तमाड़ के जंग में राजा पीटर की एंट्री! क्या एक बार फिर से लहरायेगा जदयू का झंडा
पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड के आरोपी हैं राजा पीटर
मुंडाओं की धरती तमाड़ में रमेश सिंह मुंडा की मजबूत पकड़ रही है, विकास कुमार मुंडा की जीत के पीछे भी रमेश सिंह मुंडा का नाम और शोहरत रहा है. इस हालत में क्या राजा पीटर को एक बार फिर से सियासी सफलता हाथ लगेगी, यह देखने वाली बात होगी. हालांकि दिउड़ी विवाद के विकास मुंडा को लेकर नाराजगी की खबर भी सामने आ रही है. तो क्या इस नाराजगी का लाभ राजा पीटर को मिल सकता है, इसका फैसला भी जनता की अदालत में होगा
रांची: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा जदयू के बीच सीट बंटवारों के लेकर सियासी पेंच के बीच तमाड़ विधानसभा से जदयू का झंडा बुलंद करने वाले राजा पीटर ने एक बार फिर से जदयू की सदस्यता ग्रहण कर ली. आज केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने राजा पीटर को पार्टी का पट्टा पहनाकर स्वागत किया. इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि तमाड़ के सियासी जंग में एक बार फिर से राजा पीटर की एंट्री होने वाली है.
पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड के आरोपी हैं राजा पीटर
दावा किया जा रहा कि भाजपा जदयू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बनने के बाद ही राजा पीटर को पार्टी में शामिल करवाने का फैसला गया होगा, हालांकि इस सीट पर आजसू की नजर भी बनी हुई थी. वर्ष 2014 में मौजूदा विधायक विकास कुमार मुंडा ने आजसू के सिम्बल पर ही अपनी पहली जीत दर्ज की थी. हालांकि इस सीट पर जदयू का झंडा बुलंद करने का श्रेय भी विकास कुमार मुंडा के पिता रमेश सिंह मुंडा को ही जाता है. रमेश सिंह मुंडा ने वर्ष 2000 में समता पार्टी और 2005 में इस सीट से जदयू का परचम लहराया था, लेकिन वर्ष 2009 में उनकी हत्या कर दी गयी, हत्या की साजिश का आरोप राजा पिटर पर लगा. हालांकि इस आरोप के बीच ही जदयू ने रमेश सिंह मुंडा के हत्यारोपी को ही अपना उम्मीदवार बना दिया और राजा पीटर ने यह सीट एक बार फिर से जदयू के खाते में डालने में कामयाबी भी हासिल की, उस वक्त जब जदयू ने रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद विकास कुमार मुंडा से किनारा कर लिया था, तब आजसू ने अपने चुनाव चिह्न पर मैदान में उतारा था, लेकिन तब विकास कुमार मुंडा को 29,207 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था, जबकि 30,678 के साथ राजा पीटर विधान सभा पहुंचने में कामयाब रहे थें. लेकिन 2014 में विकास कुमार मुंडा ने आजसू इस सीट को आजसू के नाम कर दिया, तब विकास कुमार मुंडा को जहां 57,428 वोट मिला था, वहीं राजा पीटर को महज 31,422 पर संतोष करना पड़ा था. लेकिन वर्ष 2019 आते-आते विकास कुमार मुंडा का आजसू के मोह भंग हो गया और वह झामुमो के साथ खड़ा हो गये, और एक बार फिर से 55,491 के साथ अपनी जीत दर्ज की.
विकास मुंडा की भूमिका को लेकर आदिवासी समाज के बीच नाराजगी
साफ है कि मुंडाओं की धरती तमाड़ में रमेश सिंह मुंडा की मजबूत पकड़ रही है, विकास कुमार मुंडा की जीत के पीछे भी रमेश सिंह मुंडा का नाम और शोहरत रहा है. इस हालत में क्या राजा पीटर को एक बार फिर से सियासी सफलता हाथ लगेगी, यह देखने वाली बात होगी. हालांकि दिउड़ी विवाद के विकास मुंडा को लेकर नाराजगी की खबर भी सामने आ रही है. तो क्या इस नाराजगी का लाभ राजा पीटर को मिल सकता है, इसका फैसला भी जनता की अदालत में होगा. लेकिन इनता निश्चित है कि तमाड़ में एक बार फिर से रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा, जहां तक रही जदयू के सियासी पकड़ और जनाधार की बात, तो सियासी जानकारों की नजर में तमाड़ में जदयू की जीत के पीछे रमेश सिंह मुंडा का चेहरा था, रमेश सिंह मुंडा के बाद जदयू को राजा पीटर के रुप में एक चेहरा मिला, लेकिन जिस प्रकार से रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में राजा पीटर का नाम उछला, मामला अभी भी चल रहा है, इस हालत में तमाड़ की जनता इसे किस रुप में लेगी, इसका फैसला तो जनता की अदालत में होना है. लेकिन यदि हम जदयू की बात करें तो तमाड़ में उसकी कोई मजबूत सियासी जमीन नजर नहीं आती, ना ही तमाड़ विधानसभा में भजापा के पास कोई मजबूत चेहरा है, इस हालत में जदयू की जीत के लिए आजसू और भाजपा कार्यकर्ताओं को अपना खून-पसीना बहाना होगा. लेकिन राजा पीटर के पास एक अपना समर्थक वर्ग जरुर है, जिसका लाभ जदयू को मिल सकता है.