रघुवर सरकार के लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ विनोद सिंह ने खोला मोर्चा
सीएम हेमंत से लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून रद्द करने की मांग
रघुवर दास सरकार ने 2018 में भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 बनाकर भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में अहम संशोधन किया था. जिसके तहत बिना ग्राम सभा की सहमति के ही जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ कर दिया गया था. दावा किया जाता है कि यह सीएनटी और एसपीटी कानून का उल्लंघन है. साथ ही आदिवासी-मूलवासी समुदाय के लिए जल, जंगल, ज़मीन के साथ आजीविका और सांस्कृतिक जुड़ाव से भी जुड़ा मामला भी है.
रांची: चुनावी दहलीज पर खड़ी झारखंड में रघुवर शासन काल में लिए गये फैसले पर सियासत तेज हो चुकी है. भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने रघुवर सरकार में बनाये गये लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून में किये गये संशोधन को रद्द करने की मांग की है. सीएम हेमंत को लिखे अपने पत्र में विनोद सिंह ने कहा कि रघुवर सरकरा ने वर्ष 2016 में जिस लैंड बैंक का निर्माण किया था, उसके कारण 22 लाख एकड़ सामुदायिक और गैर मजरुआ जमीन को लैंड बैंक में डाल दिया गया था. जिसके कारण किसी भी वक्त यह जमीन किसी भी कंपनी को दिया जा सकता है, इसके लिए ग्राम सभा की सहमति भी अनिवार्य नहीं होगी. विनोद सिंह ने कहा है कि इन जमीनों को लैंड बैंक में शामिल करते वक्त भी ग्राम सभा की सहमति नहीं ली गयी थी.
रघुवर सरकार ने वर्ष 2018 में बनाया था लैंड बैंक
आपको बता दें कि रघुवर दास सरकार ने 2018 में भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 बनाकर भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में अहम संशोधन किया था. जिसके तहत बिना ग्राम सभा की सहमति के ही जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ कर दिया गया था. दावा किया जाता है कि यह सीएनटी और एसपीटी कानून का उल्लंघन है. साथ ही आदिवासी-मूलवासी समुदाय के लिए जल, जंगल, ज़मीन के साथ आजीविका और सांस्कृतिक जुड़ाव से भी जुड़ा मामला भी है. जिस वक्त इस नीति का निर्माण किया गया था, तब झामुमो की ओर से भी इसका पूरजोर विरोध किया गया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस कानून को रद्द करने की दिशा में कोई पहल नहीं की गयी. यही कारण है कि अब विनोद सिंह के द्वारा सीएम हेंमत को उनके पूराने वादे की याद दिलाई जा रही है.