इकलौते बेटे की मौत के बाद न्याय के लिए दस महीने से दर-दर भटक रहे हजारीबाग के पिता की दास्तां

रांची : हजारीबाग जिले के एक व्यक्ति के इकलौते बेटे की 20 अक्तूबर 2019 को हजारीबाग के नीलांबर पिताबंर चैक के निकट अस्सी होम के सामने उसके दो अन्य साथियों के साथ संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गयी और उसके बाद से वह पिता राजधानी रांची से लेकर जिला मुख्यालय हजारीबाग के विभिन्न दफ्तरों का चक्कर काट रहा है, ताकि किसी तरह इस मामले की गंभीरता से जांच हो और सच सामने आए। पर, उस पिता को अबतक सरकारी बाबूओं की डपट, धीक्कार और ट्वीट नहीं करने की चेतावनी ही मिली है. यह कहानी है हजारीबाग जिले के बरही प्रखंड की धनवार पंचायत के पूर्व मुखिया राजेंद्र प्रसाद की.

राजेंद्र प्रसाद ने समृद्ध झारखंड से बातचीत में विस्तार से इस पूरे मामले को क्रमिक रूप से रखा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व राज्य के पुलिस महकमे से न्याय की मांग की. राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि उन्हें 20 अक्तूबर 2019 की रात्रि दो बजकर 12 मिनट पर फोन पर सूचना मिली कि आपके बेटे की मौत हो गयी. वे कहते हैं कि इसके बाद हम लोग हजारीबाग शहर किसी तरह पहुंचे. वे कहते हैं, वहां तीन युवकों का शव देखने के बाद मैं विचलित हो जा रहा था, बेहोशी की हालत मुझे गाड़ी पर बैठा दिया गया.
वे कहते हैं कि घटना के दिन सुधांशु शेखर देव की बथर्ड पार्टी थी. उस लड़के का फर्द बयान आने पर विचलित अवस्था में रहने के बाद भी पुलिस ने मेरा दस्तखत उसमें करा लिया और मामले को दुर्घटना बता कर केस दर्ज कर लिया गया. वे कहते हैं, उस समय मेरी स्थिति ठीक नहीं थी, मैं घर चला गया. कुछ लड़कों ने दो दिन बाद फोन कर कहा कि यह दुर्घटना नहीं हत्या है.
राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, इसके वे लोग फिर इस मामले की पड़ताल के लिए हजारीबाग पहुंचे. उनके अनुसार, हमलोगों ने सीसीटीवी फुटेज में जो देखा वह सुधांशु के बयान से अलग है. सुधांशु ने कहा कि हम पार्टी के बाद सो गये थे और ये तीनों लड़के गाड़ी लेकर गए थे. लेकिन सीसीटीवी में पांच लड़के दिखते हैं, जिसमें सुधांशु शेखर और पंकज कुमार दोनों साथ में रहते व दिखते हैं. इसकी टाइमिंग मात्र 20 से 25 मिनट की है और उसी दौरान हत्या हो गयी थी.
राजेंद्र प्रसाद का आरोप है कि सुधांशु का हर बार बयान बदल गया. बाद में वह बोला कि घटना स्थल पर थे और अकेले थे. अन्य लोग मोटरसाइकिल से थे, सुनियोजित तरीके से उन लड़कों की हत्या की गयी. सुधांशु शेखर, पंकज कुमार व उनके अन्य साथियों ने हत्या कर दी. राजेंद्र प्रसाद कहते हैं, तत्कालीन एसपी मयूर शेखर को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसके बाद हमने सीएम, डीजीपी व हर अधिकारी को लिखा. 12 फरवरी 2020 को डीजीपी ने हजारीबाग एसपी को एक पत्र भेज कर जांच रिपोर्ट की मांग की थी जो अभी तक डीजीपी आॅफिस में उपलब्ध नहीं करायी गयी. डीजीपी कोरोना की वजह से क्वारंटीन थे, उनके कार्यालय गए तो वहां बताया गया कि हजारीबाग एसपी का कोई जवाब नहीं आया.
राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि कर्रा थाना क्षेत्र के इस केस के आइओ मनोज कुमार आर्या हैं, थाना प्रभारी अरविंद कुमार सिंह हैं और डीएसपी कमल किशोर हैं. राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि एसपी की ओर से उन्हें कहा गया कि ट्वीट न करें और डीएसपी से मिलें, जब डीएसपी के पास गया तो उन्होंने डांट कर भगा दिया.
उनके अनुसार, उन्होंने डीएसपी से कहा कि अगर फर्द बयान नहीं लिया जा रहा है तो कोर्ट में 164 के तहत बयान दिलवा दिया जाए. यह सुन डीएसपी साहब मुझे डपट कर भगा देते हैं.
उनका कहना है कि सारे जनप्रतिनिधि को भी उन्होंने इसके लिए लिखित रूप से आवेदन दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि सुधांशु के हर बयान मे बहुत अंतर है. उसने अपने टेबुल पर पर चाभी रखने की बात को स्वीकारा. लेकिन कभी वह बोलता है सो गए तो कभी कहता है कि काफी पीने गए थे. सुधांशु का बयान बार बार बदल रहा है.
राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, काफी पीने के लिए जाने की बात पर जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि दीपक ने पैसा दिया. जब यह कहा गया कि वह हाफ पैंट में गया तो पैसा कहां से आया तो बोला कि मोबाइल के कवर में पैसा था, हमने कहा कि उसका मोबाइल तो घटनास्थल पर होना चाहिए लेकिन रूम में है तो इस पर वह चुप हो गया.
वे कहते हैं कि सुधांशु ने घटना के दिन अपना व दीपक का सामान भेजवा दिया. उनके अनुसार, तीनों बच्चों के अभिभावक का कहना है कि यह दुर्घटना नहीं है हत्या है.
राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि उन्होंने मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट किया, लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया गया. वे आरोप लगाते हैं कि हजारीबाग पुलिस दबाव में है. वे कहते हैं, पुलिस द्वारा पैसा लिया जा रहा है, इसका सबूत मेरे पास है. वे कहते हैं हम तीनों बच्चों के अभिभावक कर्रा थाना एक साथ गए थे, पुलिस प्रशासन ने आरंभ में जांच व कार्रवाई का भरोसा दिलाया, लेकिन कुछ हुआ नहीं. वे कहते हैं कि यह दुर्घटना नहीं सुनियोजित हत्या है.