ग्रीन बजटिंग से मिलेगा झारखंड के सतत विकास को नया आयाम

‘जस्ट ट्रांज़िशन के फाइनेंसिंग पाथवे’ से संबंधित रिपोर्ट का विमोचन

ग्रीन बजटिंग से मिलेगा झारखंड के सतत विकास को नया आयाम
‘जस्ट ट्रांज़िशन के फाइनेंसिंग पाथवे’ से संबंधित रिपोर्ट का किया गया विमोचन.

राज्य में एनर्जी ट्रांज़िशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और ग्रीन इकॉनोमी बनाने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए विभिन्न वित्तीय उपायों एवं संसाधनों पर कांफ्रेंस में चर्चा की गई.

रांची: टास्क फोर्स-सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन (झारखंड सरकार), सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आइफा) द्वारा आयोजित ग्रीन बजटिंग केंद्रित कांफ्रेंस में एक रिपोर्ट 'जस्ट ट्रांज़िशन फाइनेंसिंग पाथवे फॉर झारखंड' जारी की गयी. कार्यक्रम में ग्रीन बजटिंग और सस्टेनेबल फाइनेंसिंग की आवश्यकता पर जोर दिया गया, साथ ही राज्य में एनर्जी ट्रांज़िशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और ग्रीन इकॉनोमी बनाने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए विभिन्न वित्तीय उपायों एवं संसाधनों पर चर्चा की गई.

कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अमरेंद्र प्रताप सिंह, आईएएस (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, झारखंड राज्य वित्त आयोग ने राज्य में ग्रीन बजटिंग की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक व्यय का उपयोग क्लाइमेट रेसिलिएंट एवं सस्टेनेबल इकॉनोमी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाए. विविध विभागों के समन्वय से ग्रीन बजट निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो सकती है, जिससे राज्य में ग्रीन इकॉनमी को प्रोत्साहन मिलेगा.

कांफ्रेंस के विषयवस्तु से अवगत कराते हुए अजय कुमार रस्तोगी, आईएफएस (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, टास्क फोर्स-सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन ने ग्रीन अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव में ग्रीन फाइनेंसिंग के महत्व पर जोर दिया, जो दीर्घकालिक विकास के लिए वित्तीय ढांचे के निर्माण पर जोर देती है. उन्होंने कहा कि हरित पहलों के लिए बजट आवंटन बढ़ाना देश एवं राज्य के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक है. उन्होंने राज्य में जस्ट ट्रांज़िशन फंड की स्थापना पर भी बल दिया ताकि भविष्योन्मुखी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराये जा सके.

ग्रीन बजट के व्यापक सामाजिक-आर्थिक लाभों के बारे में बताते हुए रमापति कुमार, सीईओ, सीड ने बताया कि यह न केवल एनवायरनमेंटल सस्टनेबिलिटी को बढ़ावा देता है, बल्कि नए रोजगार के अवसर और वैकल्पिक राजस्व साधनों को भी पेश करता है. उन्होंने ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेशों को सही दिशा देने के लिए एक वित्त पोषण ढांचे के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया. राज्य में विभागीय समन्वय एवं कन्वर्जेन्स के साथ ग्रीन बजटिंग और क्लाइमेट फाइनेंस का एक फ्रेमवर्क विकसित कर क्रियान्वयन करना आवश्यक है.

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रिपोर्ट के अनुसार झारखंड की अर्थव्यवस्था जीवाश्म ईंधनों पर बहुत ज्यादा निर्भर है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान जीवाश्म ईंधन से प्राप्त राजस्व राज्य की आय का 32% हिस्सा थे. इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने क्रमशः 22% एवं 16% राजस्व जीवाश्म ईंधनों से प्राप्त किया. झारखंड की लगभग 57% जीएसटी संग्रहण जीवाश्म ईंधन-निर्भर उद्योगों से आती है, जिसमें स्टील, आयरन, सीमेंट, और कोयला लगभग 40% योगदान करते हैं, और ऑटोमोबाइल्स एवं पेट्रोलियम 17% जोड़ते हैं. रिपोर्ट ने सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने और एनर्जी ट्रांज़िशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्टेनेबल फाइनेंसिंग और ग्रीन बजट जैसे उपायों को लागू करने की सिफारिश की है.

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रिपोर्ट के बारे में सुश्री विभूति गर्ग, निदेशक-दक्षिण एशिया, आइफा ने बताया कि झारखंड में सस्टेनेबल ट्रांजिशन के लिए ग्रीन क्षेत्रों, अक्षय ऊर्जा, सततशील कृषि और ग्रीन अधिसंरचना में सार्वजनिक व्यय की ओर ठोस बदलाव की आवश्यकता है. सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से क्लाइमेट फाइनांस जुटाना ट्रांज़िशन की अधिसंरचना निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है. इस रिपोर्ट में बताए गए फाइनेंसिंग फ्रेमवर्क एवं मैकेनिज्म राज्य में वित्तीय योजना को सुदृढ़ करने, कार्बन फुटप्रिंट को कम करने, आर्थिक विकास के अवसर उत्पन्न करने में मदद करेंगे.
कांफ्रेंस ने सस्टेनेबल ट्रांज़िशन के वित्त-पोषण के प्रमुख उपायों के विचार पेश किये जैसे : ग्रीन बजट के माध्यम से सार्वजनिक व्यय को प्राथमिकता देना, ग्रीन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाना, सतत वित्त-पोषण ढांचे के माध्यम से अतिरिक्त वित्त जुटाना, अंतर-विभागीय समन्वय बढ़ाना और ग्रीन ट्रांज़िशन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए क्षमता का निर्माण करना आदि .

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कार्यक्रम में टास्क फोर्स के नामित सदस्य, वित्त, योजना एवं विकास, कृषि, ऊर्जा, परिवहन, उद्योग आदि विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी, स्टेट लेवल बैंकर्स कमिटी, नाबार्ड समेत प्रमुख वित्तीय संस्थाएं एवं बैंक, सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा शांतनु श्रीवास्तव (रिसर्च लीड, आइफा), गौरव उपाध्याय (एनर्जी फाइनेंस विशेषज्ञ, आइफा) आदि की भागीदारी रही.

Edited By: Subodh Kumar

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