पश्चिम बंगाल के जूनपुट में मिसाइल लांच पैड के निर्माण पर मत्स्यजीवी फोरम के सवालों का डीआरडीओ ने दिया जवाब
स्थानीय मछुआरा समुदाय लगातार चिंता व्यक्त कर रहेे

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग एवं डीआरडीओ के सचिव डॉ समिर वी कामत ने पूर्व मेदिनीपुर मत्स्यजीवी फोरम के महासचिव देवाशीष श्यामल को पत्र लिख कर उनके द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब दिया है
पूर्वी मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के कोंतई - 1 ब्लॉक के जूनपुट में समुद्र तट पर बन रहे मिसाइल लांचिंग पैड को लेकर स्थानीय मछुआरा समुदाय लगातार चिंता व्यक्त कर रहेे हैं। मछुआरों के संगठन पूरब मेदिनीपुर मत्स्यजीवी फोरम के महासचिव देवाशीष श्यामल ने इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर भी अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। स्थानीय मछुआरों और उनके संगठन इस लांच पैड के निर्माण से खुद की आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। इस संबंध में मीडिया में खबरें भी आई हैं और स्थानीय स्तर पर विरोध भी दर्ज कराया गाय है।

डॉ कामत ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि टेस्ट मिसाइल का परीक्षण बंगाल की खाड़ी की ओर किया जाएगा और यह समुद्र तट से दूर होगा और इस क्षेत्र में कोई ब्लास्ट नहीं होगा। साथ ही इस क्षेत्र के जलीय जीवन को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचेगा।
परीक्षण के समय स्थानीय लोगों की सुरक्षा के सवाल पर डीआरडीओ अधिकारी ने कहा है कि परीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों को चार घंटे के लिए सुरक्षित जगह की ओर ले जाया जाएगा और परीक्षण के बाद उन्हें सुरक्षित ढंग से उनके आवास तक लाया जाएगा और उन्हें स्टैंडर्ड रेट पर इसके लिए मुआवजा दिया जाएगा। ऐसा सिर्फ लोगों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त ऐहितियात के तौर पर किया जाएगा और इस मिशन से उनकी संपत्ति व लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा, सबकुछ सामान्य तरीके से होगा।
सिर्फ एक किमी के एरिया को तात्कालिक तौर पर खाली कराने के लिए सभी जरूरी सुरक्षा मानकों व सतर्कता का पालन किया जाएगा। जूनपुट में प्रक्षेपण से मछली से जुड़े कारोबार को होने वाले संभावित नुकसान के सवाल पर डॉ कामत ने कहा है कि लोकल लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा और उस दिन का उन्हें मुआवजा भुगतान किया जाएगा। भविष्य में इस परियोजना के संभावित विस्तार, किस स्थल पर लांच पैड बनेगा, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया क्या होगा और इसे कैसे किया जाएगा, जैसे सवालों पर कहा गया है कि इस संबंध में डिटेल डीआरडीओ की वेबसाइट पर है, हालांकि रोड कनेक्टिविटी और कंपाउंड वॉल फेंसिंग की जरूरत है। भविष्य में किसी और प्रकार के जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं है।
डीआरडीओ की ओर से कहा गया है कि सभी पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिक एवं पश्चिम बंगाल सरकार व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुशंसाओं का ख्याल रखा जाएगा। डीआरडीओ लोगों व प्रकृति की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता में रखता है। उस क्षेत्र लोगों खासकर आजीविका के लिए निर्भर किसानों व मछुआरों पर कोई संकट नहीं आएगा। डीआरडीओ की ओर से कहा गया है कि इससे कई प्रकार के लाभ होंगे। नेटवर्किंग रोड और पर्यटन के लिए कनेक्टिविटी, पानी, बिजली, संचार की सुविधा बढेगी और पर्यटन की संभावना बेहतर होगी।