नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की जमीन ग्रामीणों को वापस, 1250 एकड़ वन पट्टा का वितरण
अब डिसमिल में नहीं एकड़ में मिलेगा वन पट्टा
हमारे महान पूर्वजों ने इस राज्य के लिए कुर्बानी दी ताकि यहां के आदिवासी-मूलवासी हमेशा सुरक्षित रहें। अलग राज्य तो मिला लेकिन जो लोग इस राज्य को लूटने वाले थे वही सत्ता में बैठ गए। राज्य गठन के बाद 20 वर्ष तक उन लोगों ने ही राज किया। इसका परिणाम हुआ कि लोग भूख से मरने लगे।
रांची: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को सदा सदा के लिए रद्द कर दिया गया है, इसके साथ ही जमीन भी ग्रामीणों को वापस कर दी गयी है. इसकी जानकारी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर एक्स देते हुए सीएम हेमंत ने लिखा है कि “जल, जंगल और जमीन झारखण्ड की पहचान है। अलग-अलग कारणों से कई बार यहां के लोग विस्थापित होते गए। उद्योग, फैक्ट्री, माइनिंग के नाम पर विस्थापन हुआ। नए-नए कानून बनाकर आदिवासी-मूलवासियों को भगाया जाता रहा है। लेकिन हम लोगों ने इसका अलग रास्ता बनाया है कि कैसे हम अपने जल, जंगल और जमीन बचाएंगे। इस दिशा में हमने पहला कदम बढ़ाया। नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज हमेशा के लिए रद्द कर दिया गया है। इसको लेकर पूर्व में कितने आंदोलन हुए, कई लोग मारे गए। लेकिन वह लड़ाई हम लोगों ने छोड़ी नहीं। आज जैसे ही मुझे मौका मिला मैंने उस फायरिंग रेंज की सारी भूमि ग्रामीणों को वापस कर दी। आज देश की सूची में आदिवासियों की पहचान नहीं है। इसलिए झारखण्ड सरकार ने आदिवासी सरना धर्मकोड विधानसभा से पारित करके भेजा, लेकिन भारत सरकार द्वारा इस पर आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। अगर सरना धर्म कोड मिल जाए, यहां के आदिवासियों के लिए कोड मिल जाए तो, हम देश के आदिवासी सुरक्षित हो जाएंगे। अब डिसमिल में नहीं, अब वन पट्टा एकड़ का बनेगा, वो व्यक्तिगत हो या सामुदायिक। इन वनपट्टों के माध्यम से आप खेती का कार्य कर सकते हैं। अब तक लोहरदगा और गुमला में आपकी सरकार ने 22 हजार एकड़ भूमि का वनपट्टा वितरित किया है और आज 1250 एकड़ वन पट्टा का वितरण भी किया जा रहा है।
जल, जंगल और जमीन झारखण्ड की पहचान है। अलग-अलग कारणों से कई बार यहां के लोग विस्थापित होते गए। उद्योग, फैक्ट्री, माइनिंग के नाम पर विस्थापन हुआ। नए-नए कानून बनाकर आदिवासी-मूलवासियों को भगाया जाता रहा है। लेकिन हम लोगों ने इसका अलग रास्ता बनाया है कि कैसे हम अपने जल, जंगल और जमीन… pic.twitter.com/XFUP7FAfwF
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 5, 2024
झारखंड गठन के बाद लूटरों को मिली सत्ता
आगे उन्होंने लिखा कि हमारे महान पूर्वजों ने इस राज्य के लिए कुर्बानी दी ताकि यहां के आदिवासी-मूलवासी हमेशा सुरक्षित रहें। अलग राज्य तो मिला लेकिन जो लोग इस राज्य को लूटने वाले थे वही सत्ता में बैठ गए। राज्य गठन के बाद 20 वर्ष तक उन लोगों ने ही राज किया। इसका परिणाम हुआ कि लोग भूख से मरने लगे। पूर्व की डबल इंजन सरकार में आम दिनों में लोग हाथ में राशन कार्ड लेकर भूख से मरे। हमने लाखों लोगों को हरा राशन कार्ड से जोड़ने का काम किया। हमें सरकारी राशन दुकान से राशन खरीदने नहीं दिया जाता था। यह कार्य सिर्फ हमारी योजनाओं को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। कई बार लोगों की शिकायत आयी कि हरा राशन कार्ड से अनाज नहीं मिल रहा है, इसका कारण यही था कि ये हमें सरकारी दुकान से राशन खरीदने नहीं देते थे तो हमें बाजार से खरीदना पड़ता था, जिससे वितरण में थोड़ा विलंब होता था।