"बुलडोजर जस्टिस” पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, मंदिर हो दरगाह, हर अवैध निर्माण होगा ध्वस्त
पूरे देश में तोड़फोड़ पर लगी हुई है रोक
जस्टिस गवई ने “बुलडोजर जस्टिस” पर टिप्पणी करते वक्त कहा कि निचली अदालतों को अवैध निर्माण के मामलों में फैसले देते समय सजग रहने की जरुरत है. जमीयत के वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में एक ठोस नियम बनाने की जरुरत है, ताकि किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव की स्थिति कायम नहीं हो, कानून की नजर में देश का हर नागरिक समान है.
Samridh Jharkhand: देश में जारी बुलडोजर जस्टिस पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, और उसका निर्देश सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होता है. दो अवैध ढांचे में किसी पर कार्रवाई और दूसरे को यथास्थिति बनाये रखने की छुट्ट भेदभाव है. कोई भी धार्मिक संरचना सड़क, फुटपाथ और रेलवे लाइन के क्षेत्र में है, सार्वजनिक जीवन में अवरोध पैदा करती है तो उसका हटाया जाना अनिवार्य है. जस्टिस गवई ने कहा कि मंदिर हो दरगाह या कोई दूसरा धार्मिक स्थल अगर सार्वजनिक जीवन में बाधा डालता है और उसका निर्माण सार्वजनिक स्थल पर किया गया है तो उसको भी हटाना जरुरी है, ऐसा नहीं हो सकता कि किसी एक धार्मिक स्थल को हटाया जाय लेकिन दूसरे से आंख मुंद लिया जाय. कोई भी तोड़-फोड़ सिर्फ इसलिए नहीं की जा सकती कि कोई व्यक्ति आरोपी है, इसके साथ ही किसी भी संरचना को ध्वस्त करने के पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन और प्रभावितों को उचित समय देना भी जरुरी है. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई के बाद महिलाओं, बुजुर्ग और बच्चों को सड़क पर देखना दुर्भाग्यपूर्ण है.
पूरे देश में तोड़फोड़ पर लगी हुई है रोक
आपको बता दें कि देश में बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है, जिसके बाद कोर्ट ने फिलहाल किसी भी तोड़फोड़ पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस गवई ने “बुलडोजर जस्टिस” पर टिप्पणी करते वक्त कहा कि निचली अदालतों को अवैध निर्माण के मामलों में फैसले देते समय सजग रहने की जरुरत है. जमीयत के वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में एक ठोस नियम बनाने की जरुरत है, ताकि किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव की स्थिति कायम नहीं हो, कानून की नजर में देश का हर नागरिक समान है.