कोरोना से दिवंगत पत्रकारों को मुआवजा देने के अपने वायदों को पूरा करेगी झारखंड सरकार?
डेस्क: कोरोना काल में झारखंड में कई पत्रकार संक्रमित हुए और कइयों ने अपने जान गवाए। लेकिन इस संक्रमण के दौर में भी पत्रकार के कारण ही आम लोगों तक सभी खबरें पहुंचती रहीं। आज सभी तक कोरोना और देश दुनिया की सारी खबरें घर बैठे ही पहुँच पा राही हैं। इसका श्रेय पत्रकारों का ही है।
पत्रकार को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी माना जाता है। ऐसे में पत्रकारों की सुध लेने के लिए सरकारों को आगे आना चाहिए और उनके हित की रक्षा के लिए ठोस कदम भी उठाने चाहिए।
सरकारें कोरोना से दिवंगत पत्रकारों के परिवारों के लिए मुआवजे की राशि की घोषणा तो कर देती है, लेकिन इसकी वास्तविक स्थिति और जमीनी हकीकत काफी अलग होती है।
झारखंड के 33 से भी अधिक पत्रकारों की जान इस कोरोना संक्रमण से गयी है। ये सभी जन मानस तक कोरोना से जागरूकता और उससे बचाव के ख़बरों को करने के दौरान ही संक्रमित हुए और उनके जान गए। सरकार ने उनके परिजनों की देख-रेख हेतु मुआवजे राशि की घोषणा भी की लेकिन यह सब सरकारी तंत्र के फाइलों में ही दबी पड़ी है।
कोरोना के दूसरी लहर की समाप्ति सरकार ने 31 जुलाई को ही अधिसूचना निकाल कर दी है। आज 1 महीने बाद भी उनके पास कोई सूची नहीं है कि राज्य के कितने पत्रकार की कोरोना से मृत्यु हुई है।
सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क द्वारा सभी संपादकों और मीडिया कर्मियों से इस हेतु एक पत्र लिखकर उनकी सूची मंगवाई गयी है। अब यह सूची कब बनेगी और कब इसके मुताबिक मुआवजा मिलेगा या नहीं, तबतक उन दिवंगत पत्रकारों के आश्रितों का क्या होगा इन सब सवालों के जवाब भी देने वाला कोई नहीं है।
सरकार घोषणा तो कर देती है लेकिन इसका जमीनी स्तर पर पहुंचने में इतनी देरी हो जाती है कि सरकार के ये वायदे झूठे आश्वासन लगने लगते हैं। कई बार तो सरकार बस विपक्ष के सवालों से बचने के लिए भी वायदे कर देते है। हो सकता है यह सूची भी आगामी विधानसभा सत्र में विपक्ष के सवालों से खुद को बचाने के लिए सरकार तैयार कर रही हो।