चाईबासा: उधार और जुगाड़ पर चल रहा है मध्याह्न भोजन, पांच माह बाद सितंबर में मिला मात्र 42 दिनों का कुकिंग कॉस्ट

खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू रहने के बावजूद बरती जा रही है कोताही

चाईबासा: उधार और जुगाड़ पर चल रहा है मध्याह्न भोजन, पांच माह बाद सितंबर में मिला मात्र 42 दिनों का कुकिंग कॉस्ट
मध्याहन भोजन करते स्कूली बच्चे.

सप्ताह में दो दिन अंडा या मौसमी फल एवं एक दिन रागी का लड्डू देना अनिवार्य है. रोज मेन्यू के आधार पर हरी पोष्टिक सब्जियां देनी है और अचार, पापड़ की भी व्यवस्था करनी है.

चाईबासा: राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू है. प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को निशुल्क शिक्षा के साथ पौष्टिक आहार देनी है. सप्ताह में दो दिन सोमवार और शुक्रवार को अंडा/मौसमी फल और शनिवार को पोष्टिक वेज खिचड़ी के साथ आचार पापड़ देनी है. उसके अलावे रोज पोष्टिक हरी पत्तेदार सब्जियां देनी है, पर सिस्टम के कारण मध्याह्न भोजन सुचारू रूप से धरातल पर नही उतर पाता है. इधर नए वित्तीय वर्ष में माह अप्रैल से अगस्त तक कुकिंग कॉस्ट नही भेजा गया. प्रधान शिक्षको ने उधार और जुगाड़ पर मध्याह्न भोजन का संचालन किया. किराने की दुकान से तो उधार मिल गया पर सब्जी,गैस,फल अंडा आदि की वयवस्था करने में गुरु जी के पसीने छूटने लगे. 

सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में राशि के अभाव के कारण मध्याह्न भोजन पूरी तरह प्रभावित रहा. पांच माह के बाद सितंबर में मात्र 42 दिनो का कुकिंग कॉस्ट प्राप्त हुआ है. जो पुराना उधार चुकता करने में खतम हो जायेगा. इस बीच अंडा के लिए अलग से दो किश्त में और रागी, मडुआ के लड्डू के लिए जुलाई माह तक की राशि मिली है. अभिभावकों का आरोप है राशि के अभाव में क्वालिटी और क्वांटिटी के साथ जमकर समझोता हुआ है. अभिभावक और समिति के लोग भी कुछ बोल नहीं पाए. शिक्षको ने राशि नही होने का रोना रोया. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व मंत्री बड़ कुंवर गगराई ने कहा, सरकार मध्याह्न भोजन की राशि उपलब्ध नही कर पा रही है. यह नौनिहालों के थाली में डाका के समान है. इसे सत्ता में एक मिनट भी बने रहने का हक नही है. सरकार राशि नही देकर शिक्षको को बिचौलिया बनने पर मजबूर कर रही है. सरकार जान बुझ कर राशि पेंडिंग रखती है ताकि समिति की जगह शिक्षक एमडीएम का संचालन करें. 

भाजपा प्रखंड अध्यक्ष राई भूमिज ने कहा, ये झारखंड की शिक्षा को चौपट करने की साजिश है. सरकार समिति को झुनझुना पकड़ा रखी है. शिक्षको को एमडीएम का संचालन नही करना है, पर लचर व्यवस्था में 90%से अधिक स्कूलों में प्रधान शिक्षक ही मध्याह्न भोजन का संचालन करते है. एमडीएम और रिपोर्ट के बहाने ऑफिस से उठते ही नही. पूरे शैक्षणिक काल ऑफिस की कुर्सी पर बीत जाता है. वाह री सरकार प्रधान शिक्षको को एक लाख पेमेंट देकर क्लर्क का काम ले रही है. ये आदिवासी मूलवासी बच्चो को शिक्षा से दूर रखने की चाल है. 

भाजपा के दिग्गज नेता सत्यपाल बेहरा ने कहा, एक प्रधान शिक्षिका ने  नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, हम पढ़ाएंगे तो रिपोर्ट कौन बनाएगा. रिपोर्ट नही जमा करेंगे तो वेतन स्थगित हो जायेगा. हम यहां अपनी नौकरी बचाए या बच्चों को पढ़ाए. अर्जुन सरदार ने कहा, शुक्रवार या सोमवार को अंडा दिवस के दिन अगर छुट्टी हो तो उसके अगले दिन अंडा देना है. आज तक किसी स्कूल में छुट्टी के अगले दिन अंडा नही दिया जाता. कुल मिला कर एमडीएम भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी है, जिसमें बहुत सारे रहस्य छिपे हुए हैं.

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Edited By: Subodh Kumar

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