मध्याह्न भोजन के नाम पर केवल खानापूर्ति, बच्चों की थाली से गायब हरी सब्जी: पूर्व मंत्री बड़कुंवर
हेमंत सरकार हर मोर्चे पर हो रही है विफल, जो भी कार्य हो रही है भाजपा की देन
स्कूलों में बच्चों को ना ही बेहतर शिक्षा मिल रही है और ना ही मध्यान भोजन तथा अन्य सरकारी कार्य सही रूप से संम्पादित हो रही है। अगर जगन्नाथपुर प्रखंड की बात करें तो जगन्नाथपुर प्रखंड की तमाम स्कूलों में मध्यान भोजन को लेकर लापरवाही बढ़ती जा रही है।
चाईबासा: झारखंड सरकार मंत्रियों के पदस्थापन करने व बड़े- बड़े वादे करने में व्यस्त है। जनता को कैसे लाभ मिलेगी इससे कोई सरोकार नहीं। झारखण्ड शिक्षा विभाग को ही लिया जा सकता है। इस विभाग में बड़े- बड़े वादे तो किये जा रहे हैं लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात। इससे न केवल झूठे वायदों की पोल खुलती है और झारखण्ड सरकार की निकम्मेपन भी उजागर हो जाती हो।जगन्नाथपुर अनुमण्डल क्षेत्र के शिक्षा स्थिति की जानने के बाद पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का आँकलन किया जा सकता है। उक्त बातें पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई ने कही।
अनुमण्डल क्षेत्र के सैकड़ों स्कूल के लिये मात्र एक ही व्यक्ति के माथे प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी का प्रभार
अनुमण्डल क्षेत्र में चार प्रखण्ड आते हैं। इन चारों प्रखण्डों में मात्र एक ही व्यक्ति पर प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी एवं प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी का प्रभार है।एक ही व्यक्ति पर चारों प्रखण्ड के स्कूलों का प्रभार होने के कारण स्कूलों का कार्य प्रभिवित हो रहा है तथा सही तरह से जाँच तो क्या विधिवत संचालन नहीं हो पा रहा है।
प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सुदामय साव झींकपानी प्रखंड में पदस्थापित हैं उन्हे हाट गमहरिया, जगन्नाथपुर और नोवामुंडी प्रखंड का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जबकि बीईओ श्री साव किसी भी मुख्यालय में सही तरह से नहीं रह पाते हैं। श्री साव टाटा गम्हारिया में रहते हैं तथा वहीं से आवाजाही कर कार्य का संचालन करते है।
स्कूलों में बच्चों को ना ही बेहतर शिक्षा मिल रही है और ना ही मध्यान भोजन तथा अन्य सरकारी कार्य सही रूप से संम्पादित हो रही है। अगर जगन्नाथपुर प्रखंड की बात करें तो जगन्नाथपुर प्रखंड की तमाम स्कूलों में मध्यान भोजन को लेकर लापरवाही बढ़ती जा रही है। बच्चों को पोष्टिक आहार से वंचित रखा जा रहा है।
सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले भोजन में गुणवत्ता के नाम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। स्कूलों में खराब और विषाक्त भोजन परोसे जाने के कारण कई बार बच्चों के बीमार पड़ने के मामले प्रकाश में आए हैं। बावजूद इसके शिक्षा विभाग नहीं चेता है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में गरीब किसानों के बच्चे पढ़ते हैं। यहीं यदि सरकारी अधिकारियों व माननीयों (नेताओं) के बच्चे पढ़ते स्थिति कुछ और होती।
बच्चों के थाली से हरी सब्जी हो रही है गायब
आसमान छूती महंगाई के कारण स्कूलों से टमाटर प्याज गायब हो चुका है अब हरी सब्जियां भी स्कूल बच्चों के थाली से गायब हो रही है। बच्चों से पूछे जाने पर बच्चों ने बताया कि प्रतिदिन हमें आलू सोयाबीन की सब्जी मिलती है तो कभी सब्जी ही गायब हो जाती है। स्कूलों में घटिया तेल मसाला के उपयोग की शिकायत समय- समय पर ग्रामीण करते आए है। वहीँ रसोइया से पुछे जाने पर उन्होंने बताया की टीचर के द्वारा जो हमें मुहैया कराई जाती है हम उसी से खाना बनाने को बाध्य होते हैं।
मध्याह्न भोजन के नाम पर केवल खानापूर्ति किया जा रहा है। समय- समय पर भोजन की गुणवत्ता की जाँच होनी चाहिये। ताकि बच्चे स्वास्थ रह कर शिक्षार्जन कर सकें। स्वास्थ्य विभाग और फूड इंस्पेक्टर को भी लगातार तेल मसाला का सैंपल लेकर जांच किया जाय। गुरुजी पैसा बचाने के लिए कम दाम का तेल मसाला खरीद कर छात्रों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।