भुइंहर मुंडा को ST में शामिल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण, उनके पक्ष में हैं ठोस तथ्य : जेरोम

भुइंहर मुंडा को ST में शामिल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण, उनके पक्ष में हैं ठोस तथ्य : जेरोम

पायलट प्रोजेक्ट नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी केंद्रीय जन संघर्ष समिति, लातेहार-गुमला ने तर्क देते हुए बताया है कि क्यों भुइंहर मुंडा जनजाति ही हैं


लातेहार/रांची :
पायलट प्रोजेक्ट नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी केंद्रीय जन संघर्ष समिति, लातेहार-गुमला ने रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा भुइंहर मुंडा समुदाय को बाभन मानते हुए अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने से इनकार करने का विरोध करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

केंद्रीय जनसंघर्ष समिति के सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर ने जारी बयान में कहा है कि एकीकृत बिहार के समय से ही भुइंहर मुंडा अनुसूचित जनजाति में शामिल था। झारखंड राज्य गठन के बाद भुइंहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा देने के बाद उसे अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करना प्रमुख मुद्दा रहा है। इस समाज के आंदोलन का समर्थन करते हुए राज्यपाल को चार मई 2017 को ज्ञापन भी दिया गया था।

समिति ने भुइंहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए ऐतिहासित तथ्य व तर्क दिया है और मांग की है कि भारत सरकार इस दिशा में अविलंब पहल करे।

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समिति ने अपने बयान में कह हैं कि भुइंहर मुंडा झारखंड की किसी भी सूची में सूचीबद्ध नहीं है, क्योंकि यह जनजाति मुंडा की उपजाति है। समिति ने कहा है कि झारखंड की ओबीसी सूची में भूमिहार नहीं है और उसका भुईंहरमुंडा से कोई संबंध नहीं है। सूची क्रमांक 57 में भुइयार शब्द है जो मुसहर जाति की उपजाति है। ठीक इसी प्रकार मुंडा की उपजाति भुईंहर है।

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भुईंहर मुंडा समाज का विकसित वर्ग नहीं है, क्योंकि उनकी वर्तमान स्थिति अत्यंत दयनीय है। इन्होंने अपनी परंपरा के आधार पर अपने आदिवासी संबंधों को बरकरार रखा है। अपने व अन्य जनजातीय समुदाय से विवाह संबंध बरकरार है। यह बात जरूर है कि ये अपनी भाषा मुंडारी नहीं बोल पाते हैं, क्योंकि बहु स्थान परिवर्तन व जनजातीयों व जातियों की भाषा का प्रभाव रहा है। जबकि ये अन्य जनजातीय भाषा बोल सकते हैं। समिति ने यह भी संदर्भ दिया है कि खूंटी जिला का पूरब खुटकटी क्षेत्र और पश्चिम के क्षेत्र भुइ्रंहरों का क्षेत्र कहलाता है।

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इस समुदाय के लोगों की अपनी विशिष्ट संस्कृति रही है। रीति-रिवाज, भाषा, गोत्र, चिह्न, जन्म-मरण संस्कार, विवाह संस्कार, पर्व-त्योहार, पूजा-पाठ में रस्म अदायगी जनजातीय समुदाय से मिलता-जुलता है, लेकिन गैर जनजातीय समुदाय से सर्वथा पृथक रहा है। उनका अन्य समुदाय यानी गैर आदिवासियों से संपर्क में संकोचन है, लेकिन उनका आचार-व्यवहार सरल, शर्मिला, ईमानदारी व सत्यवादिता से भरपूर है।

इस समुदाय का मुख्य पेशा खेती रहा है, जिस पर उनका जीवन पूर्णतः निर्भर रहा है, लेकिन मानसून आधारित अनियमित वर्षा या जलवायु परिवर्तन से वर्षा की अनिश्चितता के कारण खेती या फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता रहा है, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है।

 

Edited By: Samridh Jharkhand

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