कुलेश भंडारी के नेतृत्व में पाहाड़िया गांवों में मजबूत हो रहा वाइल्ड फूड फॉरेस्ट अभियान
गांव-गांव फैल रहा वाइल्ड फूड फॉरेस्ट अभियान
दुमका के पाहाड़िया गांवों में वाइल्ड फूड फॉरेस्ट अभियान पारंपरिक वन-ज्ञान और सामुदायिक संरक्षण को नई दिशा दे रहा है।
दुमका : जिले की घाटी पंचायत (बरमसिया) के पाहाड़िया बहुल गांवों में इन दिनों वाइल्ड फूड फॉरेस्ट्स इन ट्राइबल झारखंड अभियान के तहत एक सशक्त और ज़मीनी पहल लगातार आकार ले रही है। इस पहल का नेतृत्व कुलेश भंडारी कर रहे हैं, जो लंबे समय से संथाल परगना क्षेत्र में समुदाय आधारित संरक्षण और पारंपरिक वन-ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए सक्रिय हैं।

कुलेश भंडारी ने कहा कि पाहाड़िया समुदाय केवल जंगल का उपयोग करने वाला समाज नहीं, बल्कि उसका मूल संरक्षक रहा है। जब बच्चों को शुरू से ही जंगल, मिट्टी और अपने पारंपरिक ज्ञान से जोड़ा जाता है, तब संरक्षण अपने आप मजबूत होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वाइल्ड फूड फॉरेस्ट कोई एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि गांव-गांव लगातार आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया है।
इस अभियान के ज़मीनी क्रियान्वयन में आलोक कुमार मांझी ने सह-समन्वयक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर गतिविधियों का संचालन किया और स्थानीय ज्ञान को सामने लाने में सहयोग किया। गांव की महिलाओं और बुजुर्गों ने बताया कि पहले जंगल से मिलने वाला भोजन गांव की रोजमर्रा की ज़रूरतों का हिस्सा था, जो समय के साथ कम होता गया। ऐसे में यह पहल नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम कर रही है।
यह अभियान द पोलिनेशन प्रोजेक्ट फाउंडेशन (अमेरिका) के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। वाइल्ड फूड फॉरेस्ट पहल अब केवल एक गांव तक सीमित नहीं रही, बल्कि घाटी पंचायत से निकलकर आसपास के कई गांवों में लगातार विस्तार ले रही है और धीरे-धीरे एक व्यापक जन-आधारित आंदोलन का रूप ले रही है।
