सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने रखा पक्ष कहा- खदानों की निलामी केंद्र सरकार का एकतरफा फैसला

रांची : राज्य सरकार ने नौ कोयला खदानों की निलामी को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट याचिका 4 जुलाई 2020 को दाखिल किया गया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस पर सुनवाई 6 नवंबर तक टाल दिया है. कोर्ट ने जंगल खनन से पर्यावरण को नुकसान के आकलन के लिए कमेटी बनाने की बात कहीं. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal) ने ऐसा न करने का अनुरोध किया है.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह पर्यावरण चिंताओं पर सुप्रीम कोर्ट को संतुष्ट करेंगे. आपको बता दें कि पहले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) पेश हुए थे. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि झारखंड सरकार के सलाह के बिना ही एक तरफा कोयला खदान की नीलामी किया गया है. केंद्र के इस फैसले से पर्यावरण को नुकसान (Damage to Environment) होने का अलावा आदिवासियों (Tribals) पर भी असर होगा.
6 कोयला खदान पांचवी अनुसूची इलाके से आते हैं
याचिका में कहा गया कि राज्य की सीमा के भीतर स्थित इन खदानों और खनिजों के संपदा के मालिक राज्य सरकार (State Government) है. याचिका 5 और 23 फरवरी का जिक्र करते हुए कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से दर्ज कराई गई आपत्तियों पर केंद्र सरकार (central government) विचार नहीं किया. याचिका में संविधान की पांचवी अनुसूची का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड में 9 कोयला खदानों में 6 को नीलामी के लिए रखा गया है. यह सभी पांचवी अनुसूची(Fifth Schedule) इलाके में से आते हैं. याचिका में कहा गया कि झारखंड में 29.4 प्रतिशत वन क्षेत्र है और नीलामी की रखी गई कोयला खदानों (Coal Mines) वन भूमि पर है.