JSSC-CGL परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले छात्रों पर पुलिस की बर्बरता निंदनीय: धर्मेंद्र तिवारी
लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने के अधिकार का हनन बर्दाश्त नही
छात्रों पर लाठीचार्ज करके उनकी जायज़ मांगों को दबाया नहीं जा सकता. प्रशासन और सरकार को छात्रों के साथ संवेदनशीलता के साथ पेश आना चाहिए और उनकी मांगों को गंभीरता से सुनना चाहिए
रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित CGL परीक्षा में अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी के खिलाफ छात्रों का आंदोलन पूरी तरह से न्यायसंगत है. परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर जब छात्र आयोग कार्यालय की ओर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने जा रहे थे, तब पुलिस द्वारा की गई बर्बर कार्रवाई और लाठीचार्ज बेहद निंदनीय और अस्वीकार्य है. घटना में कई छात्र घायल हो गए हैं, जो यह दर्शाता है कि प्रशासन युवाओं की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है. युवाओं का भविष्य दांव पर लगा हुआ है, और इसके लिए जिम्मेदार JSSC को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
धर्मेंद्र तिवारी, ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "छात्रों पर लाठीचार्ज करके उनकी जायज़ मांगों को दबाया नहीं जा सकता. प्रशासन और सरकार को छात्रों के साथ संवेदनशीलता के साथ पेश आना चाहिए और उनकी मांगों को गंभीरता से सुनना चाहिए. जो भी छात्र इस कार्रवाई में घायल हुए हैं, उन्हें उचित इलाज और मुआवजा मिलना चाहिए." हम युवाओं के अधिकारों की लड़ाई में उनके साथ खड़े हैं और प्रशासन को यह चेतावनी देते हैं कि लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने के अधिकार का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
धर्मेंद्र तिवारी का झारखंड सरकार से मांग
JSSC-CGL परीक्षा की निष्पक्ष जांच एवं जरूरत पड़ने पर परीक्षा रद्द की जाए, छात्रों पर की गई पुलिस कार्रवाई की उच्च-स्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए एवं प्रदर्शन के दौरान घायल छात्रों को निशुल्क चिकित्सा और उचित मुआवजा दिया जाए.