रवि प्रकाश: कैंसर से लड़ता, मेडिकल साइंस में इतिहास रचता एक शख्स

मुंबई में डॉ विजय पाटिल व डॉ कुमार प्रभाष करेंगे पत्रकार रवि प्रकाश का सीएआर-टी सेल थेरेपी के जरिये ट्रांसप्लांट

रवि प्रकाश: कैंसर से लड़ता, मेडिकल साइंस में इतिहास रचता एक शख्स
पत्रकार रवि प्रकाश

पत्रकार रवि प्रकाश ने कैंसर से पीड़ित होने के बाद अपने लेख, इंटरव्यू, सोशल मीडिया पोेस्ट के जरिये लगातार इसके प्रति जागरूकता लाने की मुहिम चलाई। वे भारत सरकार, झारखंड सरकार सहित अन्य जगहों पर कैंसर रोगियों के हित से जुड़े मुद्दे उठाते हैं।

रांची के रवि प्रकाश एक ऊर्जावान पत्रकार हैं। कैरियर के शुरुआती सालों में ही उन्होंने पत्रकारिता में बड़ी उपलब्धियां हासिल की - रिपोर्टिंग और डेस्क प्रबंधन व एडिटिंग दोनों क्षेत्र में। 29 साल की उम्र में वे प्रभात खबर के देवघर संस्करण के संपादक भी बने। उनका तेवर हमेशा लड़ाका और संघर्ष करने वाला रहा। समझौतावादी रहे नहीं, इसलिए नौकरियां छोड़ते रहे, उससे बाहर आते-जाते रहे और अंत में फ्रिलांस पत्रकारिता को अपना ठौर बना लिया।

इस दौरान भी जिंदगी ठीक ही चल रही थी, लेकिन अचानक उन्होंने अपने स्वास्थ्य में कुछ बदलाव महसूस किया और जांच के बाद 2021 के शुरुआती दिनों में उनके शरीर में लंग्स यानी फेफड़े के कैंसर की पुष्टि हुई। वह भी फोर्थ स्टेज का। जैसा कि होता है, इस सूचना के साथ वे थोड़े घबराये, परिवार के भविष्य व खुद को लेकर परेशान हुए, लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभाला और एक नई यात्रा शुरू हुई। यहां उनका लड़ाका, संघर्ष करने वाला और परिस्थितियों के साथ आखिरी दम तक मुकाबला करने वाला तेवर काम आया और वे निराशा के हर गहरे भंवर से निकल कर नये रूप में सामने आते हैं।

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Dr kumar Prabash
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के मेडिकल आंकोलॉजी के प्रोफेसर व एचओडी डॉ कुमार प्रभाष।

 

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इस साल जुलाई के पहले सप्ताह रवि प्रकाश ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये अपने मित्रों, शुभचिंतकों व दुनिया से यह सूचना साझा कि अब उनके शरीर की कैंसर कोशिकाएं स्मॉल सेल में बदल रही हैं और दिमाग की ओर बढ रही हैं। उन्होंने यह सूचना भी साझा की कि इस वजह से उन्हें रेडिएशन लेना पड़ा और यह इच्छा प्रकट की कि वे सितंबर महीने में अमेरिका जाना चाहते हैं जहां कैंसर को लेकर जागरूकता लाने के लिए उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिलना है। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर ने उन्हें प्रतिष्ठित पेसेंट एडवोकेसी एडुकेशनल अवार्ड के लिए चुना है। अमेरिका के सैन डिएगो शहर में उन्हें लंग कैंसर पर आयोजित होने वाले कान्फ्रेंस में यह सम्मान दिया जाना है।

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पत्रकार रवि प्रकाश ने कैंसर से पीड़ित होने के बाद अपने लेख, इंटरव्यू, सोशल मीडिया पोेस्ट के जरिये लगातार इसके प्रति जागरूकता लाने की मुहिम चलाई। वे भारत सरकार, झारखंड सरकार सहित अन्य जगहों पर कैंसर रोगियों के हित से जुड़े मुद्दे उठाते हैं। उन्होंने कैंसर एडवोकेसी को एक नया आयाम दिया। उनके प्रयास से कई बदलाव भी हुए। उनकी कोशिशों की वजह से पिछले साल झारखंड में कैंसर अधिसूचित बीमारी घोषित किया गया। वे कैंसर को लेकर मान्यताओं, धारणाओं के प्रति भी लोगों में जागरूकता ला रहे हैं।

Dr Vijay Patil
डॉ विजय पाटिल जो रवि प्रकाश का लंग्स कैंसर के एडवांस स्टेज का आधुनिक तरीके से इलाज करेंगे।

 

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रवि प्रकाश ने शरीर में कैंसर के बदलते स्वरूप की सूचना साझा करने के कुछ दिनों बाद यह सूचना साझा की कि मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के मेडिकल आंकोलॉजी के प्रोफेसर व एचओडी डॉ कुमार प्रभाष और प्रतिष्ठित प्रोफेसर डॉ विजय पाटिल ने उनके लिए एक थेरेपी का विकल्प रखा है। इस सीएआर-टी सेल थेरेपी के इलाज का खर्च करीब साढे चार लाख अमेरिकी डॉलर या पौने चार करोड़ रुपये है। लेकिन, डॉ विजय ने रवि प्रकाश की यह थेरेपी बिना किसी शुल्क के करने की पेशकश की है। रवि प्रकाश इसके लिए 22 जुलाई को मुंबई जाएंगे।

Ravi ji Sangeeta ji
रवि प्रकाश ने पत्नी संगीता के साथ इस साल शादी की 26वीं सालगिरह मनाई। तसवीर स्रोत: पत्रकार रवि प्रकाश के सोशल मीडिया एकाउंट।

 

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रवि प्रकाश के द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, यह एक प्रकार का ट्रांसप्लांट है, जो ठाणे के टाइटन मेडिसिटी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में होगा और एक पहला ट्रांसप्लांट भी डॉ विजय पाटिल ने ही भारत में किया है और वे संभवतः देश के दूसरे ऐसे मरीज होंगे। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि डॉ विजय पाटिल व डॉ कुमार प्रभाष के रूप में उन्हें नारायण मिल गये हैं।

उनके द्वारा यह सूचना साझा किये जाने के बाद सोशल मीडिया पर रवि प्रकाश को चाहने वाले लोगों ने उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी। बड़ी संख्या में फेसबुक व ट्विटर पर उनके लिए पोस्ट लिखे गये। रवि प्रकाश ने एक बार निराशा से उबर कर उम्मीदों की चौखट को पार किया है और उन्होंने डेढ महीने पहले की खुद की उस टिप्पणी को सही साबित किया है कि कैंसर का मतलब हमेशा द एंड नहीं होता।

Edited By: Samridh Jharkhand

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