मीडिया में चुनाव संबंधी जानकारी सार्वजनिक करने के पहले तथ्यों की कर लें जांच: के.रवि कुमार
प्रथम चरण के मतदान के लिए वोटर इंफार्मेशन स्लिप का वितरण शनिवार से
आदर्श आचार संहिता उल्लंघन में अब तक 14 प्राथमिकी दर्ज हुए. अब तक 16.67 करोड़ की अवैध सामग्री और नकदी जब्त हुई.
रांची: मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के.रवि कुमार ने कहा है कि मीडिया में चुनाव संबंधी सूचना सार्वजिनक करने के पहले भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों का पालन जरूर करें. इस संबंध में निर्वाचन आयोग का विस्तृत और स्पष्ट निर्देश है. मूल रूप से किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप, जाति व धर्म को लेकर अनर्गल बातें आदि सीधे तौर पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आते हैं. इसलिए चुनाव संबंधी जानकारी को सार्वजनिक करने के पहले समाचार पत्र, टीवी चैनल, रेडियो, सोशल मीडिया और मीडिया के अन्य माध्यम तथ्यों की पूरी तरह जांच जरूर कर लें. किसी भी संशय की स्थिति में भारत निर्वाचन आयोग एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की ऑफिसियल वेबसाइट पर उपलब्ध दिशा निर्देशों को जरूर संज्ञान में लें. इसके साथ समय-समय पर मीडिया के विभिन्न माध्यमों से भी दिशा निर्देशों के अनुपालन से संबंधित जानकारी उपलब्ध करायी जाती है. वह बुधवार को निर्वाचन सदन, धुर्वा में पत्रकार वार्ता कर रहे थे.
वोटर इंफार्मेशन स्लिप का वितरण शनिवार से
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण के मतदान के लिए वोटर इंफार्मेशन स्लिप का वितरण शनिवार से शुरू होगा. मतदाताओं के घर-घर जाकर इसका वितरण होगा. छह दिन के भीतर यह कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.उन्होंने कहा कि वोटर इंफार्मेशन स्लिप से मतदाताओं को मतदान के दौरान सीरियल नंबंर खोजने में आसानी होगी और काफी समय भी बचेगा. इससे मतदान की गति भी तेज होगी. इसके अलावा मतदान गति बढ़ाने के लिए चुनाव कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है.
290 चेकपोस्टों के माध्यम से राज्य के भीतर और सीमा क्षेत्रों में सघन जांच
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि चुनाव के दौरान धन बल के प्रयोग की हर आशंका पर जहां कड़ी नजर रखी जा रही है, वहीं कड़ी कार्रवाई भी की जा रही है. 290 चेकपोस्टों के माध्यम से राज्य के भीतर और सीमा क्षेत्रों में सघन जांच की जा रही है. इसी का परिणाम है कि लगातार अवैध सामग्री और नकदी की जब्ती कर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 16.67 करोड़ रुपये की अवैध सामग्री और नकदी की जब्ती की जा चुकी है.
अब तक कुल 14 प्राथमिकी दर्ज
उन्होंने बताया कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन में अब तक कुल 14 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. जिसमें सर्वाधिक 8 मामले गढ़वा जिले में दर्ज हुए हैं. वहीं सिमडेगा में 2, रांची में 1, सरायकेला खारसांवा में 1, धनबाद और रामगढ़ जिले में एक-एक मामले दर्ज किये गये हैं.
सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाले पोस्टों के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया है विशेष दिशा निर्देश
सोशल मीडिया के बढ़ते महत्व को देखते हुए चुनाव आयोग ने अपने अनुदेश 25 अक्टूबर 2013 के माध्यम से चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया के उपयोग से संबंधित निर्देश जारी किए हैं.
जिसके मुख्य बिंदु निम्न हैं:
1) सोशल मीडिया को 'इलेक्ट्रॉनिक मीडिया' की श्रेणी में परिभाषित किया गया है. इस प्रकार सोशल मीडिया पर किए जाने वाले सभी राजनीतिक विज्ञापन प्री-सर्टिफिकेशन (पूर्व-प्रमाणीकरण) के दायरे में आते हैं.
2) नामांकन के दौरान प्रत्याशी को नामांकन के समय प्रपत्र -26 में अपने प्रमाणिक (authentic) सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी प्रदान करनी है.
3) प्रत्याशी और राजनैतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जाने वाले राजनीतिक विज्ञापन, सोशल मीडिया अकाउंट को संधारित करने, प्रचार-सामग्री बनवाने एवं उनके सोशल मीडिया के लिए काम करने वाले कर्मियों के वेतन पर आने वाले खर्च को प्रत्याशी के चुनाव-खर्च में शामिल किया जाएगा.
4) प्रत्याशी और राजनीतिक दलों के लिए यह आवश्यक है कि इंटरनेट आधारित मीडिया-प्लेटफॉर्म या मीडिया-वेबसाइट पर किसी राजनीतिक विज्ञापन को जारी करने से पहले प्री-सर्टिफिकेशन (पूर्व-प्रमाणीकरण) प्राप्त करें.
5) भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता एवं संबंधित अन्य निर्देश प्रत्याशी या राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों एवं प्रयुक्त की जाने वाली सभी प्रचार सामग्री पर भी लागू हैं.
किसी भी अस्पष्टता को दूर करने हेतु आयोग ने पुनः पत्रांक 491/SM/COMM/ 2013 दिनांक 16 अप्रैल 2014 द्वारा स्पष्ट किया है कि ई-पेपर पर प्रकाशित होने वाले सभी राजनीतिक विज्ञापनों पर प्री-सर्टिफिकेशन (पूर्व-प्रमाणीकरण) आवश्यक है.
आयोग द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि ब्लॉग / सेल्फ अकाउंट वेबसाईट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए जाने वाला कोई पोलिटिकल कंटेंट जो मैसेज/ कमेंट्स/ फोटो/ वीडियो के रूप में हों, राजनैतिक विज्ञापनो की श्रेणी में नहीं आएंगे.