रांची: झारखंड में पंचायत चुनाव टालने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में राज्य में पंचायत चुनाव कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि राज्य में पंचायत चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है। जिन जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। उनके कार्यकाल या अधिकार का विस्तार किस कानून के तहत किया जा रहा है। अगले सप्ताह सरकार को इस पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

इसको लेकर देवघर के जय प्रकाश पंडित ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव नहीं करा कर नियमों का उल्लंघन कर रही है। प्रार्थी का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राधा कृष्ण गुप्ता ने अदालत को बताया कि सरकार पंचायत चुनाव नहीं कराकर नियमों का उल्लंघन कर रही है। संविधान के अनुच्छेद 243 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि कार्यकाल समाप्त होते ही चुनाव कराया जाना अनिवार्य है। लेकिन झारखंड सरकार पंचायतों को सशक्त करने के बदले सारे अधिकार अपने पास रखना चाहती है। अदालत से सरकार के सात जनवरी 2021 को जारी उस आदेश पर रोक लगाने की भी मांग की गई जिसमें पंचायत चुनाव को आगे बढ़ाते हुए छह माह के लिए सभी पंचायत प्रतिनिधियों का अधिकार दिए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि कार्यकाल बीतने के बाद जन प्रतिनिधियों को छह माह का अधिकार बढ़ाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए सरकार के आदेश पर रोक लगा देना चाहिए। अदालत को बताया गया कि कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान दुमका और बेरमो विधानसभा का उपचुनाव सफलतापूर्वक कराया गया। ऐसे में पंचायत चुनाव भी कराए जा सकते हैं।
सरकार की ओर से बताया गया कि पंचायत चुनाव के मामले पर सरकार एक अध्यादेश भी लाने जा रही है। इस अध्यादेश के माध्यम से कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। इसका प्रार्थी की ओर से विरोध किया गया। प्रार्थी का कहना था पंचायत अधिनियम में किसी भी प्रकार का संशोधन केंद्र सरकार ही कर सकती है। राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है। इस पर अदालत ने सरकार से कहा कि वह इस मामले में शपथपत्र दाखिल करें और सभी बातों को रिकॉर्ड पर लाएं। इसके लिए सरकार ने समय की मांग की।