सरयू राय : टिकट नहीं मिलने पर BJP को उनके लिए प्लान बी बताना होगा या फिर वे अपने प्लान बी पर करेंगे काम?


सरयू राय रघुबर दास कैबिनेट के वरिष्ठ सहयोगी होते हुए अक्सर मुद्दों पर सरकार को घेरते रहे हैं. उनके द्वारा उठाये गये मुद्दे कई बार विपक्ष से भी अधिक पार्टी एवं सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं. सरयू राय के उठाये गये मुद्दों में तर्क एवं तथ्य रहता है. उन्होंने सरकार से अपनी असहमतियों से केंद्रीय नेतृत्व को भी कई बार अवगत कराया है. एक बार तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें सलाह दी थी कि वे मुद्दे सरकार व पार्टी फोरम पर भी उठायें, उसे मीडिया के सामने सार्वजनिक नहीं करें.
अब जब भाजपा ने अबतक अपने इस सीनियर नेता को टिकट नहीं दिया है तो यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या पार्टी उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाएगी. कहा जा रहा है कि उन्हें टिकट नहीं मिलने की सूरत में पार्टी से बाहर के किसी सदस्य को पार्टी में शामिल कर टिकट दिया जा सकता है.
सरयू राय को तल्ख रिश्तों का अहसास है, तभी उन्होंने कल बयान दिया: न तो मैं बीमार हूं और न उम्र की इस दहलीज पर खड़ा हूं की चुनाव नहीं लड़ूं. सरयू के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी ने अगर उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय भी मैदान में उतर सकते हैं. दैनिक जागरण अखबार ने खबर दी है कि सरयू राय को अगर भाजपा ने जमशेदपुर पश्चिम से टिकट नहीं दिया तो वे जमशेदपुर पूर्वी से मुख्यमंत्री रघुबर दास के खिलाफ ही निर्दलीय मैदान में उतरेंगे. अखबार ने लिखा है कि सरयू राय ने इसके लिए कार्यकर्ताओं व समर्थकों से विमर्श भी किया है.
सरयू राय ने कहा है कि पार्टी ने उन्हें पूर्व नेता एमपी सिंह की जगह यहां से उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने कहा कि उन्हें टिकट संगठन देगा और संगठन क्या निर्णय लेता है इसका उन्हें इंतजार है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को 70 हजार की लीड दिलवाने में योगदान दिया था.
सरयू राय हथियार डालने वाले राजनीतिक खिलाड़ी नहीं हैं, यह जगजाहिर है. अगर जमशेदपुर पश्चिम से पार्टी उनका टिकट काटती है तो पार्टी को उन्हें उसके लिए प्लान बी बताना होगा (जिसमें उन्हें दिल्ली भेजना भी शामिल हो सकता है), नहीं तो वे अपने प्लान बी पर काम करेंगे ही.