Hussainabad assembly Election 2024
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हुसैनाबाद की सियासत में आरोप-प्रत्यारोप की बाढ़, कमलेश सिंह का विरोध करने वालों पर गद्दारी का आरोप

हुसैनाबाद की सियासत में आरोप-प्रत्यारोप की बाढ़, कमलेश सिंह का विरोध करने वालों पर गद्दारी का आरोप सितंबर के प्रथम सप्ताह में 1000 रुपए एवं अंतिम सप्ताह में 1000 रुपए सभी बूथ अध्यक्षों कार्यक्रमों का सफल संचालन के लिए मंडल अध्यक्षों के पास भेजा गया था, कुल बूथों की संख्या 342 हैं, इस प्रकार हर बूथ के लिए दो-दो हजार की राशि भेजी गयी, लेकिन यह पैसा आज तक बूथ अघ्यक्षों तक नहीं पहुंचा. यह इस बात का सबूत है कि इन  मंडल अध्यक्षों की निष्ठा पार्टी के प्रति कितनी मजबूत है और किनके इशारे पर यह विरोध किया जा रहा है.
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कमलेश सिंह की एंट्री का साइड इफेक्ट! 'कमल' छोड़ने की तैयारी में हुसैनाबाद में भाजपा कार्यकर्ता

कमलेश सिंह की एंट्री का साइड इफेक्ट! 'कमल' छोड़ने की तैयारी में हुसैनाबाद में भाजपा कार्यकर्ता भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही आजसू की चाहत भी इस सीट से चुनावी अखाड़े में उतरने की थी. 2014 में बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने वाले कुशवाहा शिवपूजन मेहता भी फिलहाल आजसू के साथ है, शिवपूजन मेहता ने वर्ष 2019 में भी आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ा था, हालांकि उस मुकाबले में शिवपूजन मेहता को कोई खास सफलता नहीं मिली थी. तब शिवपूजन मेहता क 15 हजार वोट के साथ चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था, इस बार भी शिवपूजन मेहता अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है.
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कैसे होगा कमलेश सिंह का बेड़ा पार! हुसैनाबाद में दलबदलुओं का जमानत जब्त होने का पुराना इतिहास

कैसे होगा कमलेश सिंह का बेड़ा पार! हुसैनाबाद में दलबदलुओं का जमानत जब्त होने का पुराना इतिहास  भाजपा के अंदर यह सवाल उठ रहा था कि अगर गठबंधन में भाजपा एनसीपी प्रत्याशी कमलेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाती है तो फिर इस बात की क्या गारंटी है कि पाला बदलने में माहिर एनसीपी विधायक कमलेश सिंह भाजपा के साथ ही रहेंगे. भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर पूर्व के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा जाये तो 2005 एनसीपी यूपीए घटक का हिस्सा होते हुए झामुमो के शिबू सोरेन को समर्थन देने के तुरंत बाद वापस भी ले लिया था और शिबू सोरेन की सरकार गिर गयी थी. फिर एनसीपी ने भाजपा के अर्जुन मुंडा को समर्थन दिया और फिर अर्जुन मुंडा की सरकार को अपदस्थ कर निर्दलीय मधु कोड़ा सरकार को समर्थन दे दिया था. वर्ष 2019 में एकबार फिर एनसीपी विधायक ने हेमंत सोरेन सरकार को चार साल समर्थन दिया और पांचवे साल समर्थन वापस लेकर एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी.
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