सरायकेला: झामुमो कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल नहीं हुए खरसावां विधायक दशरथ गगराई एवं पोटका विधायक संजीव सरदार
झामुमो से बनी दूरी तो लग सकता है पार्टी को बड़ा झटका
अब तक दशरथ गगराई ने चंपई सोरेन के खिलाफ ना कोई टिप्पणी की है और ना ही दुख जताया तो क्या बहुत जल्द झामुमो को एक और बड़ा चोट लगने वाला है। इस सवाल का जबाब तो समय ही देगा
चाईबासा: एक ओर जहां राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले है और चुनाव के ठीक पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा का बड़ा चेहरा रहे कोलहान टाइगर सह पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं तो उसके बाद से ही कोल्हान के साथ-साथ संथाल परगना में भी चुनावी गर्माहट बढ़ने लगी है। गुरूवार को सरायकेला जिला में झामुमो कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरा गया। उसी सम्मेलन में झामुमो के दो विधायक दशरथ गागराई और संजीव सरदार इस सम्मेलन से नदारद रहे, जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस सम्मेलन में सिंहभूम सांसद जोबा माझी, मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री रामदास सोरेन, विधायक सबिता महतो, विधायक मंगल कालिन्दी, विधायक निरल पूर्ति, विधायक समीर मोहंती शामिल हुए। इस सम्मेलन के मंच में खरसावां विधायक दशरथ गगराई एवं पोटका विधायक संजीव सरदार का कुर्सी रिक्त रहा, जिसके बाद से चर्चा का बाज़ार गर्म होने लगा। ये दो चेहरे ख़ास इसलिए है क्योंकि ये पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के करीबी माने जाते है और चंपई सोरेन के भाजपा में जाने से ये अटकलें लगाए जा रहे थे कि उनके साथ ये भी झामुमो का साथ छोड़ देंगे और भाजपा में शामिल हो जाएँगे।
मुख्य रूप से देखा जाये तो आज का आयोजन सरायकेला विधानसभा में डैमेज कंट्रोल के लिए किया गया था और कार्यकर्ताओं को बिखरने से रोकना अहम उद्देश्य था। तो ऐसे में गगराई और सरदार के शामिल नहीं होने से बाज़ार में कई तरह के चर्चा शुरू हो गई है। बीते दिन चंपई सोरेन ने विधायक दशरथ गगराई की धरती में भाजपा द्वारा आयोजित एक बड़ा सभा में शामिल हुए थे। ऐसे में आज इस सम्मेलन में दशरथ गगराई का शामिल होना बेहद ज़रूरी था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वैसे देखा जाए तो अब तक दशरथ गगराई ने चंपई सोरेन के खिलाफ ना कोई टिप्पणी की है और ना ही दुख जताया तो क्या बहुत जल्द झामुमो को एक और बड़ा चोट लगने वाला है? ये सवाल तो समय ही देगा फ़िलहाल झारखंड की राजनीति में जो उथल पुथल मची हुई उस पर नज़र रखिए।