कोडरमा: जैन धर्म का महान पर्व दसलक्षण पर्यूषण धूमधाम से मनाया गया
वासुपूज्य भगवान को पालकी में बैठा कर भक्तजनों ने कराया नगर भ्रमण
बड़ा मंदिर डॉक्टर गली से नगर भ्रमण करते हुए पानी टंकी रोड जैन मंदिर तक शोभा यात्रा निकाली गई. वासुपूज्य भगवान को पालकी में बैठा कर भक्तजनों ने नगर भ्रमण कराया.
कोडरमा: जैन धर्म का महान पर्व दसलक्षण पर्यूषण का अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी का पर्व शोभा यात्रा भगवान के जयकारे के साथ बड़े ही धूमधाम के साथ मंगलवार को मनाया गया. इस मौके पर बड़ा मंदिर डॉक्टर गली से नगर भ्रमण करते हुए पानी टंकी रोड जैन मंदिर तक शोभा यात्रा निकाली गई. वासुपूज्य भगवान को पालकी में बैठा कर भक्तजनों ने नगर भ्रमण कराया. महिलाएं, पुरुष व बच्चे सभी केसरिया और श्वेत वस्त्र धारण कर पैदल चल रहे थे. जैन समाज के भजन सम्राट सुबोध गंगवाल ने अपने करण प्रिय भजनों से लोगों को आनंदित किया.
भगवान महावीर और पार्श्वनाथ के जयकारे से पूरा शहर गुंजायमान हो गया. रास्ते में जगह-जगह तोरण द्वार बनाए गए. लोगों ने रास्ते में भगवान की आरती की. नया मंदिर पानी टंकी रोड में शोभा यात्रा समाप्त हुई, जहां विश्व शांति मंत्रों से युक्त लॉन्ग की माला लेने का सौभाग्य परिवार को मिला. आज प्रातः भक्तजनों ने "उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म " मनाया. अनंत चतुर्दशी की पूजा, भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर ब्रह्मचारिणी गुन माला दीदी ने भक्तजनों को कहा कि आत्मा में लीन हो जाना ही ब्रह्मचर्य धर्म है. जब मनुष्य अपने आप में लीन हो जाता है जहां पर किसी प्रकार की विकृति नहीं होती है, साधना की परम अनुभूति का अनुभव होता है, वही ब्रह्मचर्य है. जैन दर्शन में ब्रह्मचर्य का श्रेष्ठ स्थान है, इसके बिना सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकते हैं.
जहां ब्रह्मचर्य है वही समस्त सिद्धियों का आधार स्थल है. वही ईश्वर है जो जीवन दूर से ही स्वर्णिम चमकता दिखाई देता है वही जीवन श्रेष्ठ है. बिना ब्रह्मचर्य के भगवान नहीं बना जा सकता है. ब्रह्मचर्य धर्म वासना से नहीं साधना से सिद्ध होती है. भारत देश वासना से नहीं साधना के कारण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है. यहां पर तीर्थंकर ऋषि मुनि ने जन्म लिया है. अध्यात्म संस्कृति ही हमारी संस्कृति हैं. प्रात: बुंदेलखंड कुंडलपुर से आई पूज्य ब्रह्मचारिणी गुणमाला दीदी एवं चंदा दीदी के मुखारविंद से नया मंदिर जी में विश्व शांति धारा का पाठ किया गया. बड़ा मंदिर जी मे विराजमान भगवान पारसनाथ का कलश समाज के सभी युवाओं ने किया.
मूल नायक भगवान पारसनाथ का शांति धारा का सौभाग्य विमल जी संजय अजय अनमोल सार्थक बड़जात्या परिवार को मिला. भगवान वासुदेव जी की शांति धारा का सौभाग्य कोषाध्यक्ष सुरेंद्र काला सरिता सौरभ परिवार को मिला. चंद्र प्रभु भगवान की शांति धारा का सौभाग्य मुकेश मिहिर लब्धि छाबड़ा परिवार को मिला. भगवान पारसनाथ की शांति धारा का सौभाग्य रतनलाल पारस ऋषभ परिवार को मिला. भगवान आदिनाथ की शांति धारा का सौभाग्य संजय आयुष गंगवाल परिवार को मिला. पुष्पदंत नाथ भगवान की शांति धारा का सौभाग्य किशोरी लाल दिलीप अतिबिर ठोलिया परिवार को मिला.
नया मंदिर की में मुलायक भगवान महावीर स्वामी की शांति धारा का सौभाग्य सुनील कुमार नीरा राहुल लूहाड़ीया परिवार को मिला. पारसनाथ भगवान के कलश का सौभाग्य हनुमान हृदय पात्नी परिवार को मिला. मुनि सुब्रत नाथ भगवान के कलश का सौभाग्य चुन्नीलाल जी प्रदीप छाबड़ा परिवार को मिला. आदिनाथ भगवान के कलश का सौभाग्य संदीप अक्षय तुषार शेट्टी परिवार को मिला. वासु पूज्य भगवान को लाडू चढ़ाने का सौभाग्य निरा देवी सुनील लूहाड़या परिवार को मिला. मुनि सुब्रत नाथ भगवान की शांति धारा का सौभाग्य गुलाबचंद जी प्रदीप झाझंरी परिवार को मिला. पदम प्रभु भगवान की शांति धारा का सौभाग्य प्रकाश जी गंगवाल को मिला.
भगवान बासु पूज्य के मोक्ष कल्याणक पर लाडू चढ़ाने का सौभाग्य विकास आयुष जैन ग्रुप को मिला. हरकचंद दिलीप, अंकित छाबड़ा, सुशील पांडया, सुशील काला, ऋषभ पहाड़िया, राकेश जी छाबड़ा, राजीव जी छाबड़ा ने भगवान की शांति धारा की जुलूस में भगवान को साथ लेकर चलने का सौभाग्य संजय शेट्टी पारस को मिला. कर पालकी में लेकर चलने का सौभाग्य मनोज गंगवाल संजय गंगवाल विकास पटौदी अनिल पटौदी सार्थक सेठी को मिला.
10 लक्षण व्रत धारी अक्षय गंगवाल, प्रसम सेठी, नमन सेठी, तनीषा छाबड़ा, ममता सेठी, ऋषभ काला, अंकित ठोलिया, डॉक्टर चेलना सेठी, एकांत विनायका के द्वारा 10 लक्षण व्रत धारण करने पर समाज के उपमंत्री राज छाबड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र काला भंडारी, सुनील सेठी, पूर्व अध्यक्ष ललित शेट्टी, जयकुमार गंगवाल, सुरेश झा, झंरी कमल सेठी, सुरेश सेठी, हनुमान पाटनी, पदम सेठी, पार्षद पिंकी जैन, महिला समाज, जैन युवक समिति, समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन राजकुमार अजमेरा ने सभी 10 उपवास रखने वाले वृत्तियों एवं रत्नत्रय व्रत धारी के तप की अनुमोदना की समाजसेवी पदम जैन सेठी ने 10 दिनों तक मौन रहकर उपवास किया. धर्मनिष्ठ जय कुमार गंगवाल ने 10 दिनों तक मोबाइल से नहीं बात करने का त्याग किया. सभी का स्वागत बड़ा मंदिर जी के नवनिर्मित मंदिर परिसर में बुधवार को प्रातः किया जाएगा.