हुसैनाबाद की सियासत में आरोप-प्रत्यारोप की बाढ़, कमलेश सिंह का विरोध करने वालों पर गद्दारी का आरोप
मंडल अध्यक्षों की बैठक विपक्ष की साजिश का हिस्सा

सितंबर के प्रथम सप्ताह में 1000 रुपए एवं अंतिम सप्ताह में 1000 रुपए सभी बूथ अध्यक्षों कार्यक्रमों का सफल संचालन के लिए मंडल अध्यक्षों के पास भेजा गया था, कुल बूथों की संख्या 342 हैं, इस प्रकार हर बूथ के लिए दो-दो हजार की राशि भेजी गयी, लेकिन यह पैसा आज तक बूथ अघ्यक्षों तक नहीं पहुंचा. यह इस बात का सबूत है कि इन मंडल अध्यक्षों की निष्ठा पार्टी के प्रति कितनी मजबूत है और किनके इशारे पर यह विरोध किया जा रहा है.
रांची- करीबन दो दशक तक शरद पवार का घड़ी थामने के बाद मौजूदा विधायक कमलेश सिंह के द्वारा भाजपा की सवारी करते ही हुसैनाबाद की पूरी सियासत पक्ष-विपक्ष में बंटती नजर आ रही है, आरोप प्रत्यारोपों का बाजार गर्म है. जिन मंडल अध्यक्षों ने कमलेश सिंह के विरोध में बगावत का झंडा बुलंद किया है. पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल खटड़ा किया जा रहा है. दल बदल कर भाजपा में शामिल होने वाले कमलेश सिंह के समर्थकों के अब बगावत का झंडा बुलंद करने वाले कार्यकर्ताओं और मंडल अध्यक्षों को दल बदलू बताया जा रहा है. कमलेश सिंह के समर्थकों का दावा है कि मंडल अध्य़क्षों के इस बगावती तेवर के पीछे राजनीतिक साजिश और विपक्ष का षडयंत्र है.
मंडल अध्यक्षों की बैठक विपक्ष की साजिश का हिस्सा

मंडल अध्यक्षों से कमलेश समर्थकों का सवाल
कमलेश समर्थकों का सवाल है कि भाजपा ने तो वर्ष 1995 और 2014 में दो-दो बार कामेश्वर कुशवाहा को मैदान में उतारा, लेकिन इन्ही नेताओं ने वर्ष 1995 में राजद, तो वर्ष 2014 में एनसीपी के प्रति अपनी स्वामी भक्ति का इजहार करते हुए पार्टी में रहते हुए पार्टी को हराने का काम किया. मंशा सिर्फ इतनी है कि किसी भी सूरत में हुसैनाबाद की जमीन पर कभी कमल नहीं खिले और नेतागीरी इसी प्रकार चलती रहे. आज भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण सरकार का सपना साकार करने के सियासी कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करवाया जा रहा है, तो इनके पेट में दर्द हो रहा है. लेकिन हुसैनाबाद की जनता इन नेताओं की साजिश कभी बर्दास्त नहीं करेगी. हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र में सात मंडल अध्यक्ष हैं. लेकिन पार्टी के प्रति निष्ठा का आलम यह है कि सितंबर में राजधानी रांची में प्रमंडल स्तरीय की बैठक आहूतकर पूरे माह के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा तय की थी. प्रधानमंत्री मोदी का जन्म दिन पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना था, लेकिन कहीं कोई कार्यक्रम नहीं हुआ. इसी प्रकार 8 एवं 9 सितंबर को प्रत्येक बूथ पर बूथ सभा का आयोजन किया जाना था, उसके बाद परिवर्तन यात्रा का कार्यक्रम तय करना था. 23 सितंबर को विधानसभा स्तरीय परिवर्तन यात्रा सभा का आयोजन हैदर नगर में किया गया था. मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर थे, 28 सितंबर को डाल्टनगंज में परिवर्तन सभा का विशाल कार्यक्रम का आयोजन हुआ, इसके मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री एवं झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान थे. इसके बाद 29 सितंबर को मोदी जी की मन की बात कार्यक्रम को सभी बूथों पर सुना जाना था, परंतु एक भी कार्यक्रम की सूचना किसी भी बूथ अध्यक्ष को नहीं दिया गया.
बूथ अध्यक्षों तक क्यों नहीं पहुंचा पार्टी का पैसा
किसी भी बूथ पर कार्यक्रम का आयोजन भी नहीं हुआ. सितंबर के प्रथम सप्ताह में 1000 रुपए एवं अंतिम सप्ताह में 1000 रुपए सभी बूथ अध्यक्षों कार्यक्रमों का सफल संचालन के लिए मंडल अध्यक्षों के पास भेजा गया था, कुल बूथों की संख्या 342 हैं, इस प्रकार हर बूथ के लिए दो-दो हजार की राशि भेजी गयी, लेकिन यह पैसा आज तक बूथ अघ्यक्षों तक नहीं पहुंचा. यह इस बात का सबूत है कि इन मंडल अध्यक्षों की निष्ठा पार्टी के प्रति कितनी मजबूत है और किनके इशारे पर यह विरोध किया जा रहा है. इस प्रकार कुल बूथों की संख्या 342 है अर्थात कुल राशि 6 लाख 84 हजार रुपए होता है यह पैसा आज तक बूथ अध्यक्षों को नहीं दिया गया है इससे प्रतीत होता है कि उपरोक्त नेताओं के इशारे पर चलने वाले ऐ मंडल अध्यक्ष पार्टी के प्रति कितने समर्पित हैं ।