पीएम मोदी के दौरे के पहले कोल्हान में चंपाई इफेक्ट! रामदास सोरेन को मंत्री बनाना झामुमो पर पड़ा भारी!
झामुमो विधायकों का बदलता तेवर
रामदास सोरेन को मंत्री बनाये जाना दशरथ गागराई को नागवार गुजरा है. दो-दो बार के विधायक और पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को शिकस्त देने के वाले दशरथ गागराई अपने आप को रामदास सोरेन की तुलना में कहीं बड़ा चेहरा मानते हैं. साथ ही एक संताल के बदले दूसरे संताल पर दांव लगाना भी नाराजगी की बड़ी वजह हो सकती है.
रांची: 15 सितम्बर को प्रधानमंत्री मोदी का जमशेदपुर रैली में प्रस्तावित रैली के पहले कोल्हान में चंपाई इफेक्ट की झलक मिलने लगी है. सरायकेला में आयोजित झामुमो कार्यकर्ता सम्मेलन, जिसे आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़ कर देखा जा रहा था. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन का पार्टी छोड़ने के बाद झामुमो कार्यकर्ताओं में जोश भरने की तैयारी कवायद मानी जा रही थी. उस बैठक से खरसांवा विधायक दशरथ गागराई और पोटका विधायक संजीव सरकार का गायब रहना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है. दोनों विधायकों की निष्ठा डोलती दिख रही है, वैसे भी दोनों ही चंपाई सोरेन के बेहद करीबी माने जाते हैं.
पीएम मोदी की रैली से पहले झामुमो विधायकों का बदलता तेवर
दरअसल इस गैर मौजूदगी को पीएम मोदी की रैली से भी जोड़ कर भी देखा जा रहा है, दावा किया जा रहा पीएम मोदी की जमशेदपुर रैली के पहले-पहले झाममो के अंदर एक और टूट देखने को मिलेगी और कई झामुमो विधायक और कार्यकर्ता उस दिन पीएम मोदी के साथ मंच पर नजर आ सकते हैं और यदि ऐसा होता है तो यह झामुमो के लिए और बड़ा झटका होगा, अब तक तो झामुमो इस बात का दावा कर रही थी कि चंपाई सोरेन के साथ विधायक को दूर पंचायत स्तर का कार्यकर्ता भी नहीं गया, लेकिन यदि दशरथ गागराई और संजीव सरदार साथ छोड़ते हैं तो फिर कोल्हान की पूरी सियासत हिलती नजर आयेगी.
रामदास सोरेन को मंत्री बनाना झामुमो को पड़ सकता है भारी
वहीं कुछ जानकार, चंपाई सोरेन के बगावत के बाद रामदास सोरेन को मंत्री बनाना भी झामुमो की भूल बता रहे हैं. उनका दावा है कि यदि मंत्रिमंडल विस्तार को टाल दिया जाता तो विधायकों के अंदर यह नाराजगी देखने को नहीं मिलती. रामदास सोरेन को मंत्री बनाये जाना दशरथ गागराई को नागवार गुजरा है. दो-दो बार के विधायक और पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को शिकस्त देने के वाले दशरथ गागराई अपने आप को रामदास सोरेन की तुलना में कहीं बड़ा चेहरा मानते हैं. साथ ही एक संताल को हटा कर दूसरे संताल पर दांव लगाना भी नाराजगी की बड़ी वजह हो सकती है. संजीव सरदार को तो पहले से ही चंपाई सोरेन का बेहद खास माना जाता था. चंपाई सोरेन के सीएम रहते संजीव सरदार को इसका लाभ भी मिला, कई योजनाएं मिली, इस हालत में रामदास सोरेन पर दांव खेलना झामुमो पर भारी पड़ता दिख रहा है. हालांकि विधायकों की गैर मौजूदगी की वजह क्या थी. अभी तक इसको लेकर झामुमो की ओर से कोई सफाई नहीं आयी है, लेकिन अंदरखाने कुछ ना कुछ तो पकता दिख रहा है. और यदि इन कयासों में कोई दम है तो पीएम मोदी का जमशेदपुर यात्रा के दिन या उसके पहले भी कोल्हान की सियासत में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.