से कुर्सी छीन ली गयी.
रांची: एक तरफ झामुमो भाजपा के सामने बाबूलाल मरांडी को विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा बनाने की चुनौती पेश कर रही है, वहीं दूसरी ओर बाबूलाल हेमंत सरकार से पांच साल में किये गये पांच काम बताने की मांग कर रहे हैं. बाबूलाला मरांडी ने दावा किया है कि झारखंड की जनता पिछले पांच साल से हेमंत सरकार के गिद्ध शासन में कैद है. मुख्यमंत्री आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहा है. झारखंड की संपदा को लूटा जा रहा है. जिस आदिवासियों के लिए झारखंड की स्थापना हुई थी. हेमंत सोरेन के कार्यकाल में उस आदिवासी समाज के हाथ से सब कुछ छीन लिया गया. बांगलादेशी घुसपैठियों को सिर पर बिठाने वाले हेमंत सोरेन को चारों ओर सिर्फ गिद्ध नजर आ रहा है. जबकि असलियत है कि झारखंडी अस्मिता को तार-तार कर करते हुए, पूरी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. युवाओं का भविष्य रसातल में और जनता का वर्तमान दलदल में फंसा हुआ है.
इलाज के अभाव में मर रहा आदिवासी समाज
हेमंत सोरेन सरकार के पास पांच साल में बताने को पांच काम नहीं है...
— Babulal Marandi (@yourBabulal) September 12, 2024
झारखंड की जनता पांच साल से उस गिद्ध शासन में कैद है, जहां मुख्यमंत्री आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहा है। झारखंड की संपदा लूटने में व्यस्त हेमंत सोरेन का पूरा चरित्र भ्रष्टाचार का लबादा ओढे हुए हैं।
जिन…
बाबूलाल मरांडी ने दावा किया है कि झारखंड की आदिवासी जनता इलाज के अभाव में मर रही है. अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं, बच्चे दम तोड़ रहे हैं. नौकरी के लिए दौड़ लगाते हुए युवा दम तोड़ रहे हैं. दलालों और बिचौलियों के बीच बैठे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास एक मुद्दा नहीं है, जिसके बूते वे वोट मांग सकें. हेमंत सोरेन पांच लाख नौकरियां देने का वादा करके सत्ता में आए थे, लेकिन पांच साल में बताने को पांच काम नहीं हैं. हेमंत सोरेन किसी जन आंदोलन में नहीं, भ्रष्टाचार के मामले में जेल गये थें और पक्का अपराधी बनकर लौटे हैं. जेल से लौटते ही आदिवासी अस्मिता को तार-तार करने वाले कदम उठाए गये. सत्ता के बिना एक दिन भी चैन नहीं मिला, इस बेचैनी में चंपाई सोरेन से कुर्सी छीन ली गयी.
सिर्फ कल्पना सोरेन और खुद को प्रतिभावान समझते हैं हेमंत
बाबूलाल ने तंज भरे अल्फाज में लिखा है कि हेमंत सोरेन खुद को और अपनी पत्नी को आदिवासियों में सबसे अधिक प्रतिभावान समझते हैं. चुनावी साल में मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने की जुगत में कभी पत्नी को सीएम की कुर्सी पर बिठाने की कोशिश करते हैं तो कभी खुद को. जबकि झारखंड का आदिवासी समाज बेहाल, बदहाल है.