मीर ने बढ़ाया झारखंड का सियासी पारा,तो झामुमो ने बताया कांग्रेस को उसकी सियासी औकात
झारखंड में कम हो सकती है राजद कांग्रेस की सीटों की संख्या
कांग्रेस की चाहत है कि माले की हिस्से में जो सीटों दी जानी है, उसकी कटौती झामुमो और राजद के हिस्से से की जाय, लेकिन यदि हम पिछले चुनाव का रिकार्ड देखें तो सबसे शानदार प्रर्दशन झामुमो का रहा था. झामुमो का दावा कि पिछले पांच वर्षों में उसके सामाजिक आधार में भी विस्तार हुआ है.उसके पास आज कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन जैसा चमकदार चेहरा है. और इसी चेहरे के बूते इंडिया गठबंधन को नैया पार लगानी है,झामुमो किसी भी कीमत पर अपनी सीटों की संख्या में कटौती नहीं चाहती
रांची: कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर के एक बयान से झारखंड का सियासी पारा आसमान है, हालांकि जैसे ही इस बयान पर झामुमो की ओर से पलटवार आया, गुलाम अहमद ने अपने बयान से पलटते हुआ दावा किया कि उनका इरादा महज अपने कार्यकर्ताओं को मोरल बुस्टअप करना था, हमारा इरादा कहीं से भी रोस्टर के आधार पर सीएम बनाने का नहीं है. महागठबंधन की अगली सरकार भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही चलेगी. दरअसल गुलाम अहमद मीर ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ एक मीटिंग के दौरान कहा था कि यदि कांग्रेस के हिस्से 30 या उससे अधिक सीटें आती है तो झारखंड में रोस्टर के आधाऱ पर सीएम बनाया जा सकता है. जिसके बाद झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मोर्चा खोलते हुए कांग्रेस को उसकी सियासी जमीन का आईना दिखलाते कहा कि उसे वर्ष 2009 की परिस्थितियां नहीं भूलनी चाहिए, उसके वर्ष 2014 का चुनाव परिणाम भी याद रखना चाहिए. यदि झामुमो राज्य की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला करती है तो वह अपने बूते ही 55 सीटे लाने का सामर्थ्य रखती है. विधानसभा चुनाव में झामुमो की सियासी जमीन का शक्ति प्रर्दशन हो चुका है.
झारखंड में कम हो सकती है राजद कांग्रेस की सीटों की संख्या
आपको बता दें कि इसके पहले गुलाम अहमद मीर, रामेश्वर उरांव और केशव महतो कमलेश ने सीएम हेमंत से मुलाकात की थी, बताया जाता है कि इस मीटिंग में भी सीट शेयरिंग को चर्चा हुई थी, इंडिया गठबंधन के किस घटक के हिस्से कितनी सीट आयेगी, इस पर अब तक अंतिम सहमति नहीं बनी, वर्ष 2019 में कांग्रेस 33, राजद 7 और झामुमो ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इस बार कांग्रेस की चाहत सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की है, वह अपने हिस्से में कम से कम 33 सीट की मंशा पाल रहा है. लेकिन इस बार माले और मासस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, कुछ सीटें माले के हिस्से जाना भी तय है, इसकी पूर्ति कांग्रेस और राजद की सीटों में कटौती कर ही की जा सकती है. कांग्रेस की चाहत है कि माले की हिस्से में जो सीटों दी जानी है, उसकी कटौती झामुमो और राजद के हिस्से से की जाय, लेकिन यदि हम पिछले चुनाव का रिकार्ड देखें तो सबसे शानदार प्रर्दशन झामुमो का रहा था. झामुमो का दावा कि पिछले पांच वर्षों में उसके सामाजिक आधार में भी विस्तार हुआ है.उसके पास आज कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन जैसा चमकदार चेहरा है. और इसी चेहरे के बूते इंडिया गठबंधन को नैया पार लगानी है,झामुमो किसी भी कीमत पर अपनी सीटों की संख्या में कटौती नहीं चाहती, यदि माले के हिस्से में पांच से छह सीटें भी जाती है, तो निश्चित रुप से उसकी कटौती कांग्रेस और राजद के खाते से होगी और यही कांग्रेस और राजद की बेचैनी का मुख्य कारण है. इस बीच झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यदि हम साझा सरकार चला रहे हैं, तो हमारी जुबान भी साझा होनी.किसी भी घटक दल को कोई भी बयान देने से पहले उसका फलाफल पर विचार करना होगा.