JSSC-CGL परीक्षा में हुई है गड़बड़ी, रद्द करे राज्य सरकार: दुवारिका शर्मा
दुवारिका बोले- वादा पूरा नहीं कर सकते तो झूठा वादा जनता से मत करिए
दुवारिका शर्मा ने कहा, झारखंड सरकार राज्य का मैनेजमेंट नहीं कर पा रही है और जो वादे उन्होंने जनता और छात्रों से की है, उस वादे को पूरा नहीं कर पा रही है तो ऐसा झूठा वादा जनता से मत करिए.
रांची: झारखंड संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा (JSSC-CGL) परीक्षा को लेकर भाजपा युवा नेता दुवारिका शर्मा ने कहा कि झारखंड सरकार हर बार की तरह एक बार फिर JSSC-CGL परीक्षा को लेकर फेल हो गयी है. अब छात्रों का मन है कि परीक्षा को रद्द कर दिया जाए. उन्होंने कहा, झारखंड सरकार राज्य का मैनेजमेंट नहीं कर पा रही है और जो वादे उन्होंने जनता और छात्रों से की है, उस वादे को पूरा नहीं कर पा रही है तो ऐसा झूठा वादा जनता से मत करिए.
दुवारिका शर्मा ने कहा, आप नहीं जानते हैं कि स्टूडेंट दिन रात एक कर कर के अपना पढ़ाई में लगे हुए रहते हैं, ताकी अपने मां-बाप के सपना को पूरा करें और देश के लिए कुछ करें. जब झारखंड में एग्जाम का टाइम आता है. तब कुछ गड़बड़ कर के उसको रद्द कर दिया जाता है. छात्रों का जिंदगी ऐसे ही में बर्बाद हो जाता है. जिसके बाद प्राइवेट कंपनी में ₹10,000 की नौकरी करता है .
उन्होंने कहा, झारखंड में JSSC-CGL को लेकर समय-समय पर विवाद सामने आते रहे हैं. ये विवाद आमतौर पर परीक्षा की प्रक्रिया, आरक्षण नीति, पेपर लीक, और परीक्षा संचालन में पारदर्शिता की कमी से जुड़े होते हैं. हाल के वर्षों में, कुछ प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:
1. नयी आरक्षण नीति पर विवाद
- झारखंड सरकार द्वारा लागू की गई नयी आरक्षण नीति में स्थानीय भाषा और क्षेत्रीय आरक्षण को लेकर विवाद हुआ.
- इसके तहत झारखंड के बाहर के उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल होने से रोकने के प्रावधान थे, लेकिन इसे लेकर उम्मीदवारों ने आपत्ति जताई.
- हाई कोर्ट में भी इस पर याचिका दाखिल की गई थी, जिसके कारण परीक्षाएं स्थगित हो गईं.
2. पेपर लीक और अनियमितता
- झारखंड में JSSC परीक्षाओं के दौरान कई बार पेपर लीक की घटनाएं सामने आईं.
- इन घटनाओं ने परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए.
- इससे कई बार परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा और नए सिरे से आयोजन करना पड़ा.
3. भर्ती प्रक्रिया में देरी
- JSSC द्वारा परीक्षा का आयोजन और परिणाम जारी करने में काफी देरी की जाती रही है.
- इससे छात्रों में निराशा और असंतोष बढ़ता है, खासकर उन लोगों के लिए जो वर्षों से तैयारी कर रहे होते हैं.
4. भाषा नीति का विवाद
- झारखंड में स्थानीय भाषाओं (संथाली, मुंडारी, नागपुरी आदि) को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया था.
- लेकिन इसे लेकर कई छात्रों ने विरोध किया, खासकर वे जो राज्य के बाहर या अन्य क्षेत्रों से हैं.
वर्तमान स्थिति
हाल के दिनों में कोर्ट के फैसलों और सरकार के हस्तक्षेप के कारण JSSC CGL परीक्षाओं में सुधार के प्रयास किए गए हैं. हालांकि, उम्मीदवार अभी भी परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय पर परिणाम घोषित करने की मांग कर रहे हैं.