रांची: विनय हत्याकांड पर हो रही न्याय में देरी
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पिता ने कहा यहां देर है…….अंधेर नहीं
राजकुमारी
रांची: विनय महतो हत्याकांड की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही। एक बेबस मां- बाप हर साल अपने बेटे के तस्वीर के सामने कभी उसकी जयंती मनाते हैं तो कभी पुण्यतिथि। विनय महतो के पिता एक किसान है। एक किसान का फसल जब सूख जाता है, तब उसका कलेजा दुखता है, कर्ज में दबा किसान आत्महत्या तक कर लेता है। तो सोचने वाली बात है कि एक किसान के बेटे की हत्या और कोर्ट का चक्कर साथ ही आर्थिक तंगी। कितना भयावक स्थिति से गुजर रहा है किसान।
सफायर इंटरनेशनल स्कूल में 05 फरवरी 2016 को विनय महतो की हत्या होती है। चार दिन के जोरदार जांच के बाद तत्कालिन डीजीपी डीके पांडेय इस गुथी अपने हिसाब से सुलझा लेते हैं। स्कूल में रहने वाली एक मुस्लिम शिक्षिका का चार सदस्यों वाला छोटा परिवार इस हत्या में आरोपी बन जाता है। जिसमें दो नाबालिक बच्चे भी होते हैं। कोर्ट में जब विनय की केस पहुंचती है, तो जुबिनाइल कोर्ट बच्चों को बरी कर देता है। रह जाते हैं दो यानी शिक्षिका और उनके पति। पूर्व डीजीपी के अनुसार विनय की हत्या प्रेम प्रसंग में हुई थी। लेकिन 44 महीनों में कोर्ट को कही भी प्रेम प्रसंग नहीं मिली है। साथ ही इसमें रोचक मोड आएं जिसमें एक दर्जन स्कूल के सदस्यों को आरोपी बनाया गया।
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12 जून को विनय की जयंती मनाते हुए, उसके पूरे परिवार ने आंसू बहाये। लेकिन मां और पिता के आंसू नहीं निकले। ऐसा लगा मानो काठ की तरह सूख गए हो। बेबस मां बाप ने विनय के हत्यारे को कानून तक लाने की कसम खायी है, विनय की मां कशीला देवी का कहना है कि हमारे आंसू सूखे हैं लेकिन जान बाकी है, हम उस वक्त तक लडेगे जब तक जान है। वहीं पिता मनबहाल महतो ने कहा कि लड़ाई कितनी भी लंबी क्यों न हो सच्चाई को छुपाये रखना आरोपी के बस में नहीं होता। मुझे अपने देश के कानून व्यवस्था पर भरोसा है, मुझे न्याय मिलेगी। यही आस में मैं 44 महीनों से उस मंदिर में जा रहा हूं जहां देर तो है पर अंधेर नहीं।

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Edited By: Samridh Jharkhand